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नान घोटाले पर ED के आरोपों की सुनवाई टली

नई दिल्ली | डेस्क: छत्तीसगढ़ के 36 हज़ार करोड़ के कथित नान घोटाले के आरोपी IAS को बचाने में राज्य के मुख्यमंत्री समेत दूसरे अधिकारियों की भूमिका की सुनवाई टल गई है.

ED ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में गंभीर आरोप लगाए थे.

इस मामले की सुनवाई 23 नवंबर को होनी थी.

सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने इस मामले की अर्जेंट हियरिंग का अनुरोध किया था. 23 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश की अदालत में यह मामला सुनवाई के लिए पहले नंबर पर लिस्टेड था.

लेकिन 23 नवंबर को सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता अनुपस्थित थे.

इस कारण मामले की सुनवाई टाल दी गई.

इससे पहले ED ने आरोप लगाया था कि इस कथित घोटाले के दो आरोपी आईएएस रहे आलोक शुक्ला और अनिल टूटेजा को बचाने के लिए मुख्यमंत्री, उनके अधिकारी, क़ानून विभाग से जुड़े अधिकारी साजिश कर रहे थे.

पिछले सप्ताह की सुनवाई में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने आरोपियों और प्रभावशाली व्यक्तियों के बीच व्हाट्सएप चैट को सीजेआई एनवी रमना की अध्यक्षता वाली पीठ के सामने पढ़ कर सुनाया था.

इस कथित चैट से पता चलता है कि कैसे कानून अधिकारी की मिलीभगत से आरोपियों को अग्रिम जमानत मिल गई.

जबकि दोनों आरोपी छत्तीसगढ़ में खाद्यान की खरीद और परिवहन में करोड़ों रुपये के कथित गबन मामले में शामिल हैं.

विपक्ष में रहते कांग्रेस करती थी विरोध

भाजपा शासनकाल में हुए इस 36 हज़ार करोड़ के कथित घोटाले को लेकर कांग्रेस पार्टी बेहद आक्रमक रही है.

दोनों आरोपी आईएएस डॉ. आलोक शुक्ला और अनिल टुटेजा की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कांग्रेस राज्य भर में आंदोलन चलाती रही है.

भूपेश बघेल ने इनकी गिरफ़्तारी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी तक लिखी थी.

लेकिन सत्ता में आते ही दोनों अधिकारी सरकार के सबसे करीबी हो गये.

हालत ये हो गई कि सेवानिवृत्ति के बाद भी आलोक शुक्ला को फिर से नियुक्ति दी गई.

आज की तारीख़ में आलोक शुक्ला स्कूल शिक्षा विभाग एवं अतिरिक्त प्रभार-अध्यक्ष, छ0ग0 माध्यमिक शिक्षा मंडल,रायपुर ,संसदीय कार्य ,तकनीकी शिक्षा, रोजगार, लोक स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण और चिकित्सा शिक्षा के प्रमुख सचिव हैं.

परसा कोयला खदान को हरी झंडी?

इन सुनवाइयों के बीच ख़बर है कि राज्य सरकार ने हसदेव अरण्य के परसा कोयला खदान के दूसरे चरण की अनापत्ति की प्रक्रिया शुरु कर दी है.

राजस्थान सरकार को आवंटित यह कोयला खदान, एमडीओ के तहत अडानी समूह को दी गई है.

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस मामले में जल्दी कार्रवाई के लिए भूपेश बघेल को पत्र भी लिखा है.

हालांकि राजस्थान को 15 साल के लिए आवंटित एक कोयला खदान से, अडानी समूह ने सारा कोयला सात साल में ही खोद कर निकाल लिया.

15 साल की ज़रुरत के इस कोयले को 7 साल में कहां खपाया गया, इसे लेकर भी सवाल उठते रहे हैं.

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