प्रसंगवश

महाभारत के संजय दत्त

महाभारत के संजय, धृतराष्ट्र, महाराष्ट्र के संजय दत्त और आंखों पर पट्टी बांधी न्याय की देवी के बीच के रिश्तों को जानना-परखना बहुत मुश्किल नहीं है. इसके कई पाठ हो सकते हैं. लेकिन बुधवार को दिल्ली की अदालत में जो कुछ घटा, उसके पाठ बहुत गहराई से तमाम रिश्तों की पड़ताल की मांग करते हैं.

आखिरकार संजय दत्त को मुंबई बम ब्लास्ट के दरम्यान हथियार रखने के लिये मिली सजा को भुगतने के लिये चार हफ्तो की मोहलत प्रदान कर दी गई है. संजय दत्त पर फिल्म उद्योग के करीब 278 करोड़ रुपये लगे हैं. इस आधार पर समर्पण करने के लिये छह माह की मोहलत शीर्ष अदालत से मांगी गई थी. जिसे अस्वीकार कर चार हफ्तों की मोहलत प्रदान की गई है.

फिल्म एक उद्योग है, जो लोगों का मनोरंजन कर मुनाफा कमाती है. क्या इससे यह अर्थ निकाला जाए कि यह मोहलत फिल्म उद्दोग को अपना व्यापार जारी रखने के लिये दी गई है. तो क्या मुंबई बम धमाको के मुजरिम दाऊद इब्राहिम को सजा देना संभव हो पाया तो उसे भी अपने कारोबार को नुकसान से बचाने के लिये मोहलत दी जायेगी. सुरेश कलमाड़ी को भी मोहलत दी जानी चाहिये. आखिरकार वे एक सांसद हैं जिसके कंधो पर अपने इलाके के विकास की भी जिम्मेदारी रहती है. तिहाड़ में सड़ रहे सांसद पप्पू यादव भी लाइन में खड़े हैं.

संजय दत्त को यह मोहलत अपना धंधा चलाने के लिये मिली हुई है. उसके तर्क हैं कि उस पर अरबों रुपये फिल्म इंडस्ट्री के लगे हुये हैं और अगर उन्हें इन फिल्मों को पूरा करने का अवसर नहीं मिलेगा तो हजारों लोग परेशान हो जाएगे. लाख टके का सवाल है कि जब विशेष अदालत ने 2007 में ही संजय को कैद करने का यह फैसला सुना दिया था तो फिल्म उद्योग ने संजय दत्त को लेकर फिल्म बनाने की जिम्मेवारी किसके कहने पर ली थी ?

अदालत का कहना है कि उन्होंने मानवीय आधार पर फैसला लिया है और संजय दत्त को 4 सप्ताह की छूट दी है. लेकिन एक दिन पहले ही मानवता को आधार बना कर दायर की गई जैबुन्निशा, इसहाक और अब्दुल गफूर की याचिका अदालत ने खारिज कर दी थी.

अब्दुल गफूर को उम्र कैद की सजा मिली है. वो 14 साल जेल में गुजार चुके हैं. 88 साल के गफूर को संभालने के लिए दो लोगों की जरूरत पड़ती है. ऐसी ही हालत 72 साल के इसहाक की भी है. एक अन्य महिला जैबुन्निशा कैंसर की मरीज हैं. जाहिर है, मानवता को आधार बना कर जैबुन्निशा, इसहाक और अब्दुल गफूर का नाम सबसे पहले सामने आना था. लेकिन जिन्हें अरबों का धंधा करना है, उन्हें सारी छूट मिल गई है. इस फैसले की धमक कब तक रहेगी, यह देखना दिलचस्प होगा.

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