राष्ट्र

पाक का अलगाव को बढ़ावा

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: भारत के ऐतराज के बावजूद पाक उच्चायुक्त ने अलगाववादी नेताओं से मुलाकात का दौर जारी रखा है. गौरतलब है कि दोनों देशों के बीच 25 अगस्त को इस्लामाबाद में विदेश सचिव स्तर की वार्ता होनी थी जिसे इस कदम के कारण निरस्त कर दिया गया. वहीं, भारत के वार्ता निरस्त करने के कदम को अमरीका ने दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया है.

मंगलवार को नई दिल्ली स्थित पाकिस्तान के उच्चायुक्त ने हुर्रियत के चरमपंथी गुट के नेता सैयद अली शाह गिलानी से मुलाकात करने के बाद नरमपंथी हुर्रियत नेता मीरवायज उमर फारूक से भी मुलाकात की.

गिलानी ने पाकिस्तान के उच्चायुक्त अब्दुल बासित के साथ करीब ढाई घंटे तक मुलाकात की. इसके बाद जम्मू एवं कश्मीर लिबरेशन फ्रंट के नेता मोहम्मद यासीन मलिक और मीरवायज ने भी मुलाकात की.

हिंदू सेना के कार्यकर्ताओं ने पाकिस्तानी उच्चायोग के सामने प्रदर्शन कर विरोध जताया. पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को हिरासत में ले लिया. अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के करीब 25-30 सदस्यों ने भी प्रदर्शन की कोशिश की, लेकिन उन्हें आयोग के दरवाजे तक नहीं पहुंचने दिया गया. उन्हें भी पुलिस ने हिरासत में ले लिया.

इससे पहले पाकिस्तान के उच्चायुक्त से मुलाकात करने के लिए दिल्ली आए गिलानी ने हवाई अड्डे पर संवाददाताओं से कहा, “सबसे पहली बात यह है कि वे कश्मीर को आंतरिक मुद्दा कहते हैं. यह वास्तविकता नहीं है. जम्मू एवं कश्मीर एक अंतर्राष्ट्रीय मुद्दा है और इसे हल किया जाना चाहिए.”

उन्होंने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत सरकार ने पाकिस्तान के साथ होने वाली विदेश सचिव स्तरीय वार्ता रद्द कर दी.”

गिलानी ने कहा, “जब तक हमसे किए गए वादे पूरे नहीं किए जाते, यह मुद्दा अनसुलझा ही रहेगा.”

उन्होंने कहा, “भारत मुद्दे को हल नहीं करना चाहता, यह दबाव बनाने के लिए बल का प्रयोग करता है.”

हुर्रियत नेता मीरवाइज उमर फारुक ने कहा कि भारत सरकार ने जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया की है.

फारूक ने एक समाचार चैनल से कहा, “नई दिल्ली ने मुद्दे पर जरूरत से ज्यादा प्रतिक्रिया की है..कश्मीर मुद्दे का एक शांतिपूर्ण, राजनीतिक समाधान होना चाहिए.”

उधर अमरीका ने पाकिस्तान के साथ विदेश सचिव स्तर की वार्ता रद्द करने के भारत के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया और कहा कि वह द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की कोशिशों को समर्थन जारी रखेगा.

अमरीकी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मैरी हार्फ ने सोमवार को संवाददाताओं से कहा, “भारत और पाकिस्तान के बीच प्रस्तावित बैठक रद्द हो जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. हम भारत और पाकिस्तान द्वारा उनके बीच के द्विपक्षीय संबंधों में सुधार की चल रही कोशिश को समर्थन देना जारी रखेंगे.”

इधर पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की प्रमुख महबूबा मुफ्ती ने मंगलवार को भारत-पाकिस्तान के बीच विदेश सचिव स्तर की वार्ता रद्द कर दिए जाने के फैसले की निंदा की है. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार का आक्रामक रवैया परिपक्व कदम नहीं है.

टाइम्स नाउ चैनल से बातचीत में अनंतनाग से सांसद महबूबा ने कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंध दोनों देशों के लिए अच्छे हैं. हमने एक-दूसरे के खिलाफ लड़ाई की और कुछ नहीं पाया. इसका जम्मू एवं कश्मीर के साथ संबंधों पर गहरा असर हुआ है और लोगों को काफी झेलना पड़ा है.”

मोदी के प्रधानमंत्री पद पर शपथ ग्रहण समारोह में पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ के शरीक होने से उम्मीद की जा रही थी कि भारत-पाक संबंधों में सुधार आयेगा. इसीलिये 25 अगस्त को दोनों देशों के विदेश सचिव स्तर की वार्ता आयोजित की गई थी. इसमें खलल डालने का काम पाकिस्तान की ओर से किया गया है.

दिल्ली में पाक दूतावास में कश्मीर के अलगाववादियों से मुलाकात पर भारतीय विदेश सचिव ने पाकिस्तान के विदेश सचिव को ऐतराज जताया था. सोमवार को हुरिर्यित के नेता से मिलने के बाद मंगलवार को उसी क्रम में दूसरे अलगाववादियों गुट से मुलाकात की. जाहिर है कि पाकिस्तान की दिलचस्पी वार्ता में नहीं है बल्कि पाकिस्तान भारत में अवगाववाद को बढ़ावा देना चाहता है.

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