माओवादियों ने कांग्रेस नेता को मार डाला
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ के बीजापुर में संदिग्ध माओवादियों ने मुखबिर होने का आरोप लगा कर युवक कांग्रेस नेता की हत्या कर दी है. पुलिस ने हत्या की पुष्टि की है. हालांकि पुलिस शनिवार को इस घटना की खबर मिलने के बाद भी मौके पर नहीं पहुंची थी.
पुलिस को इस बात की आशंका थी कि माओवादी ट्रैप में उन्हें फंसा कर उन पर हमला कर सकते हैं.
पुलिस के अनुसार शनिवार को भैरमगढ़ इलाके के कोस्टापारा के सहदेव समरथ को पुलिस का मुखबिर बता कर माओवादी उन्हें उनके घर से उठा कर ले गये.
इसके बाद धारदार हथियार से उनकी हत्या कर दी गई.
जिस स्थान पर माओवादियों ने सहदेव की हत्या की है, वहां से थाना की दूरी महज एक किलोमीटर है.
सूत्रों का कहना है कि माओवादी पिछले कुछ महीनों से इस इलाके में सुरक्षाबलों के ऑपरेशन को लेकर बौखलाये हुये हैं. उन्होंने गांव वालों को डराने के लिये चेतावनी दी थी कि कोई भी सुरक्षाबलों से संपर्क न रखे.
इधर ग्रामीणों का कहना है कि अगर वे गांव की समस्याओं को लेकर भी किसी जनप्रतिनिधि या अधिकारी-कर्मचारी से संपर्क करते हैं तो माओवादी उन्हें धमकी देते हैं.
पूर्व मंत्री गागड़ा के निशाने पर था-कांग्रेस
इधर सहदेव समरथ की हत्या की कांग्रेस पार्टी ने कड़ी निंदा की है. प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री और कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए इसे माओवादियों की कायराना हरकत करार दिया है. झीरम हमले की छठी बरसी के अवसर पर इस घटना के कार्य किए जाने पर सवालिया निशान खड़े करते हुए कांग्रेस ने राज्य सरकार से इस मामले की जांच की मांग की है.
कांग्रेस की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि सहदेव समरथ एक छात्र नेता था और माओवादी क्षेत्र गुड़साकल का निवासी था. विधानसभा चुनाव में सहदेव समरथ ने अपने गांव और आसपास के इलाके में कांग्रेस का जमकर प्रचार किया था और उस क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार को बड़ी लीड प्राप्त हुई थी.
त्रिवेदी ने आरोप लगाया है कि विधानसभा चुनाव के समय से ही भाजपा के पूर्व मंत्री महेश गागड़ा के समर्थकों के निशाने पर सहदेव समरथ था. जब सहदेव समरथ को जानकारी मिली कि उसके ऊपर इस तरीके से निशाना साधा जा रहा है तो वह अपना गांव गुड़साकल छोड़कर भैरमगढ़ के कोस्टा पारा में रहने लगा था और ऑटो चला कर अपनी रोजी-रोटी की व्यवस्था करता था.
कांग्रेस नेता शैलेष नितिन त्रिवेदी ने दावा किया है कि सहदेव समरथ का किसी भी प्रकार की मुखबिर या ऐसी किसी भी गतिविधि से कोई लेना देना नहीं था.