छत्तीसगढ़ में महिला हिंसा के लंबित मामले 5 लाख पार
बिलासपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ की अदालतों में महिलाओं के प्रति हिंसक अपराधों सहित अन्य लंबित मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है.हाईकोर्ट और स्थानीय अदालतों में ऐसे लंबित मामलों की संख्या पांच लाख को पार कर गई है.
पिछले पांच वर्षों में ऐसे मामलों में बड़ा उछाल आया है.
यही स्थिति पूरे देश में है. हालांकि भारत के सभी अदालतों के औसत की तुलना में, छत्तीसगढ़ की अदालतों में लंबित मामलों की संख्या अधिक है.
देश के सभी हाईकोर्ट में महिलाओं के प्रति हिंसा और अन्य अपराधों से संबंधित लंबित मामलों की संख्या 2018 में 4448926 थी.
2019 में यह आंकड़ा बढ़ कर 4657354 और 2020 में 5642567 हो गई.
2021 में यह संख्या 5649068 और 31 दिसंबर 2022 तक यह 5978714 हो गई.
छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय की बात करें तो 31 दिसंबर 2018 तक बिलासपुर स्थित हाईकोर्ट में महिलाओं के प्रति हिंसा व अन्य मामलों की संख्या 63574 थी.
31 दिसंबर 2019 में यह संख्या 69316 और 2020 में 75836 हो गई.
महिलाओं के प्रति हिंसा व अन्य लंबित मामलों का यह आंकड़ा 2021 में 81001 हो गया.
जबकि 31 दिसंबर 2022 तक हाईकोर्ट में लंबित मामलों की संख्या 91184 पहुंच गई.
स्थानीय अदालतों में बढ़े लंबित आंकड़े
महिलाओं के प्रति हिंसा व अन्य अपराधों के लंबित मामलों की संख्या छत्तीसगढ़ की स्थानीय अदालतों में भी बढ़ती चली गई है.
पूरे राज्य की अलग-अलग अदालतों में 2018 तक लंबित ऐसे मामलों की संख्या 267429 थी, जो 2019 में 285025 हो गई.
इसी तरह 2020 में ऐसे मामलों की संख्या 324273 और 2021 में 376220 हो गई.
31 दिसंबर 2022 तक छत्तीसगढ़ की स्थानीय अदालतों में महिलाओं के प्रति हिंसा व अन्य अपराधों के लंबित मामले 4 लाख के आंकड़े को पार कर 411599 तक पहुंच गए.
इस तरह छत्तीसगढ़ की स्थानीय अदालतों और हाईकोर्ट में महिलाओं के प्रति हिंसा व अन्य अपराध से संबंधित लंबित मामलों का आंकड़ा 502783 पहुंच गया.