रक्तचाप और मधुमेह में मददगार मोबाइल टूल
वास्को-द-गामा | इंडिया साइंस वायर: मधुमेह और रक्तचाप की पहचान अब आसान हो गई है. भारतीय शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और ऑटोमेशन आधारित नई तकनीक विकसित की है, जिसके उपयोग से रक्तचाप और मधुमेह की पहचान तथा नियंत्रण में मदद मिल सकती है.
इस मोबाइल आधारित टूल को हैदराबाद स्थित मेडिसिटी इंस्टिट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज, सोसायटी फॉर हेल्थ एलाइड रिसर्च ऐंड एजुकेशन तथा तिरुवनंतपुरम के श्री चित्रा तिरुनल इंस्टिट्यूट फॉर मेडिकल सांइसेज ऐंड टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने विकसित किया है.
इस टूल की उपयोगिता के अध्ययन के लिए तेलंगाना के मेडचल जिले के दो गांवों में लगभग 2000 लोगों में हृदय रोगों के लिए जिम्मेदार दो प्रमुख कारणों उच्च रक्तचाप और मधुमेह की जांच की गई है.
इसमें पता चला कि 50 प्रतिशत लोगों को उच्च रक्तचाप और 25 प्रतिशत लोगों को मधुमेह से ग्रस्त होने की जानकारी पहले नहीं थी. दो वर्षों तक इस टूल के उपयोग से उच्च रक्तचाप से पीड़ित 54 प्रतिशत मरीजों का रक्तचाप नियंत्रित हुआ है. इसी तरह, 34 प्रतिशत मधुमेह रोगियों की रक्त शर्करा में भी सुधार देखा गया है.
इस अध्ययन के दौरान गांवों में आशा कार्यकर्ताओं को एम-हेल्थ नामक टूल, स्फिग्मोमैनोमीटर और ग्लूकोमीटर का उपयोग करने के लिए प्रशिक्षित किया गया था. कार्यकर्ताओं को मरीजों तथा चिकित्सकों के बीच स्काइप साक्षात्कार कराने के लिए भी प्रशिक्षण दिया गया है.
बेहद महत्वपूर्ण साबित होगा यह टूल
आशा कार्यकर्ताओं को एम-हेल्थ टूल एप्लिकेशन इंस्टॉल किया हुआ टैबलेट कंप्यूटर और अन्य उपकरण दिए गए थे. इन उपकरणों को टैबलेट कंप्यूटर से जोड़ा जाता है, जिससे मरीजों के हेल्थ परिणाम अपने आप रिकार्ड होते हैं.
चिकित्सक इन रिकार्डों का अध्ययन करके वीडियो कांफ्रेसिंग के माध्यम से मरीजों तक दवाओं का ई-पर्चा पहुंचाते है. निश्चित समय अंतराल पर कार्यकर्ता, चिकित्सक और रोगी इंटरनेट के जरिये संपर्क में बने रहते हैं.
इस अध्ययन से जुड़े प्रमुख शोधकर्ता डॉ. शैलेंद्र डेंदगे ने बताया कि “यह टूल निश्चित रणनीति के तहत काम करने वाला कंप्यूटर विंडोज एप्लिकेशन है. यह प्रशिक्षित कार्यकर्ताओं, स्वचालित चिकित्सा उपकरणों, टैबलेट कंप्यूटर, इंटरनेट सर्वर और वायरलेस प्रिटंर के सम्मिलित सहयोग से काम करता है. क्षेत्रों में गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य देखभाल सेवाएं प्रदान करने में यह टूल महत्वपूर्ण हो सकता है.”
श्री चित्रा तिरुनल इंस्टिट्यूट फॉर मेडिकल सांइसेज ऐंड टेक्नोलॉजी के वरिष्ठ शोधकर्ता डॉ. पी. जीमॉन ने बताया कि “यह तकनीक रोगियों की स्वास्थ्य संबंधी जानकारियों को डिजिटल करने में उपयोगी हो सकती है. इसकी मदद से उच्च रक्तचाप और मधुमेह की जांच तथा नियंत्रण के लिए मजबूत स्वास्थ प्रणाली बनायी जा सकेगी. यह शोध देश के दूरस्थ अंचलों में बसे ग्रामीणों में उच्च रक्तचाप और मधुमेह आधारित हृदय रोगों से बचाव और मृत्यु दर कम करने के लिए भावी अनुसंधान का मंच प्रदान करता है. इस तकनीक का उपयोग स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने के लिए भी किया जा सकता है.”
अध्ययनकर्ताओं में डॉ. शैलेंद्र डेंदगे और डॉ. पी. जीमॉन के अलावा अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ पिट्सबर्ग में कार्यरत डॉ. पी.एस. रेड्डी भी शामिल थे. यह अध्ययन शोध पत्रिका प्लॉस वन में प्रकाशित किया गया है.