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ऐतिहासिक नागा शांति समझौता

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: नागा संगठन के साथ सोमवार को ऐतिहासिक शांति समझौता किया गया. हालांकि, कई दूसरे नागा संगठन इसका विरोध कर रहें हैं तथा इसे अचानक हुआ समझौता बता रहे हैं. उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार और अलगाववादी नागा संगठन नेशनल सोशलिस्ट कौंसिल आफ नागालैंड (आई-एम) के बीच ऐतिहासिक शांति समझौते पर सोमवार को हस्ताक्षर किए गए. शांति समझौते पर मुहर लगने के इस खास मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल भी मौजूद थे. दस्तखत प्रधानमंत्री के सात रेसकोर्स स्थित आवास पर किए गए.

एनएससीएन (आई-एम) के मुखिया टी. मुइवा भी इस मौके पर मौजूद थे. उन्होंने भी इस क्षण को ऐतिहासिक बताया. अपने संक्षिप्त संबोधन में उन्होंने महात्मा गांधी को याद किया और कहा कि गांधी जी नागा लोगों को समझते थे और उनकी इज्जत करते थे. उन्होंने प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी की दूर तक देख सकने वाली नेतृत्व क्षमता की भी सराहना की.

संगठन के दूसरे बड़े नेता इसाक स्वू अस्पताल में भर्ती होने की वजह से समारोह में नहीं आ सके लेकिन इस मौके पर उनके पुत्र पशेतो मौजूद थे.

नागा संगठन के साथ समझौते के बावजूद अभी मसला पूरी तरह सुलझा नहीं है. आईएम गुट के साथ समझौता हुआ है. बाकी के गुट इसे अपनी मंजूरी देंगे, इसकी कम संभावना है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पहले ही ट्वीट कर संकेत दिया था कि कुछ बड़ा ऐलान होने वाला है. उन्होंने शांति समझौते को ऐतिहासिक करार दिया है. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि नागालैंड का यह राजनैतिक मुद्दा पिछले छह दशकों से खिंचता चला आ रहा था और इसका असर हमारी पीढ़ियों को भुगतना पड़ा.

उन्होंने नागा नेताओं टी. मुइवा और इसाक स्वू की इस समझौते को करने में दिखाए गए साहस और बुद्धिमत्ता के लिए प्रशंसा की.

मोदी ने कहा, “मेरे मन में शांति प्रयासों को असाधारण समर्थन देने के लिए महान नागा लोगों के प्रति बेहद गहरा सम्मान है. उत्तर पूर्व के लोगों के साथ मेरा रिश्ता बहुत गहरा है. मैं कई बार नागालैंड जा चुका हूं. मैं नागा लोगों की समृद्ध और बहुआयामी संस्कृति और जीवन जीने के उनके अलग अंदाज से बेहद प्रभावित रहा हूं. यह दुर्भाग्य है कि नागा समस्या को सुलझाने में इतना समय लग गया. इसकी वजह यह थी कि हम एक-दूसरे को समझ नहीं पा रहे थे. नागा लोगों का साहस और शौर्य अगर बेमिसाल है तो साथ ही वे उच्च मानवीयता के भी पैरोकार हैं.”

दूसरी तरफ नागा मानवाधिकार संगठन के अध्यक्ष एन. क्रोम ने कहा कि अचानक हुए इस ऐलान से हम सभी को अचंभा हुआ. उन्होंने कहा कि उन्हें लगता तो था कि कुछ होने वाला है लेकिन यह नहीं पता था कि इतनी जल्दी होगा.

एनएससीआईएन (आईएम) की मांग एक ग्रेटर नागालैंड की स्थापना की थी. इसमें मणिपुर, नागालैंड और अरुणाचल प्रदेश के उन हिस्सों को भी शामिल करने की मांग थी जहां नागा लोगों की बड़ी संख्या बसती है.

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