राष्ट्र

सांसद निलंबन, विपक्ष ने की निंदा

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: लोकसभा में कांग्रेस के 25 सांसदों के निलंबन की विपक्ष ने निंदा की है. उल्लेखनीय है कि मानसून सत्र के शुरुआती दिन से ही ‘तीन इस्तीफों’ के लिए हंगामा कर रहे कांग्रेस के 44 में से 25 सांसदों को लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सोमवार को पांच दिनों के लिए निलंबित कर दिया. अध्यक्ष के इस फैसले का विपक्ष ने कड़ा विरोध किया है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने अध्यक्ष के फैसले को भारत व लोकतंत्र के लिए एक ‘काला दिन’ करार दिया. इससे संकेत मिल रहे हैं कि विपक्ष की योजना संसद से लेकर सड़क तक भारतीय जनता पार्टी नीत सरकार के खिलाफ लड़ाई को और तेज करने की है.

महाजन ने जहां अपने फैसले को न्यायोचित ठहराया, वहीं तृणमूल कांग्रेस ने पांच दिनों तक लोकसभा का बहिष्कार करने की घोषणा की है. आम आदमी पार्टी ने फैसले को स्वीकार किया है, लेकिन यह स्पष्ट किया है कि उसके द्वारा महाजन के फैसले की निंदा करने का मतलब कांग्रेस का समर्थन करना नहीं है.

सोमवार का दिन राजनीतिक तौर पर बेहद उथल-पुथल भरा रहा. संसद में गतिरोध को खत्म करने के लिए एक सर्वदलीय बैठक बुलाई गई.

कांग्रेस विदेश मंत्री सुषमा स्वराज तथा राजस्थान व मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्रियों के इस्तीफे की मांग पर अड़ी रही, जबकि सरकार ने उनकी मांग को खारिज कर दिया.

केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री एम.वेंकैया नायडू ने कहा कि कांग्रेस को केवल दो पार्टियों वाम तथा जनता दल-युनाइटेड का समर्थन है, जबकि बाकी सभी पार्टियां सदन में कार्यवाही चाहते हैं.

सदन की कार्यवाही शुरू होते ही लोकसभा तथा राज्यसभा दोनों में हंगामा शुरू हो गया.

राज्यसभा में हंगामे के बीच सुषमा स्वराज ने इंडियन प्रीमियर लीग के दागी पूर्व आयुक्त ललित मोदी की मदद के अपने ऊपर लगे आरोप को निराधार बताया.

सुषमा स्वराज ने राज्यसभा में कहा, “ललित मोदी को यात्रा दस्तावेज प्रदान करने के लिए मैंने कभी ब्रिटिश सरकार से अनुरोध नहीं किया.”

लोकसभा में भी हालात बदतर रहे. अध्यक्ष सुमित्रा महाजन द्वारा तख्तियां न लहराने की चेतावनी के बावजूद कांग्रेस सदस्यों ने तख्तियां लहराईं व नारे लगाए.

हंगामे के बीच प्रश्नकाल खत्म होने के बाद महाजन ने लोकसभा की कार्यवाही दोपहर को दो घंटे के लिए स्थगित कर दी. जब एक बार फिर कार्यवाही शुरू हुई, तो कांग्रेस सदस्यों ने फिर से हंगामा शुरू कर दिया.

इसके बाद महाजन ने सदन की कार्यवाही में जानबूझ कर बाधा उत्पन्न करने का आरोप लगाते हुए कांग्रेस के 25 सदस्यों को निलंबित किए जाने की घोषणा की.

हंगामा कर रहे गौरव गोगोई, सुष्मिता देव, रंजीता रंजन, के.सी. वेणुगोपाल तथा दीपेंद्र सिंह हुड्डा सहित कांग्रेस के 25 सांसदों को नियम 374 (ए) के तहत निलंबित किया गया.

सोनिया गांधी ने इससे पहले दिन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर जमकर भड़ास निकाली.

मोदी पर हमला करते हुए उन्होंने ट्वीट किया, “जब उनके सहयोगी घोटाले में फंसे हैं, तब मन की बात करने वाले ने मौन व्रत रख लिया है.”

उन्होंने कहा, “अतीत में भाजपा द्वारा अपनाए गए आक्रामक रवैये को हम नहीं अपना रहे हैं, बल्कि हमें वर्तमान में भाजपा के बेशर्म रवैये के कारण यह रुख अपनाने को मजबूर होना पड़ा है.”

कांग्रेस के सांसदों के निलंबन की तृणमूल कांग्रेस के सांसद सुदीप बंद्योपाध्याय ने निंदा की. उन्होंने कहा कि यदि सरकार विपक्ष को नहीं सुनना चाहती, तो सदन को नहीं चलने दिया जाएगा.

सुदीप ने कहा, “संसदीय राजनीति के हित में हम 25 सांसदों के निलंबन का विरोध करते हैं. हम कल से लोकसभा में उपस्थित नहीं होंगे.”

एक निलंबित सांसद गोगोई ने कहा कि अध्यक्ष के रवैये से आहत विपक्ष एकजुट हो गया है.

उन्होंने कहा, “हमें तृणमूल, राकांपा तथा वाम का समर्थन मिला है, जिन्होंने कार्यवाही का पांच दिनों तक बहिष्कार करने का फैसला किया है.”

वहीं महाजन ने अपना बचाव करते हुए कहा, “सदन की कार्यवाही सुचारु रूप से चलाने के लिए मैंने अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया. मैं उन्हें सुबह से ही निलंबन की चेतावनी दे रही थी, लेकिन वे नहीं माने. बर्दाश्त की सीमा तब खत्म हो गई, जब एक सदस्य ने अध्यक्ष के सामने तख्ती लहराने का प्रयास किया.”

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