राष्ट्र

भुल्लर के बाद अब 17 की फांसी पर फैसला

नई दिल्ली | संवाददाता:बम धमाकों में 9 पुलिसकर्मियों की जान लेने वाले देविंदर पाल सिंह भुल्लर की फांसी की सजा को उम्रकैद में बदलने की याचिका खारिज होने के बाद अब उन 17 लोगों की फांसी का रास्ता भी साफ हो गया है, जिन्होंने भुल्लर की तरह ही दया याचिका की सुनवाई में विलंब को आधार बना कर फांसी की सजा रद्द करने की मांग की है.

गौरतलब है कि आतंकवादी देविंदर पाल सिंह भुल्लर की याचिका सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दी है. न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी और न्यायमूर्ति एसजे मुखोपाध्याय की पीठ ने भुल्लर की फांसी की सजा को इस आधार पर रोकने से मना कर दिया कि उसकी दया याचिका 8 साल तक राष्ट्रपति के पास लंबित रही है.

भुल्लर की तरह की कई मामले सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट में लंबित हैं. 17 लोगों में से कुछ के मामले तो इसी महीने सुप्रीम कोर्ट में दायर हुये थे. इसमें से एक धर्मपाल को 14 अप्रैल को ही फांसी देना तय किया गया था लेकिन याचिका के कारण फांसी टल गई. इसी तरह सितंबर 2012 में राजीव गांधी के हत्यारों को फांसी होनी थी लेकिन उनकी फांसी भी याचिका के कारण टल गई.

पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के आरोपी पेरारिवालन, संथान और मुरुगन को 8 नवंबर 1997 को फांसी की सजा सुनाई थी, जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने 11 मई 1999 को अपनी सहमति जताई थी. इसके बाद इन्होंने राष्ट्रपति के पास अपनी याचिका दायर की लेकिन राष्ट्रपति ने 2011 में इनकी याचिका खारिज की और 9 सितंबर 2012 को इन्हें फांसी देना तय किया गया. इस देरी को आधार बनाते हुये इन सब ने कोर्ट में याचिका दायर की है.

दूसरा मामला चंदन तस्कर वीरप्पन के चार साथियों से जुड़ा हुआ है. बम विस्फोट करके पुलिस वालों की हत्या के आरोपी ज्ञान प्रकाश, साइमन, मीसेकर और बिलवेंद्रन को 2004 में फांसी की सजा सुनाई गई थी. इसके बाद 2004 में इन्होंने राष्ट्रपति को दया याचिका की थी. लेकिन वहां से याचिका खारिज होने के बाद इन्होंने देरी को आधार बना कर सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई है. ऐसे ही मामले में प्रवीण कुमार, सोनिया, संजीव, सुंदर सिंह, सुरेश, रामजी, गुरुमीत, जफर अली और धर्मपाल की दया याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट ने 6 अप्रैल को इनकी अपील पर फांसी की सजा पर रोक लगा दी है.

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