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India-B’desh ने इतिहास रचा

ढाका | समाचार डेस्क: शनिवार को भारत तथा बांग्लादेश ने नया इतिहास रचा है जिससे नये युग का आगाज़ हुआ है. पिछले 40 साल से जो सीमा समझौताटलता जा रहा था उस पर मोदी और शेख हसीना की मौजूदगी में हस्ताक्षर हो गये. इसके तहत चार राज्यों की भूमि की अदला-बदली की जायेगी. इस समझौते के बाद भारत बांग्लादेश को 111 कालोनियां तथा बांग्लादेश भारत को 51 कालोनिया सौंपेगा. यहा के नागरिकों को अपना नागरिकता तय करने का अधिकार होगा. इस समझौते के बाद भारत और बांग्लादेश और करीब आ गये हैं. भारत और बांग्लादेश ने 40 साल से चले आ रहे सीमा विवाद का समाधान करते हुए शनिवार को भूमि सीमा समझौते को मंजूरी देकर इतिहास रच दिया.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की मौजूदगी में भूमि समझौते के दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया गया. भू-सीमा समझौते से पूर्व मोदी, शेख हसीना और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कोलकाता-ढाका-अगरतला और ढाका-शिलांग-गुवाहाटी बस सेवा को हरी झंडी दिखाई. इस तरह दोनों देशों के बीच 22 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए. इसमें बांग्लादेश को दो अरब डॉलर का ऋण दिया जाना भी शामिल है. इसके साथ ही भारत चटगांव मोंगला बंदरगाह का इस्तेमाल करेगा.

भू-सीमा समझौते के दौरान पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी मौजूद थीं.

मोदी ने ट्वीट किया, “भूमि अदला-बदली से संबंधित दस्तावेजों का आदान-प्रदान किया गया. इस तरह दोनों देशों ने इतिहास रचा.”

इस समझौते पर हस्ताक्षर और दस्तावेजों का आदान-प्रदान विदेश सचिव एस. जयशंकर और बांग्लादेश के विदेश सचिव एम. शाहिदुल हक ने किया.

इस भू-सीमा समझौते के तहत भारत बांग्लादेश को 111 कॉलोनी अथवा परिक्षेत्र सौंपेगा. इन कॉलोनियों की कुल जमीन 17,160.63 एकड़ है. वहीं बांग्लादेश 51 कॉलोनी अथवा परिक्षेत्र सौंपेगा. इन कॉलोनियों की कुल जमीन 7,110.02 एकड़ है. इसके अलावा 6.1 किलोमीटर अनिश्चित सीमा का भी सीमांकन किया जाएगा.

भारत और बांग्लादेश के बीच भूमि-सीमा समझौता 16 मई, 1974 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी और बांग्लादेश के प्रधानमंत्री शेख मुजीबुर रहमान के बीच हुआ था.

बांग्लादेश की संसद ‘जातीय संसद’ ने इसे तत्काल मंजूरी दे दी थी.

समझौते के तहत भूमि हस्तांतरण के लिए संविधान संशोधन की जरूरत के कारण हालांकि भारत में इस प्रक्रिया में देरी हुई.

भूमि समझौते के संधि पत्र पर दोनों पक्षों ने छह सितंबर, 2011 को हस्ताक्षर किए थे.

भारत में जिन चार राज्यों की भूमि अदला-बदली की जाएगी, उनमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और पश्चिम बंगाल शामिल हैं.

बांग्लादेश में 111 भारतीय कॉलोनियों में कुरीग्राम जिले में 12, नीलफामरी में 59 और पन्हागर में 36 शामिल हैं.

भारतीय कॉलोनियों में करीब 37 हजार लोग रहते हैं, वहीं बांग्लादेशी कॉलोनियों में 14 हजार लोग रहते हैं. समझौते के मुताबिक इन कॉलोनियों के लोगों को नागरिकता चुनने का विकल्प होगा. वे चाहें तो दोनों में से किसी एक देश की नागरिकता ले सकते हैं.

दोनों देशों के बीच समुद्री सीमा का निपटारा पहले ही हो चुका है. द हेग स्थित अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय ने सात जुलाई, 2014 को दोनों देशों के बीच समुद्री सीमा की रूपरेखा पेश की थी.

विदेश सचिव एस. जयशंकर ने शुक्रवार को संवाददातों से कहा था कि भूमि सीमा समझौते से सुरक्षा व्यवस्था बनाने, तस्करी रोकने, ड्रग तस्करी रोकने एवं नकली मुद्रा की तस्करी रोकने में मदद मिलेगी.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट किया, “भूमि संपर्क बहाल हुआ, दिल मिले. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और प्रधानमंत्री शेख हसीना ने गुवाहाटी तथा अगरतला की बस को हरी झंडी दिखाई.”

झंडी दिखाए जाने से पहले तीनों नेता बस पर सवार हुए और उन्होंने यात्रियों को शुभकामनाएं दी.

कोलकाता-ढाका-अगरतला सेवा से पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा की राजधानी के बीच यात्रा के समय में कटौती होगी.

मोदी दो-दिवसीय दौरे पर शनिवार को बांग्लादेश पहुंचे हैं. उनका हसीना ने हजरत शाहजलाल अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर स्वागत किया.

मोदी ने आगमन के बाद राष्ट्रीय शहीद स्मारक का दौरा कर उन जवानों को श्रद्धांजलि दी जिन्होंने 1971 में बांग्लादेश मुक्ति संघर्ष में बलिदान दिया था.

भारतीय प्रधानमंत्री ने इसके बाद बंगबंधु स्मारक संग्रहालय का दौरा किया और बांग्लादेश के संस्थापक शेख मुजिबुर रहमान को श्रद्धांजलि अर्पित की.

Agreements & Joint Press Statements

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