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‘make in india’ में अमरीका को निमंत्रण

वांशिगटन | एजेंसी: मोदी सरकार ‘मेक इन इंडिया’ के माध्यम से भारत को मैनुफैक्चरिंग हब बनाना चाहता है. भारतीय अधिकारियों के मुताबिक मुख्य क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का रास्ता खोलने, औद्योगिक विकास में वृद्धि के लिए प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल और कारोबार करने में आसानी मोदी सरकार की ‘मेक इन इंडिया’ पहल की विशिष्टताएं हैं. औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग, डीआईपीपी के सचिव अमिताभ कांत ने यहां मंगलवार को एक आयोजन में कहा कि औद्योगिक गलियारों, अधोसंरचना विकास और स्मार्ट शहरों के जरिए विनिर्माण को बढ़ावा देना ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के अन्य प्रमुख स्तंभ हैं.

कन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्री, सीआईआई और भारतीय दूतावास द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में जिन बातों का जिक्र किया गया, उनमें निर्माण, रक्षा, रेलवे, चिकित्सा उपकरण आदि प्रमुख क्षेत्रों में भी एफडीआई का रास्ता खोलना, तथा विकास दर को गति देने के सरकार के वास्तविक वादे शामिल थे.

अमिताभ कांत ने भारत में कारोबार के लिए अमरीकी उद्योग जगत को मेक इन इंडिया अभियान के तहत विभिन्न क्षेत्रों में वृहद अवसरों का लाभ उठाने पर जोर दिया. इसमें घरेलू बाजार में कारोबार करना और निर्यात शामिल है.

उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत और अमरीका को ‘योग्यता और नवाचार’ के लिए अवश्य साझेदारी करनी चाहिए.

कांत ने स्पष्ट किया कि भारत के आशावान युवाओं के लिए लाखों रोजगार के अवसरों का सृजन करना और अर्थव्यवस्था में उत्पादन को तरजीह देना अनिवार्य है. मौजूदा समय में भारत की जीडीपी में विनिर्माण क्षेत्र का योगदान सिर्फ 16 प्रतिशत ही है, जो काफी कम है.

अमरीका में भारत के राजदूत एस.जयशंकर ने अपने व्यकतव्य में भारत में नई सरकार के ‘उद्देश्य की ताकत और इरादों की गंभीरता’ की सराहना की. इसके साथ ही उन्होंने अमरीका-भारत के द्विपक्षीय संबंधों में नई सकारात्मकता को भी रेखांकित किया.

अमरीका में कॉमर्स फॉर ग्लोबल मार्किट्स के सहायक सचिव अरुण कुमार ने मेक इन इंडिया अभियान के संदर्भ में और अमरीकी कंपनियों की मदद के लिए अमरीकी वाणिज्य विभाग द्वारा भारत सरकार के साथ साझेदारी में पहले से शुरू किए गए विभिन्न अभियानों के बारे में बताया.

उन्होंने विशेष रूप से विनिर्माण विस्तार भागीदारी नेटवर्क के जरिए भारत के साथ बेहतर तालमेल बनाने की इच्छा दोहराई.

इस आयोजन में अमरीका और भारतीय निजी क्षेत्रों, सरकारी एजेंसियों, अकादमिक संस्थानों, थिंक टैंक और मीडिया क्षेत्र से 200 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया.

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