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शिवराज सरकार की फजीहत तय

भोपाल | एजेंसी : कहावत है कि कद्दू गिरे चाकू पर या चाकू गिरे कद्दू पर, कटना कद्दू को ही है. मध्य प्रदेश में ठीक यही हालत भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार की हो गई है.
राज्यपाल रामनरेश यादव के सुझाव पर यदि विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया जाता है तो सरकार को कांग्रेस के हमलों को झेलना होगा और नहीं बुलाती है तो पूरे प्रदेश में सरकार की मंशा पर सवाल उठेंगे.

राज्य विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव के जरिए कांग्रेस सीधे तौर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान व उनके परिजनों पर आरोप लगाने वाली थी. इस स्थिति को टालने के लिए भाजपा ने रणनीति बनाई और
कांग्रेस को ही मुसीबत में डालकर उनके उपनेता चौधरी राकेश सिंह चतुर्वेदी को बगावत के लिए खड़ा कर दिया. इसके चलते विधानसभा में हंगामा हुआ और विधानसभाध्यक्ष ईश्वर दास रोहाणी ने सत्र को
अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया. बाद में चतुर्वेदी भाजपा में शामिल हो गए.

अविश्वास प्रस्ताव पर चर्चा कराए बगैर सत्र स्थगित करने के बाद राज्य की राजनीति में गर्माहट आई और विपक्ष ने सरकार की शिकायत राज्यपाल से की. राज्यपाल ने मुख्यमंत्री से लेकर विधानसभाध्यक्ष तक
को तलब कर डाला. लगभग एक पखवाड़े तक हर किसी की नजर राजभवन पर टिकी रही. शुक्रवार को अखिरकार राज्यपाल यादव ने सरकार को सत्र बुलाने का सुझाव दे दिया.

राज्यपाल का सत्र बुलाने का सुझाव आने के बाद से जहां काग्रेस की बांछें खिली हुई हैं, वहीं सरकार मंथन के दौर से गुजर रही है. ऐसा इसलिए क्योंकि सत्र बुलाने व न बुलाने पर सरकार को ही कटघरे में खड़ा
होना है.

राज्यपाल की पहल को सरकार के रणनीतिकारों की बड़ी असफलता के तौर पर देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए क्योंकि रणनीतिकारों ने मुख्यमंत्री व सरकार पर लगने वाले आरोपों को विधानसभा के रिकार्ड में दर्ज
न होने देने की रणनीति बनाई थी और वह पहले चरण में सफल भी रहीं, मगर अब वही रणनीति सवालों के घेरे में आ गई है.

एक तरफ राज्यपाल ने सत्र बुलाने का सुझाव दे दिया है, वहीं कांग्रेस संभागीय मुख्यालयों में अविश्वास सभा कर मुख्यमंत्री व उनके परिजनों पर वही आरोप लगाए जा रही है जो विधानसभा में लगाए जाने वाले थे.

सरकार धर्म संकट में फंसी है, क्योंकि अगर वह सत्र बुलाने के लिए तैयार हो जाती है तो सदन में फिर मुख्यमंत्री और उनके परिजनों-रिश्तेदारों पर आरोप लगेंगे और अगर नहीं बुलाती है तो कांग्रेस सरकार पर
राज्यपाल की अनुशंसा की अवहेलना का आरोप लगाएगी, वहीं राज्यपाल के पास लंबित अनुपूरक बजट व अन्य प्रस्ताव मंजूर कैसे होंगे.

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजय सिंह का कहना है कि राज्यपाल की सिफारिश से एक बात तो साफ हो गई है कि सरकार ने नियम विरुद्ध सत्र को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कराया था, मगर सरकार सत्र
बुलाएगी इसकी संभावना कम ही है.

वहीं सरकार के प्रवक्ता नरोत्तम मिश्रा ने साफ कर दिया है कि सरकार राज्यपाल के पत्र के बाद विधि विशेषज्ञों से राय ले रही है. उसके बाद ही सरकार आगे फैसला लेगी.

विशेष सत्र को लेकर संशय बना हुआ है, सरकार अभी अपने पत्ते नहीं खोल रही है. उसकी कोशिश है कि सत्र भी न बुलाना पड़े और राज्यपाल के सुझाव की अवहेलना न हो. ठीक वैसे ही कि सांप भी मर जाए
और लाठी भी न टूटे.

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