छत्तीसगढ़

रमन के निवेश के दावे खोखले- अमित

रायपुर | संवाददाता: पिछले 6 सालों में हुये 692 MOU में से 19 ही पूरे हुये हैं. मरवाही के विधायक अमित जोगी ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह के निवेश के दावों पर उनसे सवाल पूछा है कि पिछले छः सालों में राज्य में निवेश के लिये 692 समझौते हुये हैं जबकि उनमें से केवल 19 को ही अमलीजामा पहनाया जा सका है. मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह के अमरीका प्रवास जाने के पहले, मरवाही विधायक अमित जोगी ने उनसे पूर्व में किये गये अरबों के निवेश के बड़े-बड़े दावों के विषय में स्पष्टीकरण माँगा है.

अमित जोगी ने कहा कि बीते छह सालों से देश विदेश में जाकर मुख्यमंत्री निवेशकों को आकर्षित करने के दावे कर चुके है, एमओयू कर चुके हैं. तो अब तक के उन प्रस्तावों में से कितने प्रस्ताव हकीकत में साकार हुये हैं, और कितने स्थानीय युवाओं को नौकरी मिली है. अमित जोगी ने मुख्यमंत्री के विदेश दौरों पर तंज कसते हुये पूछा है निवेश लाने जा रहे हैं या निवेश करने ?

इसी तरह प्रस्तावित निवेश की राशि 7 लाख 9 हजार करोड़ की बताई गई जबकि हकीकत में यह महज 2000 करोड़ है. इसी अवधि के दौरान कहा गया कि इस सबसे 5 लाख से ज्यादा युवाओं को रोजगार मिलेगा, लेकिन सच्चाई यह है कि एक भी युवा को रोजगार नहीं दिया गया.

||…अमित जोगी ने कहा हकीकत यह है कि वर्ष 2015 में 2.78 लाख पंजीकृत बेरोजगारों में से सिर्फ 1,508 को ही रोजगार मिल पाया.||

अमित जोगी ने कहा है कि रमन सरकार ने राज्य में पहली बार 2 नवंबर 2012 को ग्लोबल इन्वेस्टर्स मीट का आयोजन किया था. कोर और नॉन कोर सेक्टर में राज्य सरकार ने 1 लाख 24 हजार करोड़ के एमओयू होने के दावे किये थे, लेकिन वह दिन है और आज का दिन है, इनमें से किसी पर ठोस तरीके से काम शुरु ही नहीं हुआ इन्वेस्टर्स मीट में छह लाख 30 हजार नये रोजगार सृजन के दावे किये गये थे, मुख्यमंत्री जी यह भी बतायें कि इसमें से कितने रोजगार अब तक सृजित हो चुके हैं?

छत्तीसगढ़ के उद्योगों का जिक्र करते हुये मरवाही विधायक अमित जोगी ने कहा है कि छत्तीसगढ़ में अपार संभावनायें हैं, संसाधनों से परिपूर्ण होने के बाद भी, क्या बात है कि मुख्यमंत्री निवेश ला पाने में असमर्थ साबित हुये हैं. देश विदेश में घूम-घूम कर निवेश लाने में असफल रहने वाले मुख्यमंत्री को अपने राज्य के उद्योगों का हाल भी मालूम है? हजारों उद्योग बंद हो चुके हैं. प्रदेश के बड़े उद्योग घराने नीति नियमों से परेशान हैं. कभी यहां के इस्पात उद्योगों पर बंद होने का खतरा मंडराता है तो कभी मिनी स्टील प्लांन्ट्स पर तालाबंदी की नौबत आ जाती है.

उन्होंने आगे कहा अमरीका जाने से पहले मुख्यमंत्री जरा एक नज़र स्थानीय उद्योगों की स्थितियों पर भी डालें और यह भी स्पष्ट करें कि अब तक उनके आमंत्रित और बताये गये आंकड़ों में से निवेश किये गये जमीनी आंकड़े इतने कम क्यों है? जनता जवाब चाहती है कि घोषणायें और वादे हकीकत में आते-आते पलट क्यों जाते है.

अमित जोगी ने कहा कि इसी वर्ष फरवरी में मुख्यमंत्री अपने लाव-लश्कर के साथ मुंबई में निवेशकों को आकर्षित करने पर गये थे, तब कहा गया कि अमरीका और चीनी कंपनियों तथा उद्योग समूहों ने छत्तीसगढ़ में विभिन्न क्षेत्रों में निवेश को लेकर अपनी रुचि प्रकट की है. उनकी रुचि अब तक आगे क्यों नहीं बढ़ पायी? लेकिन सिर्फ कागजी दावों के आधार पर सरकार ने अपनी पीठ थपथपाने में कोई कमी नहीं की थी.

इसी तरह सितंबर में दिल्ली में मुख्यमंत्री ने एसोचैम के समिट में जानकारी दी थी कि बस्तर में 40 हजार करोड़ का निवेश हो रहा है. तो वे यह भी जानकारी दे दें कि इन उद्योगों में कितने फीसदी स्थानीय युवाओं को नौकरी मिल रही है? या इससे स्थानीय लोगों को कितना फायदा हो रहा या फिर उनकी जमीन ही आपने ले ली है?

इसी तरह मुख्यमंत्री ने वहां यह भी जानकारी दी थी कि छत्तीसगढ़ को 2010 से अब तक कुल 6 लाख 59 हजार करोड़ रूपये (106 बिलियन यूएस डॉलर) के निवेश प्रस्ताव मिले. तो मुख्यमंत्री यह भी बता दें कि इनमें जमीनी स्तर पर आकर कितने उद्योग अब तक लग चुके हैं और इनमें कितने फीसदी स्थानीय युवाओं को नौकरी दी गई. साथ ही यह भी बतायें कि इससे महिलाओं को या किसानों का कितना भला हुआ है?

अमित जोगी ने कहा हकीकत यह है कि वर्ष 2015 में 2 लाख 78 हजार 258 पंजीकृत बेरोजगारों में से सिर्फ 1,508 को ही रोजगार मिल पाया. यह है मुख्यमंत्री के दावों की हकीकत.

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