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पोडियाम को हाईकोर्ट लाओ

रायपुर । संवाददाता: हाईकोर्ट ने पोडियाम पंडा को सोमवार को कोर्ट में पेश करने का आदेश जारी किया है. पोडियाम की पत्नी की याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि हाईकोर्ट से पोडियाम पंडा अगर अपने घर जाना चाहे, तो जा सकता है.

ग़ौरतलब है कि इस महीने की तीन तारीख़ को पुलिस ने पंडा को गिरफ़्तार किया था और कहा था कि अंक बड़े नक्सली नेता को गिरफ़्तार किया गया है. हाईकोर्ट में मामला सामने आने के बाद बुधवार को पुलिस ने कई हमलों में शामिल होने का दावा करते हुये पोडियाम पंडा को मीडिया के सामने पेश किया, जहाँ पोडियाम ने कहा कि उसने आत्मसमर्पण किया है.

इधर बस्तर संघर्ष समिति ने रायपुर में एक प्रेस कांफ्रेंस में पोडियाम पंडा मामले में कई गंभीर आरोप लगाये हैं. समिति ने अपने बयान में कहा है कि कम्युनिस्ट पार्टी, बस्तर के जिला समिति के सदस्य, चिंतागुफा के भूतपूर्व सरपंच व लोकप्रिय नेता,पोडीयाम पांडा को दिनांक 3-05-2017 से सुकमा पुलिस के द्वारा उन्हें अपने हिरासत में गैरकानूनी तरीके से रखा गया है.

उनके परिवार के लोगों को न ही यह बताया की पंडा को कहा रखा गया है,व न ही उनसे मिलने दिया गया. जिसके चलते लगातार परिवार के लोगो द्वारा प्रत्येक अलग-अलग जगह, सुकमा कोतवाली थाना में ढूंढने के बावजूद लगभग 10 दिनों से जब कोई जानकारी नही प्राप्त हुयी,तब ऐसे में परिवार के लोगो में से उनके भाई कोमल,पत्नी- मुइए,बेटी-कोसी व बहन- मंगी अपनी बेटी रौशनी सहित बिलासपुर आये व छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट के समक्ष शरण लेते हुए, पंडा की पत्नी पोडियम मुइए द्वारा बंदी प्रत्यक्षीकरण की एक याचिका दिनांक 12.05.2017 को हाई कोर्ट में दाखिल की गयी.

बयान के अनुसार याचिका दाखिली के दिनांक शाम से ही पुलिस में खलबली मचने से पुलिस द्वारा,याचिकाकर्ता से पंडा द्वारा ही केस वापस लेने का दबाव बनवाने की कवायद फोन के द्वारा शुरू हो गयी. पांडा के दोनो भाई को पुलिस के सामने अलग अलग समय पर मिलवाया गया,पर बात नहीं हो सकी, भाइयो ने बताया कि पांडा के पैर में गंभीर चोट है व एड़ी में होने सूजन के कारण एडी काली पड़ गयी है,जिससे वह सही से चलने में अक्षम थे.

बयान में कहा गया है कि याचिका दाखिल होने के अगले दिन पंडा के भाई कोमल, बिलासपुर से सुकमा जैसे पहुचे ही थे कि पुलिस द्वारा उनको भी गैर कानूनी ढंग से उठाया गया और एसपी ऑफिस ले जाया गया. जहां उनके साथ मारपीट भी की गई, तत्पश्चात कोमल के घर पर पुनः पुलिस द्वारा, दो पुलिस कर्मियों को भेज कर कोमल का फोन लाया गया. कुछ समय में ही पंडा को भी वहां लाया गया व कोमल के फ़ोन के स्पीकर को ऑन करके पूरे दबाव के साथ कोमल व पंडा को उनके घर वालों से उनके वकील के नंबर पर कॉल करके ये कहलवाया गया कि- पंडा व कोमल दोनों घर पर हैं व सही ढंग से है, तुम सब बिलासपुर से वापस आओ, कोई केस नही करना है.

आरोप है कि देर रात कोमल को छोड़ने से पहले कोमल से कई कागजों पर हस्ताक्षर भी करवाया गया. कोमल चिंतागुफा के पूर्व सरपंच पंडा के भाई हैं. वे घर लौटने के बाद जब बिलासपुर आये तो सारा तथ्य उन्होंने ्पने वकील को बताया और वकील ने इन तथ्यों को हाईकोर्ट के समक्ष भी रखा.

पांडा की पत्नी मुइए, जो कि वर्तमान में चिंतागुफा की सरपंच भी है, ने पत्रकारों को कहा कि पांडा द्वारा लगातार फोन करवा कर उन पर केस वापस लेने का दबाव बार-बार बनवाया जा रहा है.

संयुक्त बस्तर संघर्ष समिति के सीआर बख्शी, संजय पराते, संकेत ठाकुर, डॉ. लाखन सिंह, पोडियाम मुइए, पोडियाम कोमल सिंह ने मांग की है कि इस पूरे मामले की जांच की जाये और फर्जी आत्मसमर्पण करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाये.

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