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अब छत्तीसगढ़ के तहसीलदार हड़ताल पर

रायपुर | संवाददाताः छत्तीसगढ़ के लगभग 450 नायब तहसीलदार और तहसीलदार बुधवार से तीन दिवसीय हड़ताल पर चले गए हैं.

अभी दो दिन पहले ही 8 जुलाई से राज्य के करीब 5 हजार पटवारी अपनी 32 सूत्रीय मांगों को लेकर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर गए थे.

पटवारियों के बाद अब नायब तहसीलदार और तहसीलदारों के हड़ताल पर जाने से राजस्व विभाग का पूरा काम ठप्प पड़ गया है.

महासमुंद जिले के झलप में नायब तहसीलदार युवराज साहू के साथ मारपीट की घटना के बाद तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा को अपना सात सूत्रीय मांगपत्र सौंपकर हड़ताल पर जाने का ऐलान किया था.

इधर कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के पदाधिकारियों ने मांग पूरी नहीं होने पर अनिश्चितकालीन हड़ताल पर जाने की चेतावनी भी दी है.

बनाया जा रहा अनैतिक दबाव

छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के प्रांताध्यक्ष नीलमणि दुबे ने बताया कि प्रांत और जिला कार्यकारिणी की ओर तहसीलदार एव नायब तहसीलदारों के वर्तमान में किए जा रहे कार्यों की समीक्षा की गयी है, जिसमें स्पष्ट किया गया कि वर्तमान में प्रदेश के सभी तहसीलदार एव नायब तहसीलदार संसाधन एवं सुरक्षा के अभाव में कार्य कर रहे हैं.

प्रदेश में लगातार ऑनलाइन प्रकिया पर जोर दिया जा रहा है. ई-कोर्ट, ऑनलाइन भुईया पोर्टल, ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल के माध्यम से मानक समय सीमा तय कर लगातार ऑनलाइन कार्य करने दबाव बनाया जा रहा है, जबकि समूचे प्रदेश में ऑनलाइन प्रक्रिया के अनुसरण हेतु आवश्यक इंटरनेट सुविधा, कम्प्यूटर ऑपरेटर, कम्प्यूटर, प्रिंटर, स्कैनर, स्टॉफ का अभाव है.

ऐसे में प्रदेश के सभी तहसीलदार एव नायब तहसीलदार स्वयं के संसाधन एवं विवेक से ऑनलाईन कार्य संपादित कर रहे हैं, जिसमें तकनीकी रूप से गलती होने पर कार्रवाई भी की जा रही है.

ऑनलाइन रिपोर्ट के माध्यम से समीक्षा कर प्रक्रिया के विपरीत निराकरण किए जाने का अनैतिक दबाव बनाया जा रहा है.

नीलमणि दुबे ने बताया कि ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल के माध्यम से तहसीलदार एव नायब तहसीलदार आय, जाति, निवास प्रमाणपत्र जारी करते हैं, जिसमें प्रतिदिन प्राप्त आवेदनों के ही निराकरण में पूरा कार्यलयीन समय निकल जाता है.

ऐसे में बिना कम्प्यूटर ऑपरेटर व संसाधन के वर्तमान में केवल ऑनलाइन राजस्व न्यायालय पर जोर देकर एक-एक प्रकरण में ऑनलाइन पेशी डेट बढ़ाना, आदेश पत्र अपलोड करना, ऑनलाइन प्रकरण का समाधान करने की अपेक्षा करना वैसे ही है, जैसे बिना ड्रायवर के गाड़ी चलाना.

हड़बड़ी में गड़बडी की आशंका

आरोप है कि भुईंया ऑनलाइन पोर्टल में भी अविवादित श्रेणी मानकर लगातार आदेश हेतु दबाव बनाया जा रहा है, जबकि उसमें भी संसाधान के अभाव सहित अधिकाशतः फोटोकॉपी दस्तावेज अपलोड होने के कारण निराकरण संभव नहीं होने पर भी उसे राजस्व न्यायालय के माध्यम से निराकरण हेतु बाध्य किया जा रहा है.

ऐसे में राजस्व दस्तावेजों के उलटफेर व हड़बडी में त्रुटिपूर्ण आदेश की पूरी आशंका रहती है.

