छत्तीसगढ़ में 19% घट गया जंगल
रायपुर | ममता मानकर : छत्तीसगढ़ में पिछले दो सालों में जंगल और घटा है. ये बात हम नहीं, भारत सरकार की फॉरेस्ट सर्वे ऑफ इंडिया की ताज़ा रिपोर्ट कह रही है. वही रिपोर्ट, जिसके आधार पर देश भर में कहा जा रहा है कि भारत में छत्तीसगढ़ ऐसा राज्य है, जहां सर्वाधिक जंगल बढ़ा है.
जबकि भारत सरकार की रिपोर्ट कहती है कि छत्तीसगढ़ में जंगल घटा है. राज्य के 60 फ़ीसदी ज़िलों में जंगल कम हुआ है.
जब हम जंगल और पेड़ों की बात करते हैं तो कई बार इस तथ्य को भूल जाते हैं कि जंगल का मतलब केवल पेड़ भर नहीं होता है. एक जंगल अपने आप में एक पूरी दुनिया है. जहाँ लोग हैं, पेड़- पौधे हैं, वन्यजीव हैं, कीट-पतंगे हैं. हवा है और सबकी अपनी-अपनी आवाज़ें हैं. खुली आंखों से नजर नहीं आने वाला जीवन भी इन्हीं जंगलों में बसता है. जंगल, एक पूरा साम्राज्य है. एक पूरा पारिस्थितिकी तंत्र है.
लेकिन पेड़ का मतलब जंगल और जंगल का मतलब पेड़, जैसी हमारी समझ ने एफएसआई की रिपोर्ट के मामले में भी ऐसा ही किया.
इस महीने, 21 दिसम्बर को वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023’ आईएफएसआर जारी किया गया. भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 श्रृंखला की यह 18वीं रिपोर्ट है.
भारतीय वन सर्वेक्षण सुदूर संवेदन उपग्रह आंकड़ों और फील्ड आधारित राष्ट्रीय वन इन्वेंट्री के तथ्यों के आधार पर देश के वन और वृक्ष संसाधनों का गहन आकलन करता है और इसके परिणाम भारत वन स्थिति रिपोर्ट में प्रकाशित किए जाते हैं.
और छत्तीसगढ़ में घट गया जंगल
इस रिपोर्ट के अनुसार छत्तीसगढ़ में जंगल का इलाका 2021 में 42433.80 वर्ग किलोमीटर था. 2023 में इसमें कमी आई और यह घट कर 42420.39 वर्ग किलोमीटर रह गया. इसका मतलब ये हुआ कि इन दो सालों में छत्तीसगढ़ में 13.41 वर्ग किलोमीटर यानी 3352 एकड़ जंगल कम हो गया.
एफएसआई के अनुसार राज्य में वृक्ष आवरण बढ़ा है लेकिन यह निजी, कृषि या आवासीय क्षेत्र में हुआ वृक्षारोपण है. वन क्षेत्र के बाहर वृक्ष आवरण में 702.75 वर्ग किमी की वृद्धि हुई है. लेकिन इसमें भी शुद्ध वृक्ष सह वन आवरण में केवल 683.62 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है.
इस रिपोर्ट से पता चलता है कि सरकारी और निजी दोनों वन आवरण में कमी आई है. इसलिए 2021 से 2023 के बीच छत्तीसगढ़ में कुल वन आवरण का नुकसान 19.13 वर्ग किलोमीटर या 4782 एकड़ है.
इन ज़िलों में घट गया जंगल
एफएसआई की रिपोर्ट बताती है कि 2023 में राज्य के 28 में से 17 ज़िले ऐसे हैं, जहां जंगल कम हुआ है. यानी 60 फीसदी ज़िलों में जंगल कटे हैं. 2021 की तुलना में 2023 में कई ज़िलों में जंगल के इलाके में भारी कमी आई है.
पिछले कई सालों की रिपोर्ट देखें तो पता चलता है कि राज्य बनने के बाद जंगल का ऐसा नुकसान कभी नहीं हुआ था.
छत्तीसगढ़ का अचानकमार जिस मुंगेली ज़िले में है, वहां दो सालों में जंगल में 17.27 फ़ीसदी की कमी आई है. इस ज़िले में आज की तारीख़ में 10,38.52 वर्ग किलोमीटर ही जंगल बचा है.
इसी तरह गरियाबंद ज़िले में 2,577.15 वर्ग किलोमीटर ही जंगल बचा है. 2021 की तुलना में गरियाबंद में जंगल के इलाके में 11.02 प्रतिशत की कमी आई है.
2021 में कबीरधाम ज़िले में जंगल का इलाका 1547.88 वर्ग किलोमीटर था. 2023 में यह घट कर 1532.5 वर्ग किलोमीटर रह गया. यानी दो सालों में जंगल के इलाके में 8.44 प्रतिशत की कमी आई.
बस्तर संभाग के कोंडागांव में जंगल के इलाके में 7.54 प्रतिशत की कमी आई है. यहां जंगल का इलाका 2,165.50 वर्ग किलोमीटर रह गया.
बलरामपुर ज़िले में जंगल का इलाका घट कर 3134.46 वर्ग किलोमीटर रह गया है. पिछले दो सालों में इस ज़िले में जंगल के इलाके में 6.45 वर्ग किलोमीटर की कमी आई है.
राज्य के दूसरे ज़िलों की बात करें तो महासमुंद में जंगल के इलाके में दो सालों में 5.05 प्रतिशत की कमी, राजनांदगांव में 4.38 प्रतिशत की कमी, कोरबा ज़िले में 3.66 प्रतिशत की कमी, कोरिया में 3.24 प्रतिशत की कमी, सूरजपुर में 3.10 प्रतिशत की कमी, जांजगीर चांपा ज़िले में 2.42 प्रतिशत की कमी, सुकमा में 2.27 प्रतिशत की कमी, दुर्ग ज़िले में 1.81 प्रतिशत की कमी, सरगुजा में 1.75 प्रतिशत की कमी, जशपुर में 1.68 प्रतिशत की कमी, रायगढ़ में 1.03 प्रतिशत की कमी और बेमेतरा में 0.90 प्रतिशत जंगल के इलाके में कमी आई है.
देश में भी जंगल का हाल और उसका विश्लेषण छत्तीसगढ़ की तर्ज पर ही किया जा रहा है.
देश में वन आवरण में कुल वृद्धि 1445 वर्ग किलोमीटर नहीं, बल्कि 156 वर्ग किलोमीटर है, जिसमें रिकार्ड में दर्ज वन केवल 7 वर्ग किलोमीटर है, जबकि 149 वर्ग किलोमीटर गैर-रिकॉर्डेड वन है. विभिन्न किस्म के वृक्षारोपण या पार्क आदि के 1289 वर्ग किलोमीटर वृक्ष आवरण को जोड़कर इसे, 1445 वर्ग किलोमीटर की तरह देखा जा रहा है.