छत्तीसगढ़ पर क्यों भावुक हुये मोदी ?
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के एक गांव में बिजली आ जाने पर पीएम मोदी के भावुक होने की खबर चर्चा में है. छत्तीसगढ़ के राजनीतिक गलियारे में लोग मोदी जी की भावुकता को समझ नहीं पा रहे हैं. सरकार में शामिल लोग भी मोदी जी के ट्वीट को समझने की कोशिश कर रहे हैं कि ऐसा क्या हुआ कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एकाएक इस विषय पर ट्वीट करने की सुझी. असल में देश-विदेश के मीडिया में जिस तरह से इस खबर की चर्चा हुई है, उससे भी लोग भौंचक हैं.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने राज्य के आदिवासी बहुल बलरामपुर-रामानुजगुंज जिले के एक पहाड़ी गांव जोकापाट के विद्युतीकरण के बारे में मिले समाचार पर प्रसन्नता व्यक्त की है. उन्होंने रविवार को ट्वीट करते हुए कहा कि इस प्रकार के समाचारों से मुझे अत्यधिक खुशी होती है और मैं बहुत भावुक हो जाता हूं. श्री मोदी ने अपने ट्वीटर संदेश में लिखा-मुझे यह देखकर बहुत खुशी हुई कि इस गांव में कई लोगों का जीवन रौशन हुआ है.
Such news makes me extremely happy and emotional. It is gladdening to see so many lives being brightened. https://t.co/4hVrHc4elv
— Narendra Modi (@narendramodi) December 17, 2017
दिलचस्प ये है कि बलरामपुर-रामानुजगंज जिले के जिस ग्राम जोकापाट में बिजली आने पर प्रधानमंत्री ने खुशी जताई है, उस गांव को लेकर छत्तीसगढ़ सरकार का दावा है कि पूरे गांव में पहले से ही सौर उर्जा की बिजली की सुविधा उपलब्ध है. सरकार का दावा है कि पिछले कई सालों से यह गांव पूरी तरह से विकसित हो गया है.
इसी साल 7 अप्रैल को राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह ने इस गांव का दौरा किया था.मुख्यमंत्री के दौरे को लेकर जारी सरकारी विज्ञप्ति में कहा गया-“7 अप्रैल को जब मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह लोक सुराज अभियान के तहत इस गांव में पहुंचे तो लोग पूछने के बाद भी गांव की कोई बड़ी समस्या उन्हें नहीं बता पाए.”
विज्ञप्ति के अनुसार-“आज से दस साल पहले यहां नक्सलियों का आतंक था, उनकी सभाएं होती रहती थी, लेकिन राज्य सरकार के प्रयासों से और जनता के सहयोग से आज पूरे गांव की तकदीर और तस्वीर बदल गई है. शिक्षा,स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क, बिजली जैसी सभी बुनियादी सुविधाओं से आज यह गांव आबाद है…शिक्षा,स्वास्थ्य, पेयजल, सड़क, बिजली जैसी सभी बुनियादी सुविधाओं से आज यह गांव आबाद है…पीने के पानी की भी अच्छी व्यवस्था है. लगभग 541 परिवारों के बीच 28 हैण्डपम्प हैं और गांव के पूरे घर सौर उर्जा से जगमग हैं. यही नहीं, यह गांव खुले में शौचमुक्त (ओडीएफ) भी घोषित हो चुका है.”
इस साल अप्रैल में मुख्यमंत्री की एक तस्वीर मीडिया में वायरल की गई थीं, वह इसी गांव की थी. जिसमें अपने घर की दीवार बना रहे शोबरन नाग के साथ मिलकर मुख्यमंत्री रमन सिंह ने सिर में गमछा बांध कर कुछ ईंटे जोड़ी थी.
छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला का कहना है कि राज्य में सात लाख से अधिक घर आज भी इस कथित पावर सरप्लस राज्य में अंधेरे में हैं. पावर हब कोरबा जिले के कई गांवों की हालत भी ऐसी ही है.
आलोक शुक्ला कहते हैं- “यूपीए के शासनकाल में देश में हर साल लगभग 12 हज़ार गांवों में बिजली पहुंची है. यहां तक कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल के आंकड़े देखें तो हर साल लगभग 3 हज़ार गांवों में इस सरकार ने बिजली पहुंचाने का दावा किया है. ऐसे में जोकापाट को लेकर प्रधानमंत्री जी की भावुकता समझ से परे है.”
आलोक शुक्ला ने कहा कि कोल खदानों के नाम पर जिस तरह से हजारों आदिवासियों को उनकी ज़मीन से सरकार ने धकेल दिया है. छत्तीसगढ़ में जल-जंगल-जमीन को लेकर सरकार का जो रवैय्या है, सरकार को असल में उस पर भावुक होने की जरुरत है.