छग के नतीजों से चेती मप्र भाजपा
भोपाल | एजेंसी: पड़ोसी राज्य छत्तीसगढ़ के नगर निकाय चुनाव में सत्ताधारी दल, भाजपा को अपेक्षा अनुरूप सफलता न मिलने पर पार्टी की मध्य प्रदेश इकाई चेत गई है. इसके बाद वह किसी तरह का जोखिम उठाने को तैयार नहीं है.
भाजपा ने दो विधायकों सहित कई कार्यकर्ताओं को नोटिस जारी कर यह संदेश देने की कोशिश की है कि इसी माह होने वाले चार नगर पालिका चुनावों में किसी ने गड़बड़ी या भितरघात किया तो उसे बख्शा नहीं जाएगा.
अभी हाल ही में छत्तीसगढ़ में हुए नगर निकाय चुनाव में कांग्रेस ने पिछले चुनावों के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन किया है, और नगर पालिक व नगर निगम में बाजी बराबरी पर रही है तो नगर पंचायतों में कांग्रेस, भाजपा से कहीं आगे निकल गई है. कुल मिलाकर नगर निकाय चुनाव के नतीजे कांग्रेस को उत्साहित और भाजपा में अंदर खाने सवाल उठाने वाले हैं.
मध्य प्रदेश में दो चरणों मे हुए नगर निकाय चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस को आगे बढ़ने का मौका नहीं दिया. पिछले दिनों जिन 10 नगर निगमों में चुनाव हुए, उन सभी में भाजपा ने अपना परचम फहराया.
अब चार नगर निगमों के चुनाव इसी माह के अंत में हैं. भाजपा ने चुनाव तो आसानी से जीत लिए थे मगर दो नगर निगमों में पार्षद ज्यादा होने के बावजूद सभापति के चुनाव में उसे नुकसान उठाना पड़ा है.
राज्य में चार नगर निगमों सहित नौ नगर निकायों के चुनाव की तैयारियों में पार्टी जुटी थी तभी छत्तीसगढ़ के नगर निकाय चुनाव के नतीजे आ गए. इन नतीजों ने पार्टी को चेता दिया है कि अगर उसकी ओर से बगावत करने वालों या उनका साथ देने वालों पर लगाम न कसा गया तो चुनाव में नुकसान हो सकता है.
भाजपा में इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर में महापौर के अलावा पार्षद उम्मीदवारों के चयन को लेकर विरोध के स्वर उठे हैं. इसके चलते पार्टी संगठन ने पिछले दिनों हुए चुनाव में बगावत या बागियों का साथ देने वालों के खिलाफ सख्त रवैया अपनाने का संकेत देने की कोशिश की है. उसी तारतम्य में दो विधायकों को कारण बताओ नोटिस तक जारी कर दिए गए हैं.
भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष नंद कुमार सिंह चौहान ने दो विधायकों -देवास के तुकोजी राव पंवार और सिंगरौली के विधायक राम लल्लू वैश्य- को कारण बताओ नोटिस जारी किए हैं.
दोनों विधायकों पर आरोप हैं कि उनके जिले की नगर निगम के सभापति के चुनाव में पार्टी के अधिकृत उम्मीदवार के खिलाफ चुनाव लड़ने वाले बागियों का उन्होंने साथ दिया है.
प्रदेशाध्यक्ष ने इसी कड़ी में तीन कार्यकर्ताओं को निलंबित भी किया है.
यह अलग बात है कि मध्य प्रदेश की कांग्रेस इकाई ने छत्तीसगढ़ से किसी तरह की सीख लेने कोशिश नहीं की है. छत्तीसगढ में कांग्रेस ने गुटबाजी को काफी हद तक त्याग कर चुनाव लड़ा और नतीजे उसके लिए उत्साहजनक रहे, मगर मध्य प्रदेश में तो उम्मीदवारी अंतिम दिन ही तय हो पाई. कई नेता संगठन को धमकाने तक से नहीं चूके.
सोशल मीडिया फाउंडेशन के रवींद्र व्यास का कहना है कि कांग्रेस की ही तरह भाजपा भी गुटबाजी से अछूती नहीं है. भाजपा सत्ता में है, लिहाजा पार्टी का कार्यकर्ता अपना भी प्रभाव बढ़ाने की महत्वाकांक्षा रखता है, तो नेता भी अपने समर्थक को उम्मीदवार बनाना चाहते हैं. इसके चलते भाजपा में बगावत और भितरघात की आदत पड़ती जा रही है.
उन्होंने कहा, “यह बात सही है कि पड़ोसी राज्य के नतीजों से राज्य की इकाई कुछ चेती है और उसने कुछ पर कार्यवाही करके यह संकेत दिया है कि आप चाहे जितने बड़े नेता हों, अगर पार्टी लाइन से अलग जाते हैं तो पार्टी सख्त फैसला ले सकती है.”