छत्तीसगढ़ में नोटा दूसरी पसंद
कांकेर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के अंतागढ़ उपचुनाव में नोटा ने नया इतिहास रचा है. नोटा यानी ‘इनमें से कोई नहीं’ का चुनाव करने वालों की संख्या इस बार 13506 रही है और जीतने वाले प्रत्याशी के बाद दूसरे नंबर पर नोटा ही है. भाजपा के उम्मीदवार भोजराज नाग को 63616 वोट मिले हैं और वे विजेता बन कर उभरे हैं, जबकि अंबेडकराईट पार्टी आफ इंडिया के रूपधर पुड़ो को केवल 12086 वोट से संतोष करना पड़ा है.
पहली बार नवंबर 2013 में अंतागढ़ में 77 फीसदी लोगों ने मतदान किया था. और नोटा का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 4710 थी. लेकिन इस बार केवल 58.73 फीसदी लोगों ने ही मतदान किया और नोटा पर मुहर लगाने वालों की संख्या दुगनी से अधिक हो गई.
पिछले साल नवंबर में हुये विधानसभा चुनाव में भी नोटा ने अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी. विधानसभा की 90 में से 35 सीटों पर कांग्रेस और भाजपा के बाद जनता ने नोटा को चुना था. बस्तर की सभी 12 सीटों पर नोटा का जम कर इस्तेमाल हुआ.
कांकेर में कांग्रेस के शंकर ध्रुवा की जीत का अंतर 4625 था, जबकि नोटा का इस्तेमाल करने वालों की संख्या 5208 थी. दंतेवाड़ा में कांग्रेस की देवती कर्मा कुल 5987 वोटों से जीतीं लेकिन वहां 9677 लोगों ने नोटा में वोट डाले.
इसी तरह कोंडागांव में कांग्रेस के ही मोहन मरकाम 5135 वोटों से जीते, वहां 6773 लोगों ने नोटा में वोट डालना पसंद किया. बस्तर की हरेक सीट पर चार हज़ार से अधिक नोटा वोट पड़े थे. चित्रकोट में कांग्रेस के दीपक बैज को कुल 50303 वोट मिले और जनता ने 10848 वोट नोटा में डाले थे.
हाल में हुये लोकसभा चुनाव में भी मतदाताओं ने नोटा पर बहुत भरोसा जताया. छत्तीसगढ़ की 11 में से आदिवासी बहुल पांच सीटों पर जनता ने उम्मीदवारों की बजाए तीसरे नंबर पर नोटा को चुना. राज्य के दूसरे इलाक़ों में भी बड़ी संख्या में मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया था.
माओवाद प्रभावित बस्तर में 38772 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया, जो राज्य में सबसे अधिक था. कांकेर में 31917 मतदाताओं ने नोटा का बटन दबाया था. यहां तक कि मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृह ज़िले राजनंदगांव में भी 32384 लोगों ने नोटा को चुना. यहां से रमन सिंह के पुत्र अभिषेक सिंह को जनता ने अपना सांसद चुना था.
राज्य के उत्तरी हिस्से सरगुजा में 29349 वोट नोटा में पड़े तो रायगढ़ में भी 28480 मतदाताओं ने नोटा को चुना.