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मप्र में अपनों से डरी-सहमी कांग्रेस व भाजपा

भोपाल | एजेंसी: मध्य प्रदेश में इन दिनों भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस अपनों से ही डरी-सहमी है. दोनों को ही विधानसभा चुनाव के उम्मीदवारों को लेकर असंतोष बढ़ने के साथ बगावत की आशंका सताए जा रही है. यही कारण है कि दोनों प्रमुख दल उम्मीदवार चयन को लेकर फूंक-फूंककर कदम बढ़ा रहे हैं.

राज्य में अगले माह अर्थात नवंबर की 25 तारीख को विधानसभा के लिए मतदान होने वाला है. भाजपा जहां जीत की हैट्रिक बनाना चाहती है तो दूसरी ओर एक दशक से सत्ता से बाहर कांग्रेस फिर वापसी चाहती है. इसके लिए दोनों दल अपने-अपने तरह से रणनीति बना रहे हैं, मगर बगावत की आशंका से दोनों ही सशंकित हैं.

दोनों ही दलों में चल रही खींचतान का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कांग्रेस को उम्मीदवारों के चयन के लिए सारी कवायद राज्य से बाहर दिल्ली में करनी पड़ रही है तो भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति दो दिनों तक मंथन करने के बाद भी सभी विधानसभा क्षेत्रों के लिए एक-एक उम्मीदवार का नाम तय नहीं कर पाई है.

भाजपा ने चुनाव से पहले अपने स्तर पर व अन्य संस्थाओं के जरिए सर्वेक्षण कराया था, जिसमें उसे सचेत कर दिया गया था, उसी के बाद से पार्टी उम्मीदवारों के चयन को लेकर कहीं ज्यादा गंभीर हो गई. वहीं दूसरी ओर कार्यकर्ताओं का कई मंत्रियों व विधायकों के खिलाफ खुलकर असंतोष सामने आने लगा. भोपाल के प्रदेश कार्यालय तक यह विरोध व प्रदर्शन की आग पहुंच गई. मार-पिटाई, पुतला दहन से लेकर पदाधिकारियों के खिलाफ पर्चे तक बांटे गए.

भाजपा की प्रदेश चुनाव समिति की दो दिन तक बैठक चली, इस बैठक में भी उम्मीदवारों के नामों को लेकर तनातनी तक हुई. समिति के आठ से ज्यादा ऐसे सदस्य जो खुद अपने व रिश्तेदार के लिए टिकट मांग रहे हैं. इस पर पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थावरचंद गहलोत का कहना है कि आखिर वे पार्टी कार्यकर्ता तो हैं, लिहाजा उनका टिकट मांगना अधिकार है. इतना ही नहीं पार्टी में भी कांग्रेस की तर्ज पर बढ़ते वंशवाद पर प्रदेश प्रभारी अनंत कुमार तक कोई जवाब नहीं दे पाए.

पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि चुनाव समिति ने अधिकांश विधानसभा क्षेत्रों के लिए एक-एक नाम की सूची बनाई है और अपनी अनुशंसा केंद्रीय चुनाव समिति को भेज दी है. अंतिम फैसला उसे ही करना है, 31 अक्टूबर को बैठक है और उसमें फैसला संभव है.

कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता अभय दुबे का कहना है कि कांग्रेस में किसी तरह की बगावत की आशंका नहीं है. दिल्ली में बैठक करने की पुरानी परंपरा है, लिहाजा इस बार भी बैठकें दिल्ली में हो रही है.

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