ब्रेड में कैंसर पैदा करने वाले तत्व
नई दिल्ली | विशेष संवाददाता: देश में आर्थिक घोटालों के बाद खाद्य घोटाले लगातार सामने आ रहें हैं. इन घोटालों का संबंध सीधे तौर पर आम जनता के स्वास्थ्य से है. इनसे कैंसर तक होने की संभावना है उसके बावजूद नियामक एजेंसिया न तो इनका पता लगा पाती है और न ही इन्हें रोक पाती है. हालिया वैज्ञानिक अध्ययन से पता चला है कि ब्रेड से कैंसर हो सकता है. इससे पहले जांच में यह बात सामने आई थी कि मैगी में शीशे की मात्रा खतरनाक स्तर तक है. सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरनमेंट (CSE) की रिसर्च में इस बात का खुलासा हुआ है कि ब्रेड में हानिकारक पोटैशियम ब्रोमेट और पोटैशियम आयोडेट का इस्तेमाल किया जा रहा है. ब्रेड, बन्स, रेडी-टू-ईट बर्गर और पिज्जा के 38 पॅाप्युलर ब्रैंड के सैंपल लिए गए थे जिनमें 80 प्रतिशत पॅाजिटिव पाए गए.
अध्यन से पता चला है कि ब्रेड बनाने के दौरान आटे में पोटैशियम ब्रोमेट तथा पोटैशियम आयोडेट का इस्तेमाल किया जाता है. पोटैशियम ब्रोमेट से शरीर में कैंसर का खतरा रहता है जबकि पोटैशियम आयोडेट से थायरॉयड होने का डर है.
अध्ययन में कहा गया है कि ब्रेड बनाते समय भारतीय निर्माता आटे में पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आइडेट का उपयोग करते हैं. कई देशों में ब्रेड बनाने में इन केमिकलों के इस्तेमाल पर बैन लगा दिया गया है लेकिन भारत में इन पर प्रतिबंध नहीं है. सीएसई के मुताबिक भारत में ब्रेड बनाने वाली ज्यादातर कंपनियां इन केमिकल्स का इस्तेमाल करती हैं.
उल्लेखनीय है कि अमरीका, इंग्लैंड, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, चीन, श्रीलंका, ब्राजील, नाइजीरिया, पेरू और कोलंबिया तमाम वह देश है जहां पर इन केमिकल्स के इस्तेमाल पर पूरी तरह से रोक लगी हुई है. हैरानी की बात है कि भारत में खाने-पीने की चीजों पर निगरानी रखने वाली संस्था FSSAI इस मामले में अभी तक आंखें मूंद रखी हैं.
सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरनमेंट ने भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) से सिफारिश की है कि वो पोटेशियम ब्रोमेट के ब्रेड में उपयोग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दे. सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरनमेंट के डेप्युटी डायरेक्टर जनरल और लैब हेड चंद्र भूषण ने कहा- हमें 84 प्रतिशत सैंपल पॅाजिटिव मिले हैं. हमने कुछ सैंपल को थर्ड पार्टी लैब में भी जांच के लिए भेजा है. हमने लेबल देखे और इंडस्ट्री और वैज्ञानिकों सेभी बात की. हमारे अध्ययन में स्पष्ट हुआ कि फाइनल प्रोडक्ट में पोटेशियम ब्रोमेट और पोटेशियम आयोडेट के अवशेष मौजूद हैं.
अध्ययन सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरनमेंट की प्रदूषण निगरानी प्रयोगशाला (पीएमएल) द्वारा आयोजित किया गया. यह एक तरह से देश का दूसरा प्रमुख खाद्य घोटाल है. देश की खाद्य नियामक ने पिछले साल लोकप्रिय नूडल नाश्ता मैगी पर प्रतिबंध लगा दिया था. क्योंकि कई राज्य प्रयोगशालाओं में हुए परीक्षण के बाद मैंगी में शीशा होने की पुष्टि हुई थी. हालांकि बाद में बाम्बे हाई कोर्ट ने पिछले साल नवंबर में मैंगी पर से प्रतिबंध हटा लिया था.
पढ़े सेंटर फॉर साइंस एंड इंवायरनमेंट की रिपोर्ट-