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सीरिया में सत्तापलट के खिलाफ भारत

सेंट पीटर्सबर्ग । एजेंसी: भारत के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा है कि सीरिया में तटस्थ निरीक्षकों से रासायनिक हमलों के पूर्ण साक्ष्य मिलने के बाद ही बशर अल-असद प्रशासन के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए और वह भी संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में. मनमोहनसिंह जी-20 देशो के सम्मेलन में रूसी राष्ट्रपति पुतिन द्वारा दिये गये रात्रि भोज में बोल रहे थे. प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने यह भी कहा कि सीरिया के खिलाफ यदि संयुक्त राष्ट्र की मंजूरी हो तो सैन्य कार्रवाई का उद्देश्य वहां शासन को बदलना नहीं वरन रासायनिक हथियारों को नष्ट करना होना चाहिए.

संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की-मून द्वारा सीरिया की जमीनी स्थिति के बारे में एक प्रस्तुति के बाद प्रधानमंत्री ने यह टिप्पणी की. मून ने कहा कि उनके द्वारा नियुक्त निरीक्षकों की रपट शीघ्र ही आने की उम्मीद है और उसे आवश्यक कार्रवाई की मंजूरी के लिए सुरक्षा परिषद और महासभा में पेश किया जाएगा. संयुक्त राष्ट्र महासचिव ने कहा कि सीरिया में गृहयुद्ध से अब तक 1,00,000 लोगों की मौत हो चुकी है और 42.5 लाख लोग बेघर हुए हैं. इनमें कम से कम 20 लाख लोग अब शरणार्थी हैं.

सीरिया पर भारत के रुख को स्पष्ट करते हुए योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने कहा कि भारत रासायनिक हथियारों के उपयोग के पूरी तरह खिलाफ है और ऐसे हथियारों के भंडारों को नष्ट कर दिया जाना चाहिए. लेकिन इसके साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि इसका अर्थ एकतरफा कार्रवाई का पक्ष लेना नहीं है, जैसा की अमेरिका ने धमकी दी है और कई देशों जैसे रूस तथा चीन ने उसका विरोध किया है.

अहलूवालिया ने कहा, “प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें तथ्यों के प्रति निश्चित होने की जरूरत है. पुराने अनुभवों को ध्यान में रखने की आवश्यकता है. हमें इस बात को देखने की जरूरत है कि संयुक्त राष्ट्र के निरीक्षक किन तथ्यों को सामने लाते हैं.” उन्होंने कहा, “प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई भी कार्रवाई संयुक्त राष्ट्र के तत्वावधान में होनी चाहिए, उससे बाहर नहीं. उन्होंने यह भी कहा कि सैन्य कार्रवाई का उद्देश्य शासन में बदलाव नहीं होना चाहिए.”

सीरिया मुद्दे पर भारत का यह रुख निश्चित तौर पर अमरीकी रुख के उलट है जिसमें तुरंत कार्यवाही की बात की जा रही है.

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