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बीमारी से बचाया तो बारिश से बर्बादी की आशंका

रायपुर| संवाददाताः छत्तीसगढ़ के कई हिस्सों में रविवार से शुरु हवा-तूफान के साथ तेज बारिश ने किसानों की चिंता बढ़ा दी है. धान की कटाई कर चुके या काटने की तैयारी में लगे किसानों को इस बारिश को लेकर बेहद आशंकित हैं. राज्य के कई इलाकों में तेज बारिश और हवा से धान की खड़ी फसल खेत में गिर चुकी है. कुछ जगहों पर तो खेतों में पानी भर जाने से धान गिर कर पानी में डूब चुके हैं.

अब किसानों को इस बात की चिंता सता रही है कहीं फसल खराब ना जाए.

किसानों का कहना है कि धान की बाली सहित पौधों के लेट जाने से खेतों से अब पानी की निकासी भी नहीं कर पा रहे हैं. वहीं धान की बाली पानी में डूबे रह गए तो फसल काली पड़ जाएगी, साथ ही अंकुरित होने का भी खतरा मंडरा रहा है.

किसानों का कहना है कि इस बारिश ने उनकी साल भर की मेहनत पर पानी फेर दिया है.

रविवार को प्रदेश के बस्तर, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, मानपुर-मोहला, मैनपुर, खैरागढ़, कवर्धा, महासमुंद सहित कई जिलों में बारिश हुई है.

हालांकि देर से रोपा लगाने वाले कुछ किसानों के लिए इस बारिश ने अमृत का काम किया है.

धमतरी में कई एकड़ फसल बर्बाद

राज्य के धमतरी, खैरागढ़, बेरला, बेमेतरा और कवर्धा क्षेत्र के काफी हिस्सों में धान की कटाई हो चुकी है.

फसल काटने के बाद कुछ किसान ही उपज खलिहान तक ले जा पाए हैं. अधिकांश किसानों की फसल खेतों में ही पड़ी हुई है.

धमतरी जिले के दुधावा क्षेत्र में रविवार को तेज बारिश हुई है. जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है.

यहां के किसानों ने शासन-प्रशासन से मुआवजा की मांग की है.

क्षेत्र के कृषि विस्तार अधिकारी महेन्द्र साहू ने किसानों के साथ मिलकर बारिश से खराब हुए फसल का आकलन किया है.

उन्होंने कहा कि यहां सैकड़ों एकड़ की फसल बर्बाद हुई है.

बीमारी से बचाया तो पानी ले गया

किसानों का कहना है कि इस बार मौसम ने उन्हें लगातार परेशान किया है.

पहले धान बोने के समय बारिश नहीं हुई, अब फसल किसी तरह पककर तैयार हुई तो बारिश ने रही-सही कसर भी पूरी कर दी है.

कभी तेज धूप तो कभी लगातार बारिश से फसलों पर विपरीत असर पड़ा है. जिसके चलते इस बार बीमारियों का प्रकोप भी ज्यादा रहा.

किसान बोने से लेकर धान के पकने तक, इस बार कीट प्रकोप से फसलों को बचाते आए हैं.

बारिश ने किया अमृत का काम

कुछ इलाकों में किसानों का कहना है कि अभी भी ज्यादा दिनों में पकने वाली धान को पानी की आवश्यकता है.

इस किस्म की धान में अभी भी बाली निकल रही है.

बाली निकलने के समय ही धान के पौधे को अधिक पानी की आवश्यकता होती है, जबकि प्रदेश में पिछले 20-25 दिनों से बारिश नहीं हुई है, जिसके चलते खेत सूख गए हैं.

ऐसे में कल हुई बारिश से कुछ किसानों को काफी मदद मिली है. किसान इसे अमृत कह रहे हैं.

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