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बस्तर में पांच सालों में 1069 आईईडी बरामद

जगदलपुर | संवाददाता: बस्तर में माओवादियों की आईईडी की चपेट में आ कर इस सप्ताह भले 8 जवानों समेत 9 लोगों को अपनी जान की कुर्बानी देनी पड़ी हो लेकिन पिछले 5 सालों में बस्तर में 1069 आईईडी को सुरक्षाबलों ने बरामद करने और उसे नष्ट करने में भी सफलता पाई है.

छत्तीसगढ़ का बस्तर पिछले 4 दशकों से नक्सलवाद का दंश झेल रहा है, इन 40 सालों में नक्सलियो से लोहा लेते सैकड़ो जवानों की शहादत हुई है, वहीं बड़ी संख्या में आम नागरिक भी मारे गए हैं.

आमने-सामने की लड़ाई के अलावा माओवादीयों का सबसे खास हथियार है आईईडी यानी इंप्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस. जिससे अब तक सर्वाधिक नागरिक और जवान मारे गए हैं. यह आईईडी बस्तर पर अब भी भारी पड़ रहा है.

हालांकि माओवादियों की आईईडी से बचने सुरक्षाबलों की बम डिस्पोजल स्क्वार्ड की टीम समय-समय पर नई तकनीकी का इस्तेमाल करती है लेकिन 5 फीट के अंदर गड़े आईईडी को ढूंढ निकालने में बस्तर में तैनात बीडीसी की टीम अभी भी नाकाम साबित हो रही है.

माओवादी 5 किलो से लेकर 50 से 80 किलो तक बारूदी सुरंग का उपयोग करते हुए जवानों के वाहनों को निशाना बनाते रहे हैं. माओवादी अब तक बारूद, जिलेटिन, कॉर्डेक्स वायर और डेटोनेटर के जरिये लंबे समय से टिफिन बम, कुकर बम, एचई बम ,पाईप बम, बियर बम, और प्लास्टिक के बड़े डिब्बो में बारूद डालकर आईईडी बम बनाते आ रहे हैं.

इनकी चपेट में कभी ग्रामीण आते हैं तो कभी माओवादी मोर्चे पर तैनात जवान. कई बार तो मवेशियों के लिए भी ये जानलेवा साबित हुए हैं.

आईईडी ब्लास्ट से 5 साल में मारे गए जवान और आम नागरिक

बस्तर के आईजी सुंदरराज पी के अनुसार जनवरी 2020 से लेकर दिसंबर 2024 तक, इन 5 सालो में बस्तर संभाग के अलग-अलग जिलों में 216 जगहों पर माओवादियों ने आईईडी ब्लास्ट किया है. वहीं इस साल बीते 10 दिनों में माओवादियों ने 2 जगह आईईडी ब्लास्ट किया है.

आंकड़े बताते हैं कि बीते 5 सालों में जवानो के साथ गश्त में जाने वाली बम डिस्पोजल स्क्वार्ड की टीम ने 1069 जिंदा आईईडी बम बरामद कर डिफ्यूज किये है.

आईईडी ब्लास्ट किये जाने के लिये सबसे जरूरी डेटोनेटर भी जब्त करने में पुलिस को बड़ी सफलता हाथ लगी है. बीते 5 सालों में बस्तर पुलिस ने 2446 डेटोनेटर बस्तर संभाग के अलग अलग इलाको से जब्त करने में सफलता हासिल की है.

आंकड़ों के अनुसार अलग-अलग माओवादी घटनाओं में पिछले 5 सालों में 136 जवानो की शहादत हुई है. इनमें सबसे ज्यादा जवान नक्सलियो की आईईडी ब्लास्ट में मारे गए है. इसके अलावा 444 जवान घायल हुए हैं.

वहीं आम नागरिक की बात की जाए तो नक्सली हिंसा में 225 लोगों की जान गई है जिसमे 150 से ज्यादा ग्रामीण नक्सलियो द्वारा लगाए गए आईईडी विस्फोट में मारे गए है, जबकि 96 ग्रामीण घायल हुए है. इनमें ग्रामीण अंचलों के मासूम बच्चे भी शामिल हैं.

बस्तर पुलिस करेगी नई तकनीक का इस्तेमाल

बस्तर के आईजी सुंदरराज पी का कहना है कि बस्तर में पिछले कुछ सालों से माओवादियों के खिलाफ एंटी नक्सल ऑपरेशन तेज कर दिया गया है और माओवादियों के ठिकाने पर दबिश देकर मुठभेड़ में उन्हें मार गिराया जा रहा है, वहीं माओवादी संगठन में पुलिस के खौफ के चलते पिछले 5 सालों में 1500 से अधिक नक्सलियों ने सरेंडर भी कर दिया है.

सुंदरराज पी मानते हैं कि माओवादी संगठन के पास अभी भी सबसे घातक हथियार उनका आईईडी बम है. माओवादी विस्फोटकों से अलग-अलग तरह की आईईडी बम बनाकर जवानों और ग्रामीणों को नुकसान पहुंचा रहे हैं.

बस्तर आईजी सुंदरराज पी बताते हैं कि हालांकि समय-समय पर पुलिस इस आईईडी से बचने के लिए नई तकनीकी अपनाती रही है. साथ ही गश्त के दौरान बम डिस्पोजल स्क्वार्ड की टीम और जवानों की टीम डी-माइनिंग भी करती है. इसके बाद भी माओवादियों का आईईडी बम, नक्सल मोर्चे पर तैनात जवानों के लिए काफी घातक साबित हो रहा है.

आईजी का कहना है कि जल्द ही माओवादियों की इस आईईडी से बचने और बारूदी सुरंग को ज़मीन की गहराई से भी खोज निकालने के लिए नई तकनीकी का इस्तेमाल करने की कोशिश की जाएगी.

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