हड़ताली अधिकारियों ने आरोप लगाया कि प्रदेश के सभी तहसीलदार एव नायब तहसीलदार दिन-रात लॉ एंड आर्डर हेतु कार्यपालिक मजिस्ट्रेट की भूमिका का निर्वहन अपने निजी वाहनों से करने हेतु मजबूर हैं. वहीं वीआईपी मूवमेंट में ज्यादातर समय प्रोटोकॉल में चला जाता है.

ऐसे में जब समय के अभाव होने पश्चात् जब राजस्व न्यायालय में बैठते हैं तो कई बार पक्षकारों से वाद-विवाद की स्थिति बन जाती है, जिसका ताजा उदाहरण महासमुंद जिले के झलप उप तहसील में नायब तहसीलदार के साथ मारपीट की घटना है.

रायगढ़ में भी घटी थी घटना

पिछले महीने रायगढ़ तहसीलदार लोमस मिरी के साथ भी मारपीट की घटना हुई थी.

इस मामले में बाप-बेटे ने मिलकर तहसीलदार के साथ झूमाझटकी और मारपीट की थी.

शासन ने तहसीलदार एवं नायब तहसीलदारों की सुरक्षा का आश्वासन दिया है. पिछले कांग्रेस सरकार में इस संबंध में दिशा-निर्देश भी जारी किए गए थे, लेकिन इन दिशा-निर्देशों पर अमल आज तक नहीं हुआ.

रायगढ़ में ही 2022 में भी इस तरह मारपीट की घटना हो चुकी है.

जिसके बाद प्रदेश भर के तहसीलदार और नायब तहसीलदार अनिश्चितकालीन हड़ताल पर चले गए थे. बाद में मुख्यमंत्री के आश्वासान के बाद करीब सप्ताह भर बाद हड़ताल को खत्म किया गया था.

मुख्यमंत्री के आश्वासन के बाद सुरक्षा मुहैया कराने को लेकर निर्देश जारी हुए थे, लेकिन अधिकारियों के साथ मारपीट की घटनाएं रुकने का नाम नहीं ले रही हैं.

वेतनमान, पदोन्नति के मामले अटके

छत्तीसगढ़ कनिष्ठ प्रशासनिक सेवा संघ के प्रांताध्यक्ष नीलमणि दुबे ने बताया कि तहसीलदार और नायब तहसीलदारों के वेतनमान में भी सुधार की आवश्यकता है.

साथ ही पर्याप्त तहसीलदार एव नायब तहसीलदारों के होते हुए भी अधीक्षक/सहायक अधीक्षक भू-अभिलेख से उनका मूल कार्य न लेकर तहसीलदारों को उनका प्रभार देकर उन्हें तहसीलदार/नायब तहसीलदार का प्रभार दिया जा रहा है, जो शासन के दिशा-निर्देशों की अवमानना है.

पूर्व में तहसीलदार से डिप्टी कलेक्टर पद पर पदोन्नति के अनुपात को 50:50 किए जाने एवं नायब तहसीलदारों को राजपत्रित अधिकारी बनाए जाने की घोषणा की गई थी, लेकिन इसे आज तक अमल में नहीं लाया गया है.

प्रदेश भर के तहसीलदार और नायब तहसीलदारों ने पूर्व में भी मुख्यमंत्री एवं राजस्व मंत्री से भेट कर सभी मामलों से अवगत कराया था. जिस पर आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है.

प्रदेश के 5 हजार पटवारी भी हड़ताल पर

प्रदेश के करीब 5 हजार पटवारी अपनी 32 सूत्रीय मांगों को लेकर 8 जुलाई से अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं.

पटवारी संघ की मांग है कि सरकार आनलाइन काम करने की सुविधा उपलब्ध कराए. पटवारी लंबे समय से कंप्यूटर, लैपटाप, प्रिंटर, स्कैनर और इंटरनेट की मांग कर रहे हैं. फिलहाल पटवारी अपने संसाधनों से आनलाइन काम कर रहे हैं. इससे उनके ऊपर अतिरक्त खर्च का भार आ रहा है.

पटवारी संघ ने इससे पहले राजस्व सचिव और भू-अभिलेख के संचालक को ज्ञापन दिया था, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई.

प्रदेश के राजस्व मंत्री टंकराम वर्मा को भेजी गई अपनी 32 सूत्रीय मांगों में पटवारी संघ ने भुइयां एप को लेकर आ रही दिक्कतों की ओर भी ध्यान आकृष्ट कराया है.

इसके बाद मांगे पूरी न होने पर सोमवार से प्रदेशभर के पटवारी हड़ताल पर चले गए.

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