पालनार में यौन प्रताड़ित छात्रा ने की आत्महत्या की कोशिश
रायपुर | संवाददाता: बस्तर के पालनार में सुरक्षाबल के जवानों द्वारा यौन प्रताड़ना की शिकार छात्रा ने आत्महत्या करने की कोशिश की है.दूसरी ओर बुरकापाल के आदिवासियों को उन्हें अपने गांव से ही बेदखल करने का फरमान जारी कर दिया गया है. बस्तर बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के जाँच दल ने अपने तीन दिवसीय दौरे के बाद यह गंभीर आरोप लगाया है.
गौरतलब है कि इस साल 31 जुलाई को दंतेवाड़ा जिले के पालनार स्थित कन्या छात्रावास में आदिवासी छात्राओं को जबरदस्ती गैर-आदिवासी त्यौहार रक्षाबंधन सीआरपीएफ के जवानों के साथ एक सप्ताह पूर्व मनाने विवश किया गया था. इसी दौरान सीआरपीएफ के जवानों द्वारा 17 छात्राओं के साथ छेड़छाड़ और यौन उत्पीड़न के प्रयास का मामला सामने आया. पीड़ित लड़कियों ने अपने माता-पिता से शिकायत की, लेकिन पूरे मामले को दबाने का प्रयास किया गया.
इस बीच आप नेत्री एवम बस्तर बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति की संयोजक सदस्य सोनी सोरी को इस घटना की जानकारी मिली और उन्होंने मीडिया के माध्यम से यौन प्रताड़ना के इस शर्मनाक वारदात का भंडाफोड़ किया गया. 7 अगस्त को एफआईआर दर्ज होने के बाद सिर्फ दो जवानों को अब तक गिरफ्तार किया गया. आरोप है कि इस मामले में अनेक अभियुक्त है जिनपर कोई कार्रवाई नही हुई है.
बस्तर बचाओ संघर्ष समिति के डॉक्टर संकेत ठाकुर के अनुसार 5 दिनों पूर्व ही पीड़ित छात्राओं ने सोनी सोरी से सम्पर्क किया और बताया कि छात्रावास अधीक्षिका द्वारा पीड़ित छात्राओं को प्रताड़ित किया जा रहा है. बस्तर बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति ने इस मामले की सच्चाई जानने का फैसला किया. 16 सितम्बर को एक जाँच टीम पूर्व केंद्रीय मंत्री अरविन्द नेताम के नेतृत्व में पालनार पहुंच, जिसमे दंतेवाड़ा से सोनी सोरी, लिंगाराम कोडोपी, बिलासपुर से पीयूसीएल के राज्य सचिव डॉ लाखन सिंह, सराईपाली से पूर्व सीजीएम प्रभाकर ग्वाल, आम आदमी पार्टी रायपुर से डॉ संकेत ठाकुर, दुर्गा झा, बिलासपुर से भानुप्रकाश चन्द्रा एवं प्रतिभा ग्वाल शामिल थे.
पालनार में पीड़ित छात्राओं, उनके माता-पिता, 11 ग्राम पंचायतों के सरपंच एवम जनपद सदस्यों की उपस्थिति में बैठक हुई. सभी के सामने पीड़ित छात्राओं ने अपनी पहचान छिपाते हुए उनके साथ छात्रावास अधीक्षिका, पालनार द्रौपदी सिन्हा द्वारा उन्हें प्रताड़ित करने, गंदे शब्दों, अभद्र भाषा का इस्तेमाल करने यहां तक कि बड़े भाई के साथ गलत सम्बन्ध रखने की बात कहने, भोजन नही देने आदि की शिकायत की. एक छात्रा ने प्रताड़ना से तंग आकर आत्महत्या करने का प्रयास होस्टल के बाथरूम में करने का किया, जिसे उसकी सहेलियों ने देखा, बचाया और माता-पिता तक सूचना दी.
डॉक्टर संकेत ठाकुर ने अपने बयान में बताया कि उसी दिन ही प्रतिनिधि मंडल ने कलेक्टर दंतेवाड़ा से मिलने का प्रयास किया लेकिन उनसे मुलाकात 17 सितम्बर को हो पाई. कलेक्टर से बस्तर बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति ने अधीक्षिका के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की. इस पर कलेक्टर सौरभ कुमार ने मामले की जाँच कर उचित कार्रवाई का आश्वासन दिया.
17 सितम्बर को जाँच दल दंतेवाड़ा से बुरकापाल रवाना हुआ लेकिन दोरनापाल में ही सुचना मिली कि आदिवासी महिलायें गांव छोड़कर दोरनापाल आ गईं है. इन महिलाओं ने जांचदल को बताया कि 25 अप्रैल को सीआरपीएफ के जवानों पर माओवादी हमले के बाद उनका बुरकापाल रहना सम्भव नही रह गया है. गांव के 37 पुरुषों को जिनमे पीड़ित महिलाओं के पति शामिल है, को नक्सल वारदात में शामिल होने का आरोप लगाकर जेल में बन्द कर दिया गया है. सीआरपीएफ और पुलिस की दहशत की वजह से अधिकांश पुरुष गांव छोड़कर बाहर निकल गए है. गांव में रह रही महिलाओं को सुरक्षाबल तरह तरह से प्रताड़ित करते है और धमकाते है कि गांव छोड़कर चले जाओ नहीं तो मार डाला जायेगा.
संकेत ठाकुर ने आरोप लगाया कि बुरकापाल और उसके आसपास के गांवों से अब तक 100 से अधिक पुरुषों को थाने में या जेल में डाल दिया गया है. इनमे से अधिकांश पर अभी कोई केस भी दर्ज नही हुआ है. बस्तर बचाओ संयुक्त संघर्ष समिति के सदस्यों की मुलाकात दोरनापाल में लगभग 35 पीड़ित महिलाओं से मुलाकात हुई. सभी के चेहरे में भयंकर दहशत के भाव दिखाई दिए. वे अब गांव लौटने से घबरा रही है, पुरुष जेल में बंद है, अब वे जायें तो जाएँ कहाँ ? आसपास के युवकों ने बताया कि गत सप्ताह ही 4 पुरुषों को पुलिस द्वारा बुरकापाल से हेलीकॉप्टर से उठाकर ले जाया गया. लेकिन वे कहां रखे गये है, इसकी कोई जानकारी नहीं दी गई है. डॉक्टर संकेत ठाकुर ने कहा कि अब तक एक महीने में थाने में बंद किये गये आदिवासियों में 37 बुर्कापाल, 7 ताड़मेटला, 3 तोकनपल्ली, 1 दुलेर, 9 मीनपा, 18 कारिगुण्डम, 2 कोट्टापल्ली, 5 गोगुंडा और 5 परिया गांव के हैं.