छत्तीसगढ़ गरीबी में नंबर वन-इंडिया टुडे
रायपुर | संवाददाता: इंडिया टूडे ने छत्तीसगढ़ को देश में सबसे गरीब बता कर राज्य की दुखती रग पर हाथ धर दिया है. इंडिया टुडे ने देश के अलग-अलग राज्यों के क्रियाकलाप पर अपना अंक प्रकाशित किया है. अपने पहले कार्यकाल में रमन सिंह को इसी इंडिया टुडे ने ‘नंबर वन’ का खिताब दिया था. लेकिन इस बार इसी इंडिया टुडे ने छत्तीसगढ़ को गरीबी में नंबर वन बता दिया है. इस अंक में देश के सभी राज्यों का लेखा-जोखा प्रकाशित किया गया है.
असल में केंद्र सरकार भी मानती है कि छत्तीसगढ़ देश में सबसे गरीब है. लोकसभा में भी सरकार ने स्वीकार किया है कि देश में छत्तीसगढ़ सबसे गरीब राज्य है. 14 साल से रमन सिंह की सरकार लगातार गरीबों का जीवनस्तर सुधारने का दावा करती रही है. मुफ्त में राशन से लेकर जूते और साड़ी तक बांटने की सरकारी योजना है लेकिन राज्य में गरीबी का स्तर सुधर नहीं रहा है.
राज्य की भाजपा सरकार अभी जबकि अपनी 14वीं वर्षगांठ मना रही है, तब इंडिया टुडे का यह सर्वे आया है. हालांकि राज्य के मुख्यमंत्री रमन सिंह का कहना है कि 55 लाख से अधिक परिवारों को अनाज देने के कारण उन्हें गरीबों की श्रेणी में डाल दिया गया है, जबकि हकीकत ये है राज्य में लोगों की आर्थिक स्थिति सुधरी है. 2003 में प्रति व्यक्ति वार्षिक आय 12000 थी, जो आज की तारीख में 82 हज़ार हो गई है.
इसी साल 25 जुलाई को लोकसभा में केंद्र सरकार ने माना कि देश में 1 मार्च 2012 की जनसंख्या के आधार पर जो आंकड़े सामने आये हैं, उसके अनुसार 2697.83 लाख लोग देश में गरीबी रेखा से नीचे हैं.
भयावह ये है कि इस आंकड़े के अनुसार ग्रामीण गरीबी के मामले में छत्तीसगढ़ देश में सबसे गरीब है. तेंदुलकर पद्धति से निकाले गये इस आंकड़े के अनुसार छत्तीसगढ़ में ग्रामीण गरीबी का प्रतिशत 44.61 है, जो देश में सर्वाधिक है. हरियाणा में गरीबों का प्रतिशत 11.64 है तो पंजाब में 7.66. इसी तरह हिमाचल में 8.48, केरल में 9.14, मेघालय में 12.53, , सिक्किम में 9.85, उत्तराखंड में 11.62 प्रतिशत ग्रामीण आबादी गरीब है.
अगर सात केंद्र शासित प्रदेशों को मिला कर देखें तो भी छत्तीसगढ़ देश में ग्रामीण गरीबी के मामले में दूसरे नंबर पर है. इस मामले में देश में सर्वाधिक गरीब ग्रामीण आबादी दादर एवं नगर हवेली की है, जहां 62.59 प्रतिशत गरीबी है. लेकिन दूसरे केंद्र शासित प्रदेशों का आंकड़ा विपरित है. लक्षद्वीप और दमन व द्वीव में ग्रामीण गरीबी शून्य प्रतिशत है. इसी तरह चंडीगढ़ में यह 1.64 प्रतिशत और अंडमान में 1.57 प्रतिशत, पुदुचैरी में 17.06 प्रतिशत और दिल्ली में 12.92 प्रतिशत है.
