मोदी के तेवर बदले
भोपाल | एजेंसी: भाजपा के फायर ब्रांड नेता नरेन्द्र मोदी के तेवर कुछ कम हुए हैं. मध्य प्रदेश के विधानसभा चुनाव में पार्टी का प्रचार के दौरान उनके तेवर में बदलाव नजर आया. शुरुआत में जहां उनके तेवर तल्ख और गांधी परिवार व प्रधानमंत्री पर उनके हमले धारदार थे, वहीं अंत में उनमें नरमी तो आई ही साथ में हमलों की धार भी पहले के मुकाबले कहीं कम हो गई.
शनिवार को राज्य विधानसभा चुनाव का प्रचार थम गया है. भाजपा के चुनाव प्रचार में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के अलावा सबसे ज्यादा किसी नेता की मांग रही है, तो वह हैं मोदी. पांच दिनों में उनकी कुल 15 सभाएं हुईं. युवा वर्ग में मोदी के प्रति आकर्षण को देखते हुए उनकी अधिकांश सभाएं शहरी इलाकों में रखी गईं.
राज्य विधानसभा चुनाव के दौरान मोदी के अंदाज को देखें तो शुरुआती सभाओं में वे सीधे तौर पर कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी और उससे कहीं ज्यादा उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर सीधे हमले करते नजर आए. उन्होंने अपनी सभाओं में राहुल को कई बार शहजादे कहकर संबोधित किया, वहीं प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर भी सवाल उठाए. लेकिन वक्त गुजरने और सभाओं का सिलसिला बढ़ने के साथ उनके तेवर कुछ नरम हुए और उन्होंने कांग्रेस व प्रधानमंत्री को महंगाई के मुद्दे पर घेरने की कोशिश की.
राज्य में चुनाव प्रचार का अंतिम दौर आते-आते मोदी के भाषणों का रूप बदल गया और उनके भाषण राहुल, सोनिया और मनमोहन पर सीधे हमले करने की बजाय महंगाई और राज्य की भाजपा सरकार खासकर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की उपलब्धियों तक सिमट गए.
वरिष्ठ पत्रकार शिव अनुराग पटेरिया कहते हैं कि मध्य प्रदेश सामाजिक समरसता का प्रदेश है, यहां साम्प्रदायिकता की रेखाएं नहीं खिंची हैं और लोग तल्ख भाषा ज्यादा पसंद नहीं करते. इतना ही नहीं हर समय आक्रामकता को भी कम ही लोग पसंद करते हैं. यही कारण रहा है कि मोदी को अपने भाषणों की भाषा में कुछ बदलाव लाना पड़ा.
राज्य विधानसभा चुनाव में, गुजरात के बाहर पहली बार मोदी के बदलते तेवर देखने को मिले हैं. अब लोगों की नजर इस बात पर रहेगी कि आगे अन्य जगह मोदी राहुल, सोनिया और मनमोहन पर चुटकी लेना ज्यादा पसंद करते हैं या अपने दल की खूबियां गिनाते हैं.