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विज्ञान ने भारत निर्माण में मदद की

मुंबई | एजेंसी: प्रधानमंत्री मोदी ने कहा विज्ञान ने आधुनिक भारत के निर्माण में मदद की है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि विज्ञान ने आधुनिक भारत के निर्माण में मदद की है और इसके साथ ही उन्होंने वैश्विक रूप से देश को पहली पांत में खड़ा करने की दिशा में किए गए कार्य के लिए वैज्ञानिकों की सराहना की. मोदी ने 102 भारतीय विज्ञान सम्मेलन 2015 को संबोधित करते हुए कहा, “विज्ञान ने आधुनिक भारत के निर्माण में मदद की है. हमारे वैज्ञानिकों ने सामान्य संसाधानों के बीच उत्कृष्ट परियोजनाओं से बेहतरीन संस्थाओं का निर्माण किया, जिससे आज भारत को कई क्षेत्रों में विश्व में पहली पंक्ति में ला खड़ा करने में मदद मिली.”

उन्होंने कहा कि देश की प्रगति और इसके लोगों का विकास विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़ा हुआ है, लेकिन यह असमानता को बढ़ा सकता है और पर्यावरण को क्षति भी पहुंचा सकता है.

मोदी ने कहा, “एक देश की प्रगति और इसके मानव का विकास विज्ञान और प्रौद्योगिकी से जुड़ा होता है. यह राष्ट्रीय सीमाओं को मिटा कर विश्व को एक कर शांति बढ़ा सकता है, यह वैश्विक चुनौतियों से लड़ने के लिए विभिन्न देशों, गरीबों और अमीरों को साथ ला सकता है.”

उन्होंने हालांकि आगाह करते हुए कहा कि विज्ञान असमानता बढ़ा सकता है और विध्वंसकारी युद्ध कर सकता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचा सकता है.

प्रधानमंत्री ने कहा, “विज्ञान और प्रौद्योगिकी में हमारा निवेश केंद्र सरकार की एजेंसियों तक सिमटा हुआ है जिसका विस्तार बेहद जरूरी है.”

मोदी ने भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान, इसरो को पहले ही प्रयास में मंगलयान को मंगल की कक्षा में पहुंचाने के लिए बधाई देते हुए कहा, “जब कभी विश्व ने हमारे लिए द्वार बंद किए, हमारे वैज्ञानिकों ने राष्ट्रीय मिशन के उत्साह के साथ इसका जवाब दिया.”

उन्होंने कहा, “जब कभी विश्व ने हमारे सहयोग की मांग की, उनका खुले दिल से स्वागत किया गया, जो व्यवहार हमारे समाज में रचा-बसा हुआ है.”

विज्ञान को मानव विकास से जोड़ते हुए उन्होंने कहा कि दोनों को राजनीतिक निर्णयों, सामाजिक चुनाव और समानता, नैतिकता और पहुंच के सवाल से अलग नहीं किया जा सकता.

उन्होंने कहा कि मानव विकास भारतीय वैज्ञानिक कार्यो का मुख्य लक्ष्य और इसके संचालन की ताकत है.

मोदी ने कहा कि विज्ञान और प्रौद्योगिकी तक गरीबों की भी पहुंच होनी चाहिए.

उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार तक गरीबों, दूरवर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों और अति संवेदनशील लोगों की पहुंच आवश्यक है.”

यह सम्मेलन मुंबई विश्वविद्यालय में आयोजित किया गया है, जहां विश्वभर के वैज्ञानिक और नोबेल पुरस्कार विजेता अपने शोधपत्र पेश करेंगे.

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