कांग्रेस विधायक की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ कांग्रेस सड़क पर उतरी
रायपुर | संवाददाता: छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पार्टी ने भिलाई के कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव की गिरफ़्तारी के ख़िलाफ़ आठवें दिन राज्य भर में प्रदर्शन किया. सभी ज़िला मुख्यालयों पर कांग्रेस पार्टी ने प्रदर्शन करते हुए कहा कि जब तक बलौदाबाज़ार कांड में दोषियों की गिरफ़्तारी नहीं हो जाती, प्रदर्शन जारी रहेगा.
इधर राजधानी रायपुर में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने बलौदाबज़ार हिंसा मामले की सीबीआई जांच की मांग की है.
दीपक बैज ने कहा कि इस मामले में अगर सरकार को लगता है तो वे जिस कांग्रेसी का चाहें, नार्को टेस्ट करवा सकते हैं. शर्त ये है कि राज्य के मुख्यमंत्री और गृहमंत्री का भी नार्को टेस्ट हो.
गौरतलब है कि इस महीने की 17 तारीख़ को बलौदाबाज़ार पुलिस ने भिलाई के कांग्रेस विधायक देवेंद्र यादव को गिरफ़्तार कर जेल भेज दिया है.
बलौदा बाज़ार में कलेक्टर और एसपी कार्यालय जलाने के मामले में एफआईआर दर्ज़ किया गया था.
देवेंद्र यादव के ख़िलाफ़ आरोप
देवेंद्र यादव के ख़िलाफ़ आरोप है कि उन्होंने भीड़ को भड़काने वाला भाषण दिया था.
भाजपा का कहना है कि उनके भाषण के बाद भीड़ ने कलेक्टर, एसपी कार्यालय पर धावा बोला.
इस मामले में बलौदा बाज़ार पुलिस पहले भी उनसे पूछताछ कर चुकी थी.
पिछले शनिवार की सुबह जब बलौदा बाज़ार की पुलिस विधायक देवेंद्र यादव के भिलाई स्थित निवास पहुंची तो कई घंटों तक उनके समर्थकों ने पुलिस को घर के भीतर घुसने नहीं दिया.
इसके बाद कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दीपक बैज, दूसरे नेताओं के साथ देवेंद्र यादव के घर पहुंचे.
लंबी बातचीत के बाद शाम को देवेंद्र यादव को गिरफ़्तार कर लिया गया.
गिरफ़्तारी से पहले देवेंद्र यादव ने एक बयान में कहा कि उन्हें सतनामी समाज के आम लोगों की आवाज़ उठाने के लिए छत्तीसगढ़ की सरकार प्रताड़ित कर रही है.
देवेंद्र यादव महापौर रह चुके हैं.
वे कांग्रेस की टिकट पर दूसरी बार विधायक बने हैं.
क्या था मामला
इस साल 15 मई की रात बलौदा बाज़ार ज़िले के गिरौधपुरी से लगे एक इलाके में सतनामी समाज के धार्मिक प्रतीक जैतखाम को क्षतिग्रस्त कर दिया गया था.
इसके विरोध में 10 जून को सतनामी समाज के हजारों लोग कलेक्टोरेट के पास दशहरा मैदान में प्रदर्शन के लिए इकट्ठा हुए थे.
जैतखाम क्षतिग्रस्त करने के मामले में तीन लोगों के गिरफ्तार किया गया था, लेकिन लोगों