छत्तीसगढ़

ममता की मदद करेंगे आप ?

बिलासपुर | विश्वेश ठाकरे: रिक्शा चालक नाना, अनपढ़ नानी, घर में पढ़ने के लिए टेबल कुर्सी नहीं, किताब खरीदने, स्कूल की फीस भरने के लिए भी पैसे नहीं. लेकिन हौसला ऐसा, खुद पर विश्वास ऐसा कि 12 वीं की परीक्षा में बिलासपुर जिले में 94 फीसदी अंकों के साथ लड़कियों में पहला स्थान.

ये कहानी फिल्मी नहीं सच्ची है. अमेरी गांव के छोटे से मकान में रहती है बड़े हौसले वाली ममता. ममता की परिस्थिति में 12 वीं में सर्वोच्च स्थान हासिल करना तो दूर 12 वीं तक पढ़ना ही नामुमकिन लगता है.

गैर जिम्मेदार पिता के कारण ममता को बचपन में ही उसके नाना वेदराम के पास बिलासपुर से लगे हुए गांव अमेरी में भेज दिया गया. वेदराम और उसकी पत्नी भले ही अनपढ़ हों, लेकिन उन्होंने ठान लिया था कि नमक के साथ रोटी खाएंगे पर बच्ची को पढ़ाएंगे.

ममता ने भी 12 वीं में अव्वल आकर अपने नाना-नानी के सपनों को सच करने की नींव रख दी है.

वेदराम कहते हैं- मैं तो यह भी नहीं जानता कि ममता क्या पढ़ती है, कौन सा विषय पढ़ती है..लेकिन मैंने ठाना था कि 60 साल की उम्र में भी सुबह 9 से रात सात बजे तक रिक्शा चलाना है और उसे पढ़ाना है.

ममता की मदद
ममता के नाना

ममता बताती हैं कि उसके नाना के पास फीस भरने के पैसे नहीं थे, लिहाजा वो कुछ महीने की फीस स्कूल में नहीं भर पाई, लेकिन उसका परर्फामेंस देखकर स्कूल ने एग्जाम कार्ड दे दिया. जहां ममता रहती हैं, वहां मोहल्ले में पढ़ाई का कोई माहौल नहीं है. लड़कियों में वह अकेली है, जो 12 वीं तक पढ़ी है, आसपास के घरों में पूरे समय लाउडस्पीकर पर फिल्मी गाने बजते रहते हैं. लड़कों का शराब पीकर हंगामा करना सामान्य है, लेकिन तमाम कठिनाइयों के बीच एक कोने में बैठकर पढ़ती ममता ने बता दिया कि लगन की ताकत क्या होती है.

रोज पांच घंटे और परीक्षा के दिनों में आठ घंटे तक पढ़ाई करना उसका रूटीन रहा है. ना सहेली, ना टीवी, ना अपना कोई शौक…जुनून तो बस इस बात का कि रिक्शा खींचते नाना के पैरों को आराम कैसे हो, लोगों के घरों में बरतन मांज रही नानी के हाथों को राहत कैसे मिले. वह साफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहती है, लेकिन उसके सामने सवाल खड़े हो जाते हैं कि इस साल महज छह सौ रुपए महीने की फीस तो वह भर नहीं पाई, इंजीनियर कैसे बनेगी.

यूं तो ममता के गांव में ही दीवारों पर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे नारे लिखे हैं, लेकिन ये नारे दीवारों तक ही हैं, वास्तविकता में ममता को पढ़ाने ना तो कोई आया और ना ही अभी भी कोई शाबासी देने पहुंचा है. छात्राओं के लिए सरकारी योजनाओं की जो लंबी फेहरिस्त है, उसमें से भी ममता के हिस्से कुछ नहीं आया. उसे आपकी मदद की जरूरत है.

4 thoughts on “ममता की मदद करेंगे आप ?

  • Ganesh Kar

    I can talk to her family and see if I can help her to setup good career. Please provide me her contact news.

    Thanks

    Ganesh Kar
    Executive President at North America Chhattisgarh Association

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    • Thank you very much ganesh ji.089828 65922..plz contact on this no.

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      • Ganesh Kar

        I will reach out to them this week and we will what we can do for this talent .

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  • Ganesh Kar

    I talked to Mamta and her grand mom. She is waiting for PET result. I will contact her again after she selects in PET. I will try my best to reach out to higher education department for sponsorship , if govt will not give then i will arrange someone who can take care all expenses for her engineering.

    Thanks

    Ganesh Kar
    Executive President at North America Chhattisgarh Association (NACHA)
    pesident@cgnacha.com

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