यौन कुंठितों के देश में
लक्ष्मण सिंह यादव | फेसबुक: कल अमर उजाला ने एक खबर प्रकाशित की. खबर थी कि jnu के हॉस्टलों में चेकिंग के दौरान लड़कों के कमरे में 12 लड़कियां पकड़ी गईं. खबर को इतनी सनसनी के साथ पेश किया गया जैसे वहां महापाप हो रहा था, जिसे प्रशासन द्वारा रोक दिया गया.
इसके 3 बिंदु हैं. पहला यह कि लड़कियों की एंट्री लडकों के होस्टल में वर्जित है ऐसा नहीं है. लेकिन अमर उजाला ने लिखा कि एंट्री वर्जित है. सच्चाई यह है कि रात्रि काल में बाहरी व्यक्ति का किसी छात्र के कमरे में सोना वर्जित है, पकड़े जाने पर फाइन होगा.
उसमे लिंग विशेष का कोई मामला ही नहीं. मुद्दा सेक्स का है तो सेक्स तो आदमी भी आदमी के साथ कर सकता है? लड़की लड़की के साथ? हेट्रो सेक्स से दिक्कत क्यों?
7 साल पहले मैंने rti के माध्यम से पूछा था कि क्या jnu के छात्रावास में आकस्मिक चेकिंग होने पर अवैध रूप से रहने पर पुरुष, स्त्री एवम उभयलिंगी के लिए कितना फाइन देना होगा? जवाब था कि समान फाइन देना होगा. इस rti से चिढ़कर चीफ प्रॉक्टर ने मुझे फोन करवाया था. जिसका करारा जवाब मैने प्रॉक्टर को दिया ” जो हो सकता हो, कर लो-अगर दम है तो. rti होती रहेंगी,जवाब देना होगा.
अब दूसरा बिंदु है सेक्स पत्रकारिता का. आजकल पोर्टल हमेशा सनसनीखेज सेक्स से सम्बंधित खबरे हिट्स बढाने के लिए प्रकाशित करते हैं. जिनकी न कोई सार्थकता न उपयोगिता.
मैं बारम्बर कह चुका हूं, यह भारतीय समाज यौन कुंठित समाज है, जब तक यहां स्वस्थ चर्चा नही होगी अखबार ऐसी उल जुलूल खबरें छापते रहेंगे. पत्रकारों की सही ट्रेनिंग भी जरूरी है. अगर इन्हें यौन सम्बन्धी खबर ही प्रकाशित करनी है तो खुल कर सेक्स का पन्ना छापना शुरू करे. jnu में किस किस मानवोपयोगी विषय पर शोध हो रहा है, ऐसी खबर शायद ही कभी प्रकाशित हो.