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धान की खेती को हतोत्साहित करें-रमन सिंह

रायपुर | संवाददाता: धान की खेती को हतोत्साहित करने के लिये छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंहने कलेक्टरों को कहा है कि ग्रीष्मकालीन धान के बजाय किसानों को कम पानी में होने वाली दलहन, तिलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए. मुख्यमंत्री ने कलेक्टर्स कॉंफ्रेंस में इस आशय के निर्देश दिये. सोमवार को रायपुर में आयोजित कलेक्टर्स कॉन्फ्रेंस में संभागीय कमिश्नरों और जिला कलेक्टरों को प्रदेश के सूखा प्रभावित इलाकों में किसानों और ग्रामीणों को राहत पहुंचाने के लिए सभी जरूरी उपाय सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.

उन्होंने अधिकारियों से कहा कि अल्पवर्षा के कारण जिन इलाकों में खेती प्रभावित हुई है, वहां संभाग और जिला स्तर पर जल उपयोगिता समितियों की बैठक आयोजित की जाए और इन बैठकों में संभागीय क्षेत्र की वृहद्, मध्यम और लघु सिंचाई जलाशयों में जल भराव की ताजा स्थिति की समीक्षा की जाए.

मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि ऐसे क्षेत्रों में पेयजल और निस्तारी के लिए पानी की आपूर्ति सबसे पहले सुनिश्चित की जाए और इसके बाद ही दलहन, तिलहन, मक्के की खेती और अन्य कार्यों के लिए पानी देने के संबंध में निर्णय लिया जाए. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों से यह भी कहा कि किसानों को समझाइश देकर गर्मियों में धान की खेती को हतोत्साहित किया जाए. ग्रीष्मकालीन धान के बजाय किसानों को कम पानी में होने वाली दलहन, तिलहन की खेती के लिए प्रोत्साहित किया जाए. इसके लिए केन्द्र तथा राज्य पोषित योजनाओं से प्रदर्शन प्रक्षेत्र भी विकसित किए जाएं.

मुख्यमंत्री ने कहा कि पेयजल और निस्तारी के पानी की जरूरत पूरी होने के बाद पर्याप्त पानी उपलब्ध होने पर ही गर्मी के धान के लिए पानी देने के बारे में विचार किया जा सकेगा, लेकिन उन्होंने अधिकारियों से कहा कि किसानों को गर्मी के धान की खेती नहीं करने की सलाह दी जाए.

उन्होंने यह भी कहा कि सूखा प्रभावित इलाकों में जिला कलेक्टरों को छत्तीसगढ़ पेयजल संरक्षण अधिनियम 1986 के प्रावधानों के तहत प्रतिबंधात्मक कार्रवाई के अधिकार दिए गए हैं. राजस्व विभाग के अधिकारियों ने बैठक में बताया कि विभाग द्वारा 15 सितंबर 2017 को जारी आदेश में सिंचाई के लिए निस्तारी तालाबों के पानी का उपयोग पर प्रतिबंध लगाया जा चुका है. मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को इसका पालन सुनिश्चित करने के निर्देश दिए.

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