हसदेव में 7 लाख और पेड़ों की होगी कटाई?
रायपुर | संवाददाता: हसदेव अरण्य में परसा कोयला खदान के आदिवासियों के विरोध के बीच छत्तीसगढ़ सरकार ने केते एक्सटेंशन की जन सुनवाई 13 जून को रखी है. इस कोयला खदान में कम से कम 7 लाख पेड़ कटेंगे. पिछले साल भूपेश बघेल की सरकार ने ही यहां की जैव विविधता और मानव हाथी द्वंद्व का हवाला दे कर केते एक्सटेंशन में किसी भी कार्रवाई से केंद्र सरकार को मना किया था.
लेकिन अब छत्तीसगढ़ सरकार ही इसकी जन सुनवाई आयोजित कर रही है. यह कोयला खदान एमडीओ के तहत अडानी को दिया गया है.
छत्तीसगढ़ सरकार यह जन सुनवाई ऐसे समय में कर रही है, जब हसदेव में परसा कोयला खदान के ख़िलाफ़ देश और दुनिया भर में प्रदर्शन हो रहे हैं. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसी इलाके में आदिवासियों का साथ देने की बात कही थी.
परसा कोयला खदान और पीईकेबी खदान में लगभग 4.5 लाख पेड़ कटने का अनुमान है. लेकिन केते एक्सटेंशन में लगभग 7 लाख पेड़ कटने का अनुमान है.
सरकारी रिपोर्ट के अनुसार केते एक्सटेंशन के 1760 में से 1742 हेक्टेयर क्षेत्र में जंगल है. ICFRE के अनुसार प्रति हेक्टेयर यहां 400 से अधिक पेड़ हैं. इस तरह यहां लगभग 7 लाख पेड़ के कटने का अनुमान है.
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर किए गये अध्ययन में कहा गया था कि केते एक्सटेंशन का इलाका चरनोई नदी का कैचमेंट है और अगर यहां खनन हुआ तो चरनोई नदी प्रभावित होगी.
2021 में 19 जनवरी को केते एक्सटेंशन कोयला खदान की नीलामी को लेकर राज्य के खनिज सचिव ने केंद्र सरकार के कोयला मंत्रालय के सचिव को पत्र लिख कर यहां की जैव विविधता और लेमरू हाथी अभयारण्य का हवाला देते हुए इनके आवंटन पर रोक लगाने की मांग की.
पत्र में राज्य के खनिज सचिव अंबलगन पी ने लिखा-“हाथियों के संरक्षण, हाथी एवं मानव के बीच संघर्ष में हो रही वृद्वृधि को रोकने, क्षेत्र में अन्य जनधन की हानि को रोकने, पर्यावरणीय संतुलन को बनाये रखने, जल उपलब्धता के साथ प्रचुरता से विद्यमान जैव वानस्पत्ति विविधता को संरक्षित करने के दृष्टिकोण से भविष्य में कोयला खदान आवंटन की प्रक्रिया से प्रस्तावित लेमरू हाथी अभयारण्य क्षेत्र लगभग 3827 वर्ग किलोमीटर को संरक्षित किये जाने हेतु केते एक्सटेंशन कोल ब्लॉक की भूमि को कोयला धारक क्षेत्र अर्जन और विकास अधिनियम 1957 की धारा-4 की उपधारा-1 के अंतर्गत कृत कार्यवाही एवं इस अधिनियम की अन्य धाराओं के तहत प्रस्तावित कार्यवाही पर राज्य शासन आपत्ति दर्ज करता है. अतः प्रकरण में आगामी कार्यवाहियों पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाये जाने का अनुरोध है.”
हसदेव अरण्य में विरोध के बीच छत्तीसगढ़ की @INCIndia सरकार ने एक और कोयला खदान-केते एक्सटेंशन के लिए जन सुनवाई रखी है.
1760 हेक्टेयर के केते एक्सटेंशन में 7 लाख पेड़ कटेंगे.
छत्तीसगढ़ की इसी @rahulgandhi की सरकार ने केते एक्सटेंशन को रोकने के लिए जो तर्क दिए थे, उसे पढ़ा जाए. pic.twitter.com/bbwQkgHWN9
— Alok Putul (@thealokputul) May 25, 2022
पर्यावरण प्रेमी सवाल उठा रहे हैं कि राज्य की भूपेश बघेल की सरकार ने…हाथियों के संरक्षण, हाथी एवं मानव के बीच संघर्ष में हो रही वृद्वृधि को रोकने, क्षेत्र में अन्य जनधन की हानि को रोकने, पर्यावरणीय संतुलन को बनाये रखने, जल उपलब्धता के साथ प्रचुरता से विद्यमान जैव वानस्पत्ति विविधता को संरक्षित करने के दृष्टिकोण..का हवाला दिया था, क्या साल भर के भीतर वो परिस्थितियां ख़त्म हो गई हैं?
माना जा रहा है कि आदिवासियों के विरोध को देखते हुए राज्य सरकार एक बार में ही अडानी समूह को आवंटित सारे कोयला खदानों को इसी साल मंजूरी दे देना चाहती है. ताकि अगले साल होने वाले चुनाव में लोगों के सामने हसदेव अरण्य का मुद्दा पुराना पड़ जाए.