रायपुर

छत्तीसगढ़ में डीजे और लाउडस्पीकर पर सुप्रीम कोर्ट के निर्देश हाशिए पर

रायपुर | संवाददाता: ध्वनि विस्तारक यंत्रों के उपयोग को लेकर छत्तीसगढ़ में सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों को ठेंगे पर रख दिया गया है. हालत ये है कि राज्य सरकार के खुद के निर्देशों का पालन करने में भी अधिकारियों की दिलचस्पी नहीं है.जानलेवा ध्वनि विस्तारक यंत्रों का गैरक़ानूनी उपयोग जारी है.

पिछले पखवाड़े भर में बलरामपुर रामानुजगंज से लेकर राजधानी रायपुर तक, गाड़ियों में साउंड बॉक्स लाद कर जानलेवा तीव्रता के साथ गाने बजते रहे हैं. इन पर कड़ाई से रोक लगाने की कोशिश कहीं नहीं हो रही है.

2016 में रायपुर के पर्यावरण प्रेमी नितिन सिंघवी द्वारा दायर एक जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने 27 अप्रैल 2017 को आदेश जारी करते हुए उच्चतम न्यायालय द्वारा ध्वनि प्रदूषण को लेकर जारी निर्देश (2005) 5 SCC 733 के पालन को लेकर दिशा-निर्देश दिए थे. लेकिन इस निर्देश का पालन नहीं किया गया.

इसके बाद इसी तरह के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए हाईकोर्ट ने WP PIL 88/2023 दर्ज़ करते हुए राज्य सरकार को निर्देश दिए.

जिसके बाद राज्य सरकार के आवास एवं पर्यावरण विभाग ने ज़िलों के कलेक्टर और एसपी को इस फ़ैसले का पालन करने का निर्देश दिया गया. लेकिन कुछ मामलों को छोड़ दिया जाए तो ये निर्देश फाइलों तक रह गए हैं.

निर्देश में साफ़ कहा गया कि कलेक्टर और एसपी सुनिश्चित करें कि किसी भी वाहन पर साउंड बॉक्स न बजे. वाहन में साउंड बॉक्स मिलने पर जब्त किया जाए. जब्त साउंड बॉक्स को मजिस्ट्रेट (कलेक्टर) के आदेश के बाद ही छोड़ा जाना है. दूसरी बार पकड़े जाने पर उस वाहन का परमिट निरस्त किया जाएगा तथा हाईकोर्ट के आदेश बिना उस वाहन को कोई भी नया परमिट नहीं जारी किया जाएगा. नियम का उल्लंघन करते पाए जाने पर संबंधित अधिकारी पर अवमानना की कार्रवाई होगी.

निर्देश में कहा गया कि ध्वनि विस्तारक यंत्र का निर्धारित मापदन्डों से अधिक ध्वनि विस्तार होने पर अधिकारी जाएं तो वे लोगों की भावना की कद्र करने हुये नम्रता पूर्वक उन्हें माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने को कहें. अगर आयोजक विरोध करता है तो उसके विरूद्ध कोर्ट में कार्यवाही की जाए. इसके अतिरिक्त संबंधित अधिकारी आयोजक के विरूद्ध माननीय उच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन करने पर अवमानना का प्रकरण उच्च न्यायलय के दायर में किया जाए. अगर आयोजक उच्च न्यायालय के आदेश का पालन करने के लिये तैयार हो जाता है तो उसके ध्वनि यंत्र जप्त नहीं करे परंतु अगर आदेश नहीं माना जाता है तो ध्वनि यंत्रों को जप्त कर तब तक नहीं छोड़ा जाएगा, जब तक कि माननीय उच्च न्यायालय से अनुमति नहीं ली जाती. परंतु अगर ध्वनि विस्तार यंत्र टेन्ट हाउस, साउण्ड सिस्टम प्रदायकर्ता या डी.जे. वाले का पाया जाता है तो उसे सीधे जप्त किया जाएगा.

निर्देश में कहा गया कि स्कूल, कालेज, अस्पताल, कोर्ट, आफिस से 100 मीटर ऐरियल डिस्टेन्स पर लाउड स्पीकर बजने पर कलेक्टर, एस.पी., डी.एस.पी. या प्राधिकृत अधिकारी को ध्वनि विस्तार यंत्रों को जप्त करना होगा, जिसे बिना मजिस्ट्रेट की अनुमति के वापस नहीं किया जाएगा. ध्वनि यंत्रों के मालिक द्वारा शपथ-पत्र प्रस्तुत करने पर कि वह आगे गलती नहीं करेगा, ध्वनि यंत्रों के मालिक को वापस किया जा सकेगा. दूसरी बार ऐसा किये जाने पर जप्त किये गये यंत्रों को उच्च न्यायालय के आदेश के बिना वापस नहीं किया जाएगा.

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