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डिजिटल इंडियाः छत्तीसगढ़ के केवल11% गांवों में ही ओफसी

रायपुर | संवाददाता : डिजिटल इंडिया का दावा चाहे जितना भी हो लेकिन मैदानी हालत खराब है.बदहाली का अनुमान इससे लगाया जा सकता है कि राजधानी रायपुर के कई इलाकों में अब भी सेल फोन नेटवर्क ठीक-ठीक काम नहीं करता. छत्तीसगढ़ के गांवों में तो बुरा हाल है.

डिजिटल इंडिया योजना के तहत भारतनेट परियोजना को लेकर मामला प्रचार-प्रसार तक ही अटका हुआ है.

इस योजना के तह सभी श्रेणियों के सेवा प्रदाताओं द्वारा ब्रॉडबैंड कनेक्टिविटी उपलब्ध कराने के लिए ऑप्टि्कल फाइबर केबल का उपयोग करते हुये ग्राम पंचायतों को जोड़ते हुए नेटवर्क स्थापित करने की योजना थी. लेकिन छत्तीसगढ़ इसमें अब तक पीछे है.

आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ की 10968 ग्राम पंचायतों में से पहले चरण में 4104 ग्राम पंचायतों में ऑप्टिकल फाइबर केबल लगाने की योजना थी. लेकिन अभी तक केवल 1293 ग्राम पंचायतों में ही इस सुविधा के लिये केबल बिछ पाये हैं.

आंकड़ों को देखें तो यह छत्तीसगढ़ की कुल ग्राम पंचायतों का केवल 11.79 प्रतिशत है. सरकारी अधिकारियों का कहना है कि सभा सेवा प्रदाता कंपनियों का अगर सहयोग मिलता है तो इस साल के नवंबर तक 4104 गांवों में ब्राडबैंड सुविधा आरंभ हो पायेगी. हालांकि इसकी गुंजाइश कम ही है.

देश के संचार राज्य मंत्री मनोज सिन्हा भी मान कर चल रहे हैं कि अगर सब कुछ ठीक-ठीक रहा तो 2023 तक रिंग वास्तुरकला में भूमिगत ओएफसी के साथ 5जी सेवाओं और ‘इंटरनेट ऑफ थिंग्सन’ सहित जिलों और ब्लॉकों के बीच फाइबर बिछाने का काम पूरा हो पायेगा. यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सपने को पंख लगने में अभी कई साल बाकि हैं.

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