राष्ट्र

EPF: मोदी सरकार, एक कदम पीछे

नई दिल्ली | समाचार डेस्क: देशव्यापी विरोध के बाद ईपीएफ निकासी पर प्रस्तावित टैक्स वापस ले लिया गया है. केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कहा कि सरकार कर्मचारी भविष्य निधि कोष खाते से की जाने वाली निकासी पर आंशिक कर लगाने के बजट प्रस्ताव को वापस ले रही है. जेटली ने लोकसभा में कहा, “सांसदों सहित समाज के विभिन्न वर्गो के प्रतिनिधियों ने सरकार को सुझाव दिया है कि इस प्रावधान के कारण आम आदमी न चाहते हुए भी एन्युइटी उत्पादों में निवेश करने के लिए बाध्य होंगे.”

उन्होंने कहा, “तर्क यह है कि कर्मचारियों के पास निवेश विकल्पों में से चुनाव करने की आजादी होनी चाहिए. सैद्धांतिक रूप से यह आजादी होनी चाहिए, लेकिन सरकार के लिए कराधान के विकल्पों का इस्तेमाल कर नीतिगत लक्ष्यों को हासिल करना जरूरी है.”

जेटली ने कहा, “इस सुधार में नीतिगत लक्ष्य अधिक आय हासिल करना नहीं है, बल्कि पेंशन योजनाओं से जुड़ने के लिए प्रोत्साहित करना है.” इसके बाद उन्होंने कहा कि बजट के 138वें और 139वें अनुच्छेद में उल्लिखित प्रस्तावों को व्यापक रूप से समीक्षा के लिए वापस लिया जाता है.

उन्होंने कहा, “राष्ट्रीय पेंशन योजना उपभोक्ताओं के लिए निकासी के समय दी गई 40 फीसदी छूट का प्रस्ताव कायम रहेगा.”

बजट भाषण के 138वें अनुच्छेद में कहा गया है, “सुपरएन्युएशन कोषों और ईपीएफ सहित मान्यताप्राप्त भविष्य निधि कोषों के मामले में एक अप्रैल 2016 के बाद किए गए योगदान से निर्मित कोष के 40 फीसदी हिस्से को कर मुक्त रखे जाने का वही प्रावधान लागू होगा.”

अनुच्छेद 139 में कहा गया है, “साथ ही, पेंशनभोगी की मृत्यु के बाद उसके कानूनी वारिश को मिलने वाले कोष पर सभी तीन मामलों में कर नहीं लगेगा. इसके साथ ही, हम मान्यताप्राप्त भविष्य निधि और सुपरएन्युएशन कोष में कर लाभ के लिए कर्मचारियों के योगदान की सालाना मौद्रिक सीमा 1.5 लाख रुपये रखने का भी प्रस्ताव रखते हैं.”

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!