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नागलोक में मिले दुर्लभ ग्रीन पिट वाइपर

जशपुर | एजेंसी: छत्तीसगढ़ का जशपुर इलाका सांपों की बहुलता के कारण नागलोक के नाम से चर्चित है. इधर बीते तीन दिनों में यहां फिर दुर्लभ प्रजाति के दो सांप ग्रीन पिट वाइपर मिले हैं. इनमें से एक सांप को बिलासपुर के कानन पेंडारी जू के कर्मचारी ले गए, जबकि दूसरे को पकड़कर जंगल में छोड़ दिया गया. इस सांप को बम्बू पिट वाइपर भी कहा जाता है.

सर्प विशेषज्ञों के अनुसार, यह सांप दुर्लभ प्रजाति का है और इसमें हीमोटॉक्सिक जहर होता है. ग्रीन पिट वाइपर पेड़ों व बांसों के झुरमुट में छिपा होता है. स्वभाव से शांत यह सांप छेड़ने पर तेज गति से हमला करता है

ग्रीन पिट वाइपर मूलत: चीन, इंडोनेशिया, ताइवान, श्रीलंका, दक्षिण अमेरिका के जंगलों और दक्षिण भारत के कुछ हिस्सों में मिलता है. अब जशपुर के जंगलों में भी सांपों की यह प्रजाति पाई गई है. इसको लेकर अब यहां के जलवायु के बारे में विस्तृत अध्ययन की जरूरत महसूस की जा रही है.

प्रदेश में सांपों के संरक्षण में लगी संस्था ग्रीन नेचर वेलफेयर सोसायटी ने अब तक आधा दर्शन ग्रीन पिट वाइपर पकड़े हैं. संस्था के सदस्यों को दो दिन के अंदर इस प्रजाति के दो और सांप मिले हैं. संस्था के सदस्य कैसर हुसैन ने बताया कि वह आवासीय क्षेत्रों से सांपों को पकड़कर उन्हें जंगल में छोड़ देते हैं.

बीते दिनों संस्था के कर्मियों ने एक ग्रीन पिट वाइपर पकड़ा था और उसकी तस्वीर उन्होंने फेसबुक पर डाली थी. इसके बाद कई संस्थाओं ने शोध के लिए इस सांप की मांग की. साथ ही कानन पेंडारी (चिड़ियाघर) के कर्मचारियों ने भी उनसे संपर्क किया था.

कानन पेंडारी के कर्मचारियों के कहने पर गत शनिवार शाम वन विभाग के कर्मचारियों के साथ संस्था के सदस्य कैसर हुसैन, विवेक सिन्हा, रोहित कलियारी, सौरभ लकड़ा, गिरीश सिंह, दीपांशु महापात्रे शहर के मोहल्ले बरटोली में ग्रीन पिट वाइपर की तलाश में गए. खोजबीन के दौरान वहां के लोगों ने बताया कि पास में बांसों का एक झुरमुट है. जहां कई बार हरे रंग के सांप निकलते हैं.

संस्था के सदस्यों ने बांसों के झुरमुट के पास खोजबीन की, तो उन्हें वहां एक ग्रीन पिट वाइपर मिल गया, जिसे वन विभाग के कर्मियों की मदद से कानन पेंडारी वाले ले गए. वहीं रविवार को भी संस्था को सूचना मिली कि बरटोली में ही एक व्यक्ति के घर सांप घुस गया है. सूचना पर संस्था के सदस्य वहां पहुंचे. वहां ग्रीन पिट वाइपर ही था, जिसे संस्था के सदस्यों ने पकड़कर जंगल में छोड़ दिया.

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