गायत्री को जमानत के लिये 10 करोड़ की रिश्वत
इलाहाबाद | संवाददाता:रेप के आरोपी गायत्री प्रजापति को जमानत देने के लिये जज और वकीलों के बीच 10 करोड़ रुपये का लेनदेन हुआ था.5 करोड़ रुपये तो उन वकीलों को दिया गया था, जो इस मामले में दलाल की भूमिका निभा रहे थे. इसके अलावा पांच करोड़ रुपये जमानत के एवज में दिये गये. भारतीय न्यायपालिका को भ्रष्ट और दागदार करने वाले दोनों
गायत्री प्रजापति की जमानत में लेनदेन को लेकर उठे सवालों के बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस दिलीप बी भोसले ने पूरे मामले की जांच के आदेश दिये थे. इसी जांच की रिपोर्ट अब सामने आई है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपनी एक जांच रिपोर्ट में कहा है कि गायत्री प्रजापति के मामले से जुड़े पॉक्सो कोर्ट के जज ओपी मिश्रा की छवि अच्छी नहीं है. रिपोर्ट के अनुसार ओपी मिश्रा की पोस्टिंग पॉक्सो कोर्ट में करने वाले जिला जज राजेंद्र सिंह को भी रिश्वत दी गई थी. दोनों जजों को पांच करोड़ रुपये दिये गये थे. रिपोर्ट में बताया गया है कि बार एसोसिएशन के तीन पदाधिकारी वकीलों ने मिश्रा की पोस्टिंग करने के लिये यह डील की.
पॉक्सो कोर्ट के जज ओपी मिश्रा, जिला जज राजेंद्र सिंह और तीनों वकीलों की कई-कई दौर की बैठक हुई. अंतिम बैठक 24 अप्रैल को हुई, जिस दिन गायत्री प्रजापति को जमानत दी गई.
इलाहाबाद में जजों ने कैसी साजिश रची, इसका हाईकोर्ट ने विस्तार से उल्लेख किया है. पॉक्सो कोर्ट में लक्ष्मी कांत नामक जज की तैनाती की गई थी, जो बेहतर काम कर रहे थे. लेकिन प्रजापति को जमानत देने के लिये तीन सप्ताह में ही सेवानिवृत होने वाले ओपी मिश्रा नामक जज को नियम विरुद्ध तरीके से जिला जज ने नियुक्त किया.
इस मामले में संदिग्ध जज राजेंद्र सिंह को हाईकोर्ट में तैनात किया जाना था. लेकिन इस रिपोर्ट के बाद उनका नाम वापस ले लिया गया है. इसी तरह ओपी मिश्रा को भी सेवानिवृत्ति से दो दिन पहले निलंबित कर दिया गया.