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चंदे पर टिकेगा, चीन की दीवार

नई दिल्ली | न्यूज डेस्क: चीन की दीवार की मरम्मत के लिये वहां को लोगों से चंदा एकत्र किया जा रहा है. अब तक करीब 30 लाख रुपये जमा हो गये हैं. उम्मीद की जा रही है कि 1 दिसंबर तक 17 करोड़ रुपये जमा हो जायेंगे. यह अभियान ‘चाइनीज़ फ़ाउंडेशन फ़ॉर कल्चरल हेरिटेज कंज़र्वेशन’ की तरफ से चलाया जा रहा है.

चंदा इकट्ठा करने वाले अभियान के प्रभारी तुंग याहुई का कहना है कि इस विशाल धरोहर की सुरक्षा करना अकेले सरकार का काम नहीं है.

उन्होंने कहा, “चंदा देने वाले हर आदमी को जोड़ने के बाद, चाहे उसकी रक़म बिल्कुल छोटी ही क्यों न हो, हम इस महान दीवार को बचाने का उपाय कर लेंगे.”

चंदे से जमा की गई रक़म का इस्तेमाल ‘शीफ़ेंकाउ’ सेक्शन की मरम्मत के लिए किया जायेगा. चीन की मशहूर दीवार का यह हिस्सा एक जलाशय से होकर गुज़रता है.

चीन की दीवार को जिसे ‘ग्रेट वॉल ऑफ चाइना’ कहा जाता है की मरम्मत के लिये चंदा एकत्र किये जाने पर वहां की सोशल मीडिया में कई तरह से टिप्पणी की जा रही है. एक ने कहा है “मैं इसमें निवेश करना चाहता हूं, ताकि भविष्य में गर्व के साथ अपने बच्चों से कह सकूं कि यह हमारे परिवार की जागीर है.”

चीन की विशाल दीवार मिट्टी और पत्थर से बनी एक किलेनुमा दीवार है जिसे चीन के विभिन्न शासकों के द्वारा उत्तरी हमलावरों से रक्षा के लिए पाँचवीं शताब्दी ईसा पूर्व से लेकर सोलहवी शताब्दी तक बनवाया गया था. इसकी विशालता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि यह मानव निर्मित एकमात्र रचना है जिसे अंतरिक्ष से देखा जा सकता है. यह दीवार 6,400 किलोमीटर लंबी है.

इस दीवार को कई हिस्से आपस में जुड़े हुये नहीं हैं. यदि इन सब को जोड़ दिया जाये तो इसकी कुल लंबाई 8,848 किलोमीटर तक पहुंच जायेगी. कुछ स्थानों पर यह 8-9 फीट तथा कई स्थानों पर यह 35 फीट ऊंची है. एक अनुमान के अनुसार इस दीवार को बनाने में 20-30 लाख लोगों ने अपना जीवन लगा दिया.

इस दीवार की चौड़ाई इतनी है कि पांच घुड़सवार या दस पैदल सैनिक इसमें एक साथ चल सके. इसमें दूर से आते शत्रुओं पर निगाह रखने कई मीनारें भी बनाई गई है.

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