‘एक अरब भारतीयों का विश्वास तोड़ा’
नई दिल्ली | संवाददाता: मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को विश्वास तोड़ने वाला कहा है. पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी को एक अरब से ज्यादा भारतीयों के विश्वास को तोड़ने वाला करार दिया है. ‘द हिन्दू’ में लिखे अपने लेख ‘एक विशाल त्रासदी का बनना’ में उन्होंने लिखा है कि पैसा विश्वास को बढ़ाता है. 9 नवंबर की रात को एक अरब से ज्यादा भारतीयों के विश्वास को तोड़ा गया है.
अपने लेख में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने नोटबंदी के फैसले के लिये प्रधानमंत्री मोदी की आलोचना की है.
मनमोहन सिंह का कहना है कि नोटबंदी से ईमानदार भारतीयों को ‘भारी नुकसान’ होगा तथा बेईमान एवं काला धन जमा करने वाले ‘हल्की सी चोट के बाद’ बच निकलेंगे.
उन्होंने कहा है कि इससे देश का सकल घरेलू उत्पादन कम होगा तथा नई नौकरियों में कमी आयेगी.
हालांकि, मनमोहन सिंह ने नोटबंदी के माध्यम से कर चोरों, आतंकवादियों एवं नकली नोट पर चोट करने की प्रधानमंत्री मोदी की मंशा की तारीफ की है तथा इसके लिये उनका खुले दिल से समर्थन किया है.
मनमोहन सिंह का कहना है कि भारतीय कामगारों में से 90 फीसदी को मजदूरी नगद में मिलती है. जिसमें करोड़ों खेतिहर मजदूर तथा निर्माण मजदूर शामिल हैं.
उन्होंने अपने लेख में इसे स्वीकार किया है कि 2001 की तुलना में ग्रामीण क्षेत्रों मे बैंकों की संख्या दुगनी हुई है इसके बाद भी करीब 60 करोड़ भारतीय ऐसे गांवों या शहरों में रहते हैं जहां बैंक नहीं हैं. नगदी ही इन लोगों के जीवन का आधार है.
मनमोहन सिंह ने आगे लिखा है ऐसे लोग अपनी बचत को नगद के रूप में ही रखते हैं जो पांच सौ तथा हजार के नोट के रूप में होता है. इसे बंद कर देना दरअसल करोड़ों लोगों को परेशानी में डाल देने वाली विशाल त्रासदी है.
अपने लेख का अंत करते हुये मनमोहन सिंह ने कटाक्ष किया है-Waging a war on black money may sound enticing. But it cannot entail even a single loss of life of an honest Indian.