राष्ट्रपति ने NEET पर सलाह मांगी
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: राष्ट्रपति ने केन्द्र के NEET अध्यादेश पर कानूनी सलाह मांगी है. इसी के साथ NEET को लेकर मेडिकल प्रवेश की परीक्षा देने वाले छात्रों तथा उनके अभिवाहकों में उपापोह की स्थिति बनी हुई है. गौरतलब है कि सबसे पहले सुप्रीम कोर्ट ने NEET को इसी सत्र से लागू करने का निर्णय दिया था. जबकि कई राज्य सरकारें इसे तुरंत लागू करने में अपनी असमर्थता जाहिर कर चुकी है. उसके बाद केन्द्र सरकार ने एक अध्यादेश के माध्यम से NEET पर एक साल तक रोक लगाने का निर्णय लिया है. अब महामहिम राष्ट्रपति ने उस अध्यादेश पर हस्ताक्षर करने से पहले कानूनी राय मांगी है.
आधिकारिक सूत्रों ने शनिवार को बताया कि राष्ट्रपति ने अध्यादेश पर स्पष्टीकरण मांगा है. साथ ही कहा कि कुछ सवालों पर वह विधि विशेषज्ञों से मशविरा कर रहे हैं.
शुक्रवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा मंजूर अध्यादेश का मकसद सुप्रीम कोर्ट के फैसले को आंशिक तौर पर टालना है, जिसमें कहा गया था कि सभी सरकारी कॉलेज, डीम्ड विश्वविद्यालय और निजी मेडिकल कॉलेज नीट के दायरे में आएंगे.
स्पष्ट करते हुए कि छूट केवल राज्य सरकार की सीटों के लिए है, सरकारी सूत्रों ने कहा था कि निजी मेडिकल कॉलेजों में चिन्हित राज्य की सीटों को भी छूट है. एक बार अध्यादेश जारी होने पर राज्यों के सरकारी बोर्डों के छात्रों को 24 जुलाई को नीट में नहीं बैठना होगा.
सरकारी सूत्रों ने बताया कि हालांकि उन्हें अगले शैक्षिक सत्र से एकीकृत प्रवेश परीक्षा का हिस्सा बनना पड़ेगा.
उधर केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा एनडीटीवी से कहा कि केंद्र सरकार चाहती है कि NEET लागू हो और इसके लिए केंद्र सरकार ही सुप्रीम कोर्ट गई थी. वह तो राज्य सरकारों ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर आपत्ति जताई थी. NEET को लागू करते वक्त राज्यों की परेशानी को ध्यान में रखा जाएगा.
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा के अनुसार राज्य सरकार की तीन चिंताएं हैं – परीक्षा को क्षेत्रीय भाषा में आयोजित करने का प्रावधान, पाठ्यक्रम में अनुरूपता और राज्य सरकार द्वारा आयोजित परीक्षाएं. सरकार इन्हीं तीन मुद्दे के निराकरण पर फिलहाल काम कर रही है.
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