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ओपी चौधरी के खिलाफ होगी एफआईआर

रायपुर | संवाददाता: आईएएस से नेता बने ओपी चौधरी के खिलाफ आप पार्टी एफआईआर दर्ज करायेगी. आरोप है कि ओपी चौधरी ने दंतेवाड़ा कलेक्टर रहते हुए वहां सरकारी और निजी जमीन की अदला-बदली कर कथित रुप से करोड़ों का भ्रष्टाचार किया. मामले की शिकायत पर हाईकोर्ट ने ज़मीन आवंटन को रद्द कर दिया था.

हालाँकि ओपी चौधरी ने आरोपों से इंकार करते हुये टिप्पणी नहीं करने की बात कही है.

गौरतलब है कि ओपी चौधरी आईएएस थे और रायपुर के कलेक्टर पद से इस्तीफा दे कर हाल ही में वे भाजपा में शामिल हुये हैं. जिस कार्यकाल में कथित भ्रष्टाचार का मामला बताया गया है, उस दौर में ओमप्रकाश चौधरी 31 मार्च 2011 से 5 अप्रैल 2013 तक और केसी देवसेनापति 5 अप्रैल 2013 से 14 अप्रैल 2016 तक दंतेवाड़ा कलेक्टर के पद पर पदस्थ थे.

बुधवार को दिल्ली सरकार के मंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता गोपाल राय, संयोजक डॉ. सकेत ठाकुर और उचित शर्मा ने ओपी चौधरी पर कई गंभीर आरोप लगाये हैं.आप के नेताओं के अनुसार जिला पंचायत दन्तेवाड़ा के पास बैजनाथ नामक एक किसान की निजी कृषि 3.67 एकड़ जमीन थी.

आरोप के अनुसार जमीन मालिक बैजनाथ से इस जमीन को चार लोगों ने खरीदा, जिसके बाद इस जमीन को विकास भवन के नाम पर सरकार ने लेकर दन्तेवाड़ा में बस स्टैंड के पास करोड़ों की व्यावसायिक के साथ कृषि जमीन की अदला बदली कर ली.

आरोप

वर्ष 2010 में एक किसान बैजनाथ से 4 लोगों ने मिलकर 3.67 एकड़ कृषि भूमि की खरीदी की. इन चारों लोगों की निजी भूमि को सरकार ने जिला पंचायत परिसर में विकास भवन बनाने के नाम पर लेने की कार्रवाई शुरु की.

मार्च 2013 में राजस्व निरीक्षक तहसीलदार पटवारी और एसडीएम ने मिलकर सिर्फ 15 दिन के भीतर ही इन चारों की निजी जमीन के बदले में सरकारी भूमि देने की प्रक्रिया पूरी कर डाली. केवल 1 दिन के भीतर जमीन जमीन बेचने की अनुमति और नामांतरण संबंधी प्रक्रिया पूरी कर ली गई.

नया सौदा होने के बाद कलेक्ट्रेट से लगी इस जमीन पर जिला पंचायत का नया भवन बनाने की योजना बनी. लेकिन इसके लिए जमीन अधिग्रहण के बजाए जमीन की अदला-बदली का प्रस्ताव आया. तय हुआ कि इस जमीन के बदले मालिक को दूसरी जगह पर जमीन आबंटित की जाएगी. मालिक को दो अलग अलग जगह पर जमीन दी गई.

एक जमीन का टुकड़ा 1.6 किमी की दूरी पर दी गई, जिसका रकबा करीब 1.60 हेक्टेयर था और दूसरी जमीन शहर से दूर दी गई. जिसका रकबा करीब .67 हेक्टेयर था.

आप नेताओं के अनुसार यह दोनों पक्षों की सहमति से और एक्सचेंज पाने वाले व्यक्ति की पसंद पर हुआ. एक्सचेंज में दी गई जमीन की कीमत करीब 25 लाख आंकी गई. अब जो जमीन शहर से दूर अलग-अलग टुकड़ों में दी गई थी, इसका एक हिस्सा यानी .67 हेक्टेयर में से करीब .202 हेक्टेयर जमीन एक्सचेंज में पाने वाले को पसंद नहीं आई तो उसने आवेदन लगाया कि उसे दूसरी जमीन दी जाए.

दिलचस्प ये है कि जिस पूरे .67 हेक्टेयर जमीन की कीमत 25 लाख आंकी गई थी, अब उसी के एक टुकड़े जमीन की बदली करते समय उसकी कीमत बढ़कर 34 लाख बता दी गई.

आप नेताओं का आरोप है कि निजी भूमि को मंहगे दर पर और सरकारी महंगी जमीन को सस्ती बता कर कूटरचना की गई. जिसके फलस्वरुप 5.67 एकड़ सरकारी कीमती भूमि इन लोगों को दे दी गई. बाद में इस प्रकरण को जनहित याचिका के माध्यम से चुनौती दी गई.

हाईकोर्ट ने दिया था जांच का आदेश

उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस दीपक गुप्ता एवं जस्टिस पी. सैम कोशी द्वारा जो 15 सितंबर 2016 को पूरे मामले की जांच के निर्देश दिये. इस मामले में तत्कालीन कलेक्टर, तहसीलदार, राजस्व निरीक्षक एवं अन्य अधिकारियों को मुख्य न्यायाधीश, बिलासपुर हाईकोर्ट ने दोषी पाया तथा इस मामले में 1 लाख रुपये का जुर्माना भी ठोंका.

आप नेताओं के अनुसार कोर्ट ने साफ तौर पर इसे लैंड स्कैम कहा. इससे सरकारी पैसों और संपत्ति का नुकसान हुआ है. इसमें कलेक्टर और राजस्व अधिकारियों की सांठगांठ साफ दिखाई पड़ रहा है. कोर्ट ने यह भी साफ किया कि कलेक्टर को गैर कृषि जमीन के एक्सचेंज का अधिकार ही नहीं है. कोर्ट ने तमाम एक्सचेंज को रद्द करने का आदेश दिया था.

कोर्ट का पूरा आदेश आप यहां क्लिक कर के पढ़ सकते हैं.

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस जमीन पर विकास भवन बनना था, वह आज भी वीरान पड़ा है. जबकि जिस सरकारी भूमि पर कब्जा किया गया, उस पर करोड़ों रुपये के शॉपिंग कांप्लेक्स बन गए हैं.

आम आदमी पार्टी के प्रदेश संयोजक डॉ संकेत ठाकुर अतिशीघ्र इस मामले में ओपी चौधरी के खिलाफ लोकायुक्त से एफआईआर दर्ज करने की मांग करेंगे. हाईकोर्ट वकील और बिलासपुर विधानसभा प्रत्याशी डॉ शैलेश आहूजा ने कहा है कि वे हाईकोर्ट में सरकार के खिलाफ कोर्ट की अवमानना का प्रकरण दर्ज कराएंगे.

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