इंडिया टुडे से अलग एस.डी. तेन्दुलकर समिति के अनुसार नेशनल सेम्पल सर्वे के 68वें चक्र के अंतर्गत वर्ष 2011-12 में छत्तीसगढ़ में 39.93 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे थे जो देश में अन्य सभी राज्यों की तुलना में सबसे अधिक है. रंगराजन समिति के अनुसार संशोधित अनुमान में वर्ष 2011-12 में राज्य में 47.9 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे थे. ग्रामीण क्षेत्रों में यह गरीबी 49.2 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 43.7 प्रतिशत थी.
भारत सरकार के सामाजिक आर्थिक जाति संगणना 2011-12 के अनुसार 5000 रूपये मासिक उपयोग व्यय से कम वाले परिवार 50 प्रतिशत से अधिक थे. इस सर्वेक्षण प्रतिवेदन के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों में कुल निर्धन लोगों में 17.5 प्रतिशत अनुसूचित जाति, 45.6 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति, 36.3 प्रतिशत अन्य पिछड़ा वर्ग के तथा 0.6 प्रतिशत अन्य वर्ग के लोग गरीब थे.
शहरी क्षेत्रों में अनुसूचित जाति के 19.4 प्रतिशत, अनुसूचित जनजाति के 19.8 प्रतिशत, अन्य पिछड़ा वर्ग के 50.7 प्रतिशत तथा अन्य वर्ग के 10.1 प्रतिशत लोग गरीब थे. ग्रामीण क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोग सबसे अधिक गरीब है जबकि शहरी क्षेत्रों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लोग अधिक गरीब हैं. अनुसूचित जनजातियों के निर्धन लोग सबसे अधिक सरगुजा, बस्तर संभाग और रायपुर के गरियाबंद जिले में हैं जबकि अनुसूचित जाति में निर्धन लोग बिलासपुर एवं मुंगेली जिले में सबसे अधिक हैं जबकि अन्य पिछड़े वर्ग में अधिक निर्धन लोग रायपुर, राजनांदगांव, रायगढ़ एवं दुर्ग जिले में हैं.
सामाजिक आर्थिक जातिय गणना के अनुसार ग्रामीण क्षेत्रों के कुल 45 लाख 41 हजार परिवारों में से 34 प्रतिशत भूमिहीन परिवार है जो दिहाड़ी मजदूरी पर जीवित है. 42.11 प्रतिशत अनुसूचित जाति एवं जनजाति परिवार है. 58 से 60 प्रतिशत सीमांत कृषक हैं एवं महिला प्रमुख परिवार हैं. इन्हीं वर्ग के लोग अत्यन्त गरीबी में रहते हैं. 28.95 प्रतिशत परिवार कच्ची छत के साथ केवल एक कमरे के मकान में 6.15 प्रतिशत परिवार पक्के एवं 3 कमरों के मकान में शेष 65 प्रतिशत परिवार दो कमरे के कच्चे एवं किराये के मकान में रहते हैं.
इंडिया टुडे के अलावा छत्तीसगढ़ के मामले में केंद्र की सी रंगराजन कमेटी के आंकड़े तो और भी भयावह हैं. यह कमेटी तेंदुलकर कमेटी की सिफारिशों के परीक्षण के लिये बनाई गई थी. इसके अनुसार छत्तीसगढ़ देश में सबसे गरीब है और गरीबी का आंकड़ा 47.9 प्रतिशत है. यानी तेंदुलकर कमेटी ने 44.61 प्रतिशत का ग्रामीण गरीबी का जो आंकड़ा पेश किया था, रंगराजन कमेटी ने उससे कहीं अधिक भयावह स्थिति पाई और बताया कि 47.9 प्रतिशत लोग गरीब है.
इधर वर्ल्ड बैंक की 2012 की रिपोर्ट बताती है कि छत्तीसगढ़ में 1994 में 51 प्रतिशत आबादी गरीब थी. 2005 में यह आंकड़ा 51 पर ही अटका रहा. लेकिन 2012 में यह आंकड़ा कम हुआ है. वर्ल्ड बैंक की यह रिपोर्ट बताती है कि छत्तीसगढ़ से कम आय वाले राज्यों की गरीबों की संख्या में तो सुधार हुआ है लेकिन छत्तीसगढ़ में ऐसा नहीं है.