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क्या भाजपा के साथ सरकार बनायेंगे नीतीश कुमार

पटना | संवाददाता: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद अब अनुमान लगाया जा रहा है कि नीतीश कुमार अब भाजपा के समर्थन से सरकार बना सकते हैं. नीतीश कुमार के ताज़ा फैसले को लेकर फिलहाल अटकलों का बाज़ार गरम है. इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी नीतीश कुमार की प्रशंसा में ट्वीट करते हुये कहा है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई में जुड़ने के लिये नीतीश कुमार जी को बहुत-बहुत बधाई. सवा सौ करोड़ नागरिक ईमानदारी का स्वागत और समर्थन कर रहे हैं.

दूसरी ओर नीतीश कुमार ने कहा है कि मौजूदा माहौल में मेरे लिए नेतृत्व करना मुश्किल हो गया है. अंतरात्मा की आवाज़ पर कोई रास्ता नहीं निकलता देखकर ख़ुद ही नमस्कार कह दिया. अपने आप को अलग किया.

243 सदस्यों वाली बिहार विधानसभा में बहुमत के लिये 122 विधायकों की ज़रुरत है. लालू यादव की पार्टी राजद के 80 विधायक हैं, वहीं नीतीश कुमार की पार्टी जदयू के पास 71 विधायक हैं. तीसरी सबसे बड़ी पार्टी भाजपा के पास 53 विधायक हैं. वहीं कांग्रेस 27 विधायकों के साथ चौंथे नंबर की पार्टी है. पांच विधायक भाजपा के सहयोगी दलों के पास हैं.

नीतीश कुमार पहले भी भाजपा के साथ सरकार चला चुके हैं. लालू परिवार के घोटाले में फंसने के बाद भाजपा ने भी उन्हें खुलेआम सहयोग का आश्वासन दिया था कि अगर नीतीश लालू के साथ गठबंधन तोड़ दें तो भाजपा उनकी सरकार को समर्थन देने के लिये तैयार है. हालांकि राजनीति में ऐसी बयानबाजियों का कोई खास महत्व नहीं होता लेकिन यहां परिस्थितियां ऐसी ही हैं कि भाजपा के पास नीतीश कुमार की सरकार को समर्थन देने के अलावा कोई चारा नहीं है.

हालांकि पिछली सरकार में भाजपा के अनुभव बहुत अच्छे नहीं थे और नीतीश कुमार की सरकार के कारण ही भाजपा की बिहार में दुर्गति भी हुई. लेकिन एक बार फिर भाजपा बिहार में सरकार को समर्थन देने की स्थिति में है. लेकिन क्या यह समर्थन बाहरी होगा या पिछली बार की ही तरह मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री दोनों दलों की ओर से चुने जायेंगे, इसे भी लेकर केवल अनुमान लगाया जा सकता है.

पिछले कुछ महीनों में नीतीश कुमार की भाजपा से और खास तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से दूरियां कम हुई हैं. ऐसे में भाजपा थोड़ी मान-मनौव्वल के बाद तैयार हो जायेगी, इसमें किसी को संशय नहीं है. लेकिन राजनीति में शपथ ग्रहण का सिक्का जब तक हक़ में न गिरे, तब तक सारा कुछ किंतु, परंतु, लेकिन जैसे संशयों के साथ ही अटका होता है.

लालू यादव की राजद अगर बिहार में सरकार बनाती है तो कांग्रेस का साथ मिला कर भी उनके सदस्यों की संख्या 107 होती है. ऐसे में समर्थन के लिये उन्हें जदयू या भाजपा के असंतुष्टों पर ही निर्भर रहना होगा. ऐसे कम से कम 15 असंतुष्ट हों, तभी बात बनेगी.

वैसे बिहार और राजनीति की नब्ज समझने वाले यह जानते हैं कि आज की राजनीति में यह कोई मुश्किल काम नहीं है. लेकिन लालू पर कितना भरोसा किया जायेगा और खुद लालू इस भरोसे की क्या कीमत चुकाने के लिये तैयार होंगे, यह सबसे बड़ा सवाल है.

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