अगले चुनाव में रमन सिंह नहीं होंगे सीएम?
रायपुर | संवाददाता: क्या छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह अगले चुनाव में मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं होंगे? यह सवाल उनके उस बयान के बाद चर्चा में है, जिसमें उन्होंने कहा है कि हमारी प्राथमिकता राज्य में चौंथी बार सरकार बनाना है. हमें इस बात की चिंता करने की जरुरत नहीं है कि मुख्यमंत्री कौन बनेगा. छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री जो भी बनेगा, भारतीय जनता पार्टी का ही बनेगा.
भारतीय जनता पार्टी की कार्यसमिति में मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह के इस बयान ने राजनीतिक गलियारे में कानाफूसी शुरु कर दी है. रमन सिंह के इस कथन के निहितार्थ तलाशे जा रहे हैं और सवाल पूछा जा रहा है कि क्या रमन सिंह चाहे-अनचाहे अपनी विदाई का संकेत दे रहे हैं? क्या रमन सिंह अगले चुनाव में पार्टी की ओर से मुख्यमंत्री का चेहरा नहीं होंगे?
हालांकि एक बड़ा वर्ग ऐसा है, जो डॉक्टर सिंह के बयान को महज पार्टी के प्रति प्रतिबद्धता दर्शाने और पार्टी लाइन को सर्वोपरी बताने के एक सामान्य बयान की तरह देख रहा है लेकिन दूर की कौड़ी लाने वालों की कोई कमी नहीं है और इसके आधार भी पेश किये जा रहे हैं.
राज्य में पहले भी आदिवासी एक्सप्रेस चलाई गई. लेकिन श्री सिंह की सरकार में ऐसे लोग किनारे लगा दिये गये. जिन्हें किनारे करना मुश्किल था, उन्हें राज्य की राजनीति से ही दूर कर दिया. रमन सिंह के ही मंत्री बृजमोहन अग्रवाल और प्रेमप्रकाश पांडेय के कथित शिकायत अभियानों की चर्चा पूरे राज्य में हुई लेकिन मामला टांय-टांय फिस्स हो गया.
इसके अलावा पिछले 15 सालों में कई बार ऐसा हुआ है, जब रमन सिंह की विदाई के गीत गुनगुनाने की अफवाहें राजनीतिक गलियारे में गूंजी, नये मुख्यमंत्रियों के नाम भी एक के बाद एक सामने आये लेकिन रमन सिंह अपने पद पर बने रहे. अभिषेक सिंह को लोकसभा का टिकट दिये जाने से लेकर अगस्ता मामले में नाम उछलने तक रमन सिंह की कथित विदाई के दिन गिने जाने लगे. लेकिन रमन सिंह का बाल बांका नहीं हुआ.
हालांकि भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में दखल रखने वालों का कहना है कि अब परिस्थितियां बदली हुई हैं और हाल ही में पार्टी अध्यक्ष अमित शाह के रायपुर दौरे के समय जो कुछ घटा है, उससे डॉ. सिंह के लिये बेहतर संकेत के तौर पर नहीं देखा जा रहा है. अमित शाह के रायपुर दौरे के समय कई लोगों को झटका लगा, जब अमित शाह ने उन्हें भी खास महत्व देने के बजाये, सामान्य कार्यकर्ताओं सा व्यवहार किया.
कहा जा रहा है कि अमित शाह ने अपने दौरे के समय डॉक्टर रमन को लेकर कुछ लोगों के सामने साफ-साफ कह दिया था कि जरुरी नहीं है कि जो विधायक या मंत्री हैं, उन्हें ही टिकट दी जाएगी. टिकट किसी की भी कट सकती है, मुख्यमंत्री की भी. अमित शाह के इस बयान के साथ-साथ डॉक्टर रमन सिंह की अपनी मुश्किलें भी अदालतों में मुंह चिढ़ाते हुये नज़र आ सकती हैं. अगस्त के महीने में ही अगस्ता हेलिकॉप्टर मामले की भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होने वाली है. इस मामले में सीधा आरोप मुख्यमंत्री रमन सिंह और उनके सांसद बेटे अभिषेक सिंह पर है. कथित रुप से पनामा पेपर्स का मुद्दा भी उछल सकता है.
ऐसे में कम से कम भाजपा अपनी स्वच्छ छवि को कमज़ोर नहीं करेगी, यह बात तो तय है. लेकिन ऐसी किसी कोशिश के शिकार क्या रमन सिंह भी हो सकते हैं, इसे देखने के लिये तो अभी प्रतीक्षा ही करनी होगी.