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छत्तीसगढ़ विधानसभा के प्रस्ताव को केंद्र की ‘ना’

रायपुर | संवाददाता: केंद्र सरकार ने हसदेव पर छत्तीसगढ़ विधानसभा के सर्वसम्मति से पारित संकल्प को मानने से इंकार कर दिया है. छत्तीसगढ़ विधानसभा ने एक प्रस्ताव पारित कर हसदेव अरण्य में सभी कोयला खदानों को रद्द करने का अनुरोध केंद्र सरकार से किया था.

केंद्र के इस निर्णय के बाद हसदेव के आदिवासियों ने सवाल पूछा है कि अगर भूपेश बघेल की कांग्रेस पार्टी की सरकार ईमानदारी से इस संकल्प के साथ थी तो क्या अपने स्तर पर पर्यावरण, वन और भूमि अधिग्रहण के आदेश को रद्द करेगी?

हसदेव के लोगों ने सवाल उठाये हैं कि राज्य सरकार अपने अधिकारों का उपयोग अडानी के हित में करेगी या आदिवासियों के हित में?

केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने जयपुर में कहा कि एक प्रक्रिया के तहत कोयला खदानों का आवंटन किया गया है, इसलिए केंद्र सरकार ने सैद्धांतिक रुप से इसे रद्द नहीं करने का फ़ैसला किया है.

उन्होंने कहा, ‘‘छत्तीसगढ़ में राजस्थान को आवंटित खदान को रद्द करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार की ओर से एक प्रस्ताव आया है, लेकिन हमने एक प्रक्रिया के तहत इसे राजस्थान को आवंटित किया है, इसलिए हम इसे रद्द नहीं कर रहे हैं.’’

उन्होंने कहा, ‘‘भारत सरकार ने सैद्धांतिक रूप से इसे रद्द नहीं करने के लिए एक ‘स्टैंड’ लिया है। हमारा प्रयास होगा कि खनन गतिविधियों को फिर से शुरू किया जाए ताकि राजस्थान को वहां से 11 रैक कोयला मिलता रहे.’’

गौरतलब है कि हसदेव अरण्य में केंद्र सरकार ने राजस्थान सरकार को तीन कोयला खदान आवंटित किए गये हैं, जिनका एमडीओ अडानी के पास है.

इन खदानों का आवंटन केंद्र सरकार ने किया है लेकिन अंतिम वन स्वीकृति और भूमि अधिग्रहण की कार्रवाई राज्य सरकार के हिस्से होता है.

छत्तीसगढ़ सरकार ने बॉल को केंद्र में धकेलने की कोशिश की थी लेकिन अपनी ओर से जारी स्वीकृतियों को रद्द करने का काम नहीं किया.

अब जबकि केंद्र सरकार ने साफ तौर पर ‘ना’ कह दिया है तो आदिवासी सवाल उठा रहे हैं कि राज्य सरकार वन स्वीकृति रद्द करेगी या नहीं?

आदिवासियों ने उठाये सवाल

हसदेव अरण्य में शुक्रवार को ‘जंगल बचाओ सम्मेलन’ आयोजित किया गया है. जिसमें भारी संख्या में आदिवासी शामिल हो रहे हैं.

आदिवासी नेता उमेश्वर सिंह आर्मो ने कहा कि राहुल गांधी को बताना चाहिए कि उनकी कांग्रेस पार्टी की राजस्थान और छत्तीसगढ़ की सरकार आदिवासियों के साथ है या अडानी के साथ.

जयनंदन सिंह पोर्ते ने कहा कि छत्तीसगढ़ विधानसभा ने हसदेव के सभी कोयला खदानों को रद्द करने का प्रस्ताव पारित किया था. अगर इस प्रस्ताव को लेकर राज्य की भूपेश बघेल की सरकार ईमानदार है तो वह वन पर्यावरण जैसी स्वीकृतियां रद्द क्यों नहीं करती.

घाटबर्रा के सरपंच जयनंदन पोर्ते ने कहा कि हमारे इलाके में वन अधिकार कानून के तहत आदिवासियों के पट्टों का दावा आपत्ति का काम पूरा नहीं हुआ. कई लोगों की पट्टे की ज़मीनों को गैरकानूनी तरीके से ले लिया गया. इसके बाद फोर्स लगा कर जंगल काट दिया गया.

जयनंदन पोर्ते ने कहा कि जिस वन अधिकार कानून और भूमि अधिग्रहण क़ानून को कांग्रेस पार्टी की सरकार ले कर आई, अब वही कांग्रेस पार्टी इसके ख़िलाफ़ खड़ी है.

हसदेव में भूपेश बघेल का यू टर्न

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के हसदेव अरण्य में कोयला खदानों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी के निर्देश के बाद उम्मीद की जा रही थी कि यहां कोयला खदानों को निरस्त कर दिया जाएगा.

भूपेश बघेल विपक्ष में रहते हुए हसदेव अरण्य को बचाने की बात कहते रहे हैं. इसके अलावा अडानी के एमडीओ को वो सबसे बड़ा घोटाला भी बताते रहे हैं.


लेकिन सत्ता में आने के कुछ ही महीनों के भीतर भूपेश बघेल की सरकार ने अडानी के साथ एमडीओ को मंजूरी दे दी.


इसके अलावा हसदेव अरण्य में आदिवासियों के तमाम विरोध को दरकिनार करते हुए छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल की कांग्रेस पार्टी की सरकार ने दो नए कोल ब्लॉक- परसा और केते एक्सटेंशन को भी मंजूरी दे दी.

ये दोनों कोल ब्लॉक कांग्रेस पार्टी की राजस्थान सरकार को आवंटित हैं और परसा ईस्ट केते बासन की ही तरह दोनों ही नये कोयला खदानों का एमडीओ अडानी समूह के पास है.

आदिवासियों के कड़े विरोध के बाद इसी साल 26 जुलाई को विधानसभा में अशासकीय संकल्प लाया गया. जिसमें सर्वसम्मति से केंद्र सरकार से हसदेव अरण्य में सभी कोयला खदान को रद्द करने का अनुरोध किया गया था.

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