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ध्वनि प्रदूषण पर कोर्ट की कड़ाई

बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने ध्वनि प्रदूषण कर कड़ा रुख अपनाया है. हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि प्रत्येक जिले में ध्वनि प्रदूषण मापने के 20-20 यंत्र लगाये. इसके अलावा कोर्ट ने जिला कलेक्टर के अलावा पुलिस अधीक्षक, उप पुलिस अधीक्षक तथा एसडीएम को भी ध्वनि प्रदूषण के लिये जवाबदेह माना है. अदालत ने आदेशित किया है कि ध्वनि प्रदूषण के मामले में अब तक की गई कार्यवाहियों की जानकारी सहित शपथ पत्र प्रस्तुत किया जाये.

अदालत ने कहा है कि यह सुनिश्चित किया जाये कि कहीं भी नियमों के विरूद्ध ध्वनि विस्तारक यंत्र नहीं बजाये जायें. गौरतलब है कि रायपुर निवासी नितिन सिंघवी की जनहित याचिका में मांग की गई थी कि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण से संबन्धित जारी किये गये निर्देशों का पालन छत्तीसगढ़ में नहीं किया जा रहा है. ये निर्देश फोरम, प्रिवेनशन ऑफ इनवायरमेन्ट एण्ड साउन्ड पाल्यूशन के मामले में 2005 में दिये गये थे. जिसके तहत पटाखों, लाउड स्पीकर, ड्रमों, वाहनों द्वारा किये जा रहे ध्वनि प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए विस्तृत निर्देश दिये गये थे.

अदालत को यह बताये जाने पर कि छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल के पास पूरे छत्तीसगढ़ में ध्वनि मापने के लिए सिर्फ 7 उपकरण हैं तथा वर्ष 2014 तथा 2015 में छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मण्डल ने बारात और गणेश व दुर्गा विसर्जन में कभी भी ध्वनि मापन नहीं किया, कोर्ट ने आदेशित किया कि प्रत्येक जिले में ध्वनि प्रदूषण के 20-20 यंत्र होने चाहिये जिससे समय-समय पर ध्वनि प्रदूषण को नापा जाये. अदालत ने कहा है कि ध्वनि प्रदूषण से संबन्धित अधिनियम तथा नियम भी बने हैं परन्तु उनका पालन नहीं हो रहा है. पर्यावरण संरक्षण अधिनियम के तहत जारी ध्वनि प्रदूषण नियम 2000 के अनुसार रहवासी क्षेत्र में दिन में 55 DbA तथा रात में 45 DbA से अधिक ध्वनि विस्तार नहीं होना चाहिये.

गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ कोलाहल अधिनियम 1985 के प्रावधानों का उल्लंघन हो रहा है जिसकी धारा 5, 6 तथा 7 के तहत बिना अनुमति के लाउड स्पीकर तथा ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग नहीं किया जा सकता. इसी तरह रात 10 बजे से सुबह 6 बजे तक लाउड स्पीकर तथा ध्वनि विस्तारक यंत्रों का उपयोग नहीं किया जा सकता. इतना ही नहीं कोलाहल अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार चिकित्सालय, नर्सिंग होम, दूरभाष केन्द्र, न्यायालय, शिक्षण संस्थान, छात्रावास, सरकारी कार्यालयों, बैंक इत्यादि से 200 मीटर की दूरी के अन्दर ध्वनि विस्तारक यंत्र का उपयोग करने से पूर्व अनुमति लेना आवश्यक है. लेकिन राज्य में ऐसा नहीं किया जा रहा है.

One thought on “ध्वनि प्रदूषण पर कोर्ट की कड़ाई

  • DEV KUMAR SUNWAR

    मेरा प्रसन्न यह है कि सिर्फ कानून बनाने और बैठ कर आदेश देने से कुछ नहीं होगा। लाउडस्पीकर के विषय में ऐसे नियम बनाने चाहिए कि बजाने से पहले मोहल्ले में रहने वाले आसपास के कम से कम 10 – 15 लोगों के हस्ताक्षर करके फिर थाने से परमिशन लेने के बाद बजाने की इजाजत देनी चाहिए। न कि सिर्फ थाने के परमिशन पर बजाने की इजाजत देनी चाहिए। लोग मंदिर तथा मस्जिदों में धर्म की आड़ में सुबह शाम लाउडस्पीकर बजाकर हल्ला करते हैं तथा बच्चों की पढ़ाई में बाधा डालते हैं। बढ़े बुर्जगों की नींद हराम होती है। महिलाऐं जो दिन भर घर में रहती है उन्हें सबसे ज्यादा तकलीफ होती है। इन सब चीजों का ध्यान रखना चाहिए।

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