लता जी के दो अमर गानें
नई दिल्ली | मनोरंजन डेस्क: लता मंगेशकर के गाये दो गानों को बार-बार सुना जाता है. इनमें से पहला देशभक्तिपूर्ण गाना है दूसरा भगवान की प्रर्थना है. लता के गाये गीत “ए मेरे वतन के लोगों…” को सुनकर भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु रो पड़े थे. इस गाने की टक्कर का दूसरा गाना खुद लता जी ने भी नहीं गाया है. लता जी के गाये गीत ” ए मालिक तेरे बंदे हम..” को भक्ति संगीत का दर्जा प्राप्त है. इन दोनों गाने के साथ ही लता जी हिन्दुस्तान के इतिहास में जीते जी अमर हो गई हैं. भारतरत्न लता मंगेशकर हिंदी सिनेमा का जगमगाता नाम हैं. वह भारत की सबसे अनमोल गायिका हैं. उनके मधुर स्वर का दीवाना भारत ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया है. संगीत की मलिका लता मंगेशकर को कई उपाधियों से नवाजा जा चुका है. 28 सितंबर को उनका 85वां जन्मदिन है.
लता मंगेशकर का नाम सुनते ही हम सभी के कानों में एक मीठी मधुर आवाज शहद सी घुलने लगती है. उन्होंने हिंदी सिनेमा में कई मधुर गीत गाए. छह दशक से हिन्दुस्तान की आवाज बन चुकीं लता ने 30 से ज्यादा भाषाओं में फिल्मी और गैर फिल्मी हजारों गानों में अपनी आवाज का जादू चलाया. गायन के क्षेत्र में उनका छह दशकों का सफर उपलब्धियों से भरा है. लता ही एकमात्र ऐसी जीवित व्यक्ति हैं जिनके नाम से पुरस्कार दिए जाते हैं.
लता जी का जन्म 28 सितंबर, 1929 में एक मध्यम वर्गीय मराठा परिवार में हुआ. मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में जन्मीं लता पंडित दीनानाथ मंगेशकर की बड़ी बेटी थीं. लता मंगेशकर का पहला नाम ‘हेमा’ था, मगर जन्म के 5 साल बाद माता-पिता ने इनका नाम ‘लता’ रख दिया था. लता अपने सभी भाई-बहनों में बड़ी हैं. मीना, आशा, उषा तथा हृदयनाथ उनसे छोटे हैं. उनके पिता रंगमंच के कलाकार और गायक थे.
लता का जन्म इंदौर में हुआ था, लेकिन उनकी परवरिश महाराष्ट्र में हुई. जब लता सात साल की थीं, तब वह महाराष्ट्र आईं. लता ने पांच साल की उम्र से पिता के साथ एक रंगमंच कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू कर दिया था. लता बचपन से ही गायक बनना चाहती थीं.
लता के पिता शास्त्रीय संगीत के बहुत बड़े प्रशंसक थे, इसीलिए शायद वे लताजी के फिल्मों में गाने के खिलाफ थे. वर्ष 1942 में उनके पिता का देहांत हो गया. इसके बाद उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बिगड़ गई और अर्थोपार्जन के लिए लता मंगेशकर ने मराठी और हिंदी फिल्मों में छोटी-छोटी भूमिका निभानी शुरू की.
लता जी को पहली बार स्टेज पर गाने के लिए 25 रुपये मिले थे. इसे वह अपनी पहली कमाई मानती हैं. लताजी ने पहली बार 1942 में मराठी फिल्म ‘किती हसाल’ के लिए गाना गाया. लता के भाई हृदयनाथ मंगेशकर और बहनें उषा मंगेशकर, मीना मंगेशकर और आशा भोंसले सभी ने संगीत को ही अपने करियर के रूप में चुना. अपनी बहन आशा भोंसले के साथ लता जी का फिल्मी गायन में सबसे बड़ा योगदान रहा है.
विवाह के बंधन में क्यों नहीं बंधी लता?
बचपन में कुंदनलाल सहगल की एक फिल्म चंडीदास देखकर वह कहती थीं कि वो बड़ी होकर सहगल से शादी करेंगी. वहीं बाद में उन्होंने शादी ही नहीं की. इस पर उनका कहना है कि घर के सभी सदस्यों की जिम्मेदारी उन पर थी, ऐसे में जब शादी का ख्याल आता भी तो वह उस पर अमल नहीं कर सकती थीं.
लता ने अपने करियर में कई उपलब्धियां हासिल की हैं. उनके मधुर गीत लोगों का ध्यान खींचने में बखूबी भूमिका निभाते हैं. आज भी वह अपना स्वर्णिम दौर जी रही हैं, क्योंकि शायद ही कोई ऐसा होगा जो उनके गीतों पर मुग्ध न जाए. गीत का नाम सुनते ही लता का नाम स्वत: ही सभी की जुबां पर आ जाता है. उनकी कोयल सी मधुर आवाज ने सैकड़ों फिल्मों के गीतों को अमर बनाया है.
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aye malik tere bande ham