गैस बुकिंग का गोंडा मॉडल
गोंडा | एजेंसी:उत्तर प्रदेश के गोंडा जनपद का नाम राष्ट्रीय स्तर पर उभरने जा रहा है. यहां के जिलाधिकारी द्वारा रसोई गैस उपभोक्ताओं को समय पर सिलेंडर उपलब्ध कराने के लिए ई-गर्वनेंस के माध्यम से ‘इजी गैस’ साफ्टवेयर विकसित की गई है.
गोंडा के जिलाधिकारी डा. रोशन जैकब का मानना है कि कम्प्यूटराइज्ड सिस्टम लागू हो जाने के बाद योजनाओं की आनलाइन समीक्षा करने में सुगमता होती है. साथ ही कम्प्यूटरीकृत अभिलेखों में छेड़छाड़ की संभावना कम हो जाती है. गत वर्ष अक्टूबर माह में उन्होंने राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के माध्यम से ‘इजी गैस’ नामक एक साफ्टवेयर विकसित कराया.
गैस एजेंसियों को आनलाइन करते हुए सभी उपभोक्ताओं का पूरा विवरण कम्प्यूटर में दर्ज करवाया गया. जिले के दूरदराज क्षेत्रों में बैठे उपभोक्ताओं को यह सुविधा प्रदान की गई कि वे न्याय पंचायत स्तर पर खोले गए 186 लोकवाणी केंद्रों के माध्यम से मात्र दस रुपये में आनलाइन गैस की बुकिंग करवाकर रसीद प्राप्त करें. बुकिंग के समय उपभोक्ता को एक पर्ची मिलती है, जिसमें उपभोक्ता से संबंधित पूरा विवरण दर्ज होता है.
एजेंसियों को सात दिनों के अंदर गैस सिलेंडर प्रदान करने की अनिवार्यता है. यदि किसी उपभोक्ता को नियत समय के अन्दर सिलेंडर नहीं मिल पाता है तो वह बुकिंग डिफाल्टर की सूची में दर्ज हो जाती है. ‘इजी गैस’ के साफ्टवेयर पर एजेंसीवार कुल बुकिंग, कुल डिलेवरी तथा डिफाल्टर की अलग-अलग सूचना स्वत: अपडेट होती रहती है.
इस व्यवस्था के लागू होने से गैस की किल्लत से जूझ रहे उपभोक्ताओं को काफी राहत मिली क्योंकि कम्प्यूटर पर बैठकर कोई भी बड़ा अधिकारी एक मिनट में जिले की सभी 11 गैस एजेंसियांे द्वारा उस दिन की बुकिंग और वितरण की समीक्षा कर सकता है.
जिम्मेदार अधिकारी डिफाल्टरों की संख्या बढ़ने पर स्पष्टीकरण तलब करते हैं और एक बार बुक कराने के बाद किसी भी उपभोक्ता का नाम तब तक एजेंसी के डिफाल्टर सूची में दर्ज रहता है, जब तक उसे सिलेंडर मिल नहीं जाता.
इस प्रकार सिलेंडरों की संख्या घटाने अथवा खत्म करने लिए प्रत्येक एजेंसी के लिए आवश्यक हो जाता है कि वह बुकिंग के सात दिवस के अन्दर उपभोक्ता को सिलेंडर उपलब्ध करा दे.