दावोस में छा गये हैं केजरीवाल
नई दिल्ली | समाचार डेस्क: दावोस में चल रहे वर्ल्ड इकानामिक फोरम के सलाना बैठक में भारत के अरविंद केजरीवाल पर सवाल पूछे जा कहें हैं. दावोस में इस बैठक में विभिन्न देशों के शासनो के प्रतिनिधियों के अलावा सौ से ज्यादा कार्पोरेट जगत के मुखिया भाग ले रहें हैं. जब भी भारत का जिक्र आता है तो विदेशी कार्पोरेट जगत के लोग आम आदमी पार्टी का भारत में उदय तथा अरविंद केजरीवाल के बारे में जानने को उत्सुक दिखाई दे रहें हैं.
कुछ भारतीय इस बात को रख रहें हैं कि आम आदमी पार्टी का प्रभाव केवल दिल्ली तक सीमित है परन्तु विदेशी कार्पोरेट जगत के लोगों को आशंका है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में खंडित जनादेश आने वाला है तथा आम आदमी पार्टी की उसमें भूमिका दिल्ली के समान ही महत्वपूर्ण न हो जाये. गौरतलब रहे कि वर्ल्ड इकानामिक फोरम में दुनिया के आर्थिक स्थिति तथा व्यापार को लेकर बड़े लोग चर्चा करते हैं. फिर भी इस फोरम में राजनीति पर भी चर्चा होती है क्योकि आखिरकार यह राजनीति नेतृत्व ही है जो अर्थ व्यवस्था के लिये नीतियां बनाता है.
आम आदमी पार्टी ने अभी तक अपनी आर्थिक नीति घोषित नहीं की है परन्तु उसके कार्य-कलापो से इस बात के संकेत मिलते है कि वह लीक से हटकर चलने वाली पार्टी है. उदाहरण के तौर पर आम आदमी पार्टी ने निजीकरण का सैद्धांतिक तौर पर विरोध नहीं किया है परन्तु दिल्ली के निजी बिजली वितरण कंपनियों का कैग के माध्यम से ऑडिट करवाना का निर्णय लिया है जो भारत के भी कार्पोरेट घरानों को हजम नहीं हो रहा है. कार्पोरेट घराने तो चाहते हैं कि श्रम नीति लचीली हो जिससे वे जब चाहे जिसे नौकरी से निकाल सकते हैं. इसके उलट दिल्ली में आम आदमी पार्टी के सरकार ने सभी ठेका कर्मियों को जो सरकारी काम करते हैं स्थाई नौकरी देने का वादा किया है.
आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार के विरोध को जनता ने ही नहीं वरन् विदेशी कार्पोरेट घरानों ने भी पसंद किया है. इसी कारण भारतीय मूल के विदेशी कंपनी के एक मुखिया ने फोन करके अरविंद केजरीवाल को बधाई भी दी है. भारत के उद्योग जगत की संगठन सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्टी ने कहा है कि “जहाँ तक ‘आप’ की बात है, किसी फैसले पर पहुँचना जल्दबाजी होगी. हालांकि यह भी सच है कि ‘आप’ के उभार ने सभी लोगों का ध्यान छोटे छोटे मुद्दों की ओर खींचा है.” एमनेस्टी इंटरनेशनल के महासचिव शेठ्ठी ने कहा है कि “लोगों के प्रति जवाबदेही तय करनी होगी. ‘आप’ के आने से कम से कम ये तो हुआ है कि राजनैतिक नेतृत्व के बीच ये डर पैदा हुआ कि उन्हें जिम्मेदार बनना पड़ेगा.”
इस प्रकार आम आदमी पार्टी तथा अरविंद केजरीवील दावोस में चर्चा के केन्द्र बन गयें हैं. सभी यह जानने को उत्सुक हैं कि आम आदमी पार्टी का लोकसभा में प्रदर्शन कैसै रहेगा. यह सत्य है कि निवेश करने से पहले विदेशी निवेशकर्ता भारत की राजनीति का ऊंट किस करवट बैठेगा उस पर अभी से कयास लगा रहें हैं. भारत में आम आदमी पार्टी को लेकर कुछ अंतर्विरोध सामने आये हैं परन्तु इसके दिगर विदेशी निवेशक की नजर आम आदमी पार्टी पर है कि उसे लोकसभा चुनावों में कितनी सफलता मिल सकती है. इसी लिये तो कहा जा रहा है कि दावोस में छा गयें हैं अरविंद केजरीवाल.