अहिंसक नक्सलियों का स्वागत- रमन
रायपुर | संवाददाता: रमन सिंह ने कहा छत्तीसगढ़ सरकार हिंसा छोड़ने वाले नक्सलियों को गले लगाने तैयार है. उन्होंने मंगलवार को रायपुर में विश्व आदिवासी सम्मेलन के अवसर पर नक्सलियों ने हिंसा छोड़कर विकास की मुख्य धारा में शामिल होने का आव्हान् किया. उन्होंने कहा- हमारी कोशिश है कि बस्तर में एक बार फिर ढोल और मांदर की थाप गूंजे. बस्तर अब तेजी से विकास की राह पर आगे बढ़ रहा है. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने संघ लोक सेवा आयोग और राज्य लोक सेवा आयोग की परीक्षाओं की तैयारी के लिए बस्तर और सरगुजा में विशेष कोचिंग केन्द्र खोलने का भी ऐलान किया. उन्होंने कहा कि इन कोचिंग केन्द्रों में अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के युवाओं को कोचिंग दी जाएगी.
छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह ने इस अवसर पर छत्तीसगढ़ के प्रथम शहीद वीर नारायण सिंह, भूमकाल के जननायक गुण्डाधूर, जननायक बिरसा मुण्डा, वीरांगना रानी दुर्गावती तथा भूमिया राजा शहीद गेंद सिंह सहित उन सभी महापुरूषों की शहादत को नमन किया, जिन्होंने देश की आजादी में अपने प्राणों की आहूति दी.
डॉ. रमन सिंह ने कहा- भारत के इन सपूतों के बलिदान की बदौलत ही आज हम आजादी की खुली हवा में सांस ले रहे है. रामदयाल मुण्डा के अथक प्रयास से 9 अगस्त से विश्व आदिवासी दिवस मनाने की शुरूआत हुई है और आज न केवल भारत में बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे मनाया जा रहा है.
छत्तीसगड़ के मुख्यमंत्री ने कहा कि हजारों सालों से प्रकृति और संस्कृति को संरक्षित रखने का काम जनजातीय समाज के लोग कर रहे है. वन संपदा और खनिज संपदा की रक्षा में आदिवासी भाईयों की हमेशा से महत्वपूर्ण भूमिका रही है.
रमन सिंह ने कहा कि बस्तर और सरगुजा के बच्चों में भी प्रतिभा की कोई कमी नही है, बस कमी थी तो अवसर की जिसे हमने प्रयास विद्यालय के माध्यम से प्रदान किया और यहां के बच्चों ने आईआईटी, मेडिकल और इंजीनियरिंग में चयनित होकर इसे साबित कर दिखा दिया है. इस साल प्रयास विद्यालय से 27 बच्चों का चयन देश की सबसे कठिन परीक्षा आईआईटी में हुआ है, हमारी यह कोशिश रहेगी कि इस साल प्रयास विद्यालय से 100 से ज्यादा बच्चे इस परीक्षा में सफल हो.
उन्होंने कहा- मिजो, नागा बटालियन की तर्ज पर दिल्ली से बस्तर बटालियन के गठन की स्वीकृति भी मिल गई है. आगामी 3 माह में अनुसूचित जनजाति वर्ग के युवाओं से इसका गठन कर लिया जाएगा. इससे बस्तर और छत्तीसगढ़ को एक नई पहचान मिलेगी.
इस अवसर पर केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा- देश के अधिकांश राज्यों में आदिवासी निवासरत हैं. वे जन्मजात साहसी प्रवृत्ति के तो होते ही हैं, कर्मठता के क्षेत्र में भी आदिवासी समाज की विशिष्ट पहचान है. इसका लाभ देश के गौरव को बढ़ाने में मिलता रहा है. इनके योगदान की वजह से ही देश की महान सांस्कृतिक परम्परा अभी भी संरक्षित है. इनमें आदिवासी समाज के योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता. उन्होंने राज्य में आदिवासियों के उत्थान और विकास के लिए छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा किए जा रहे कार्यो और पहल की भी सराहना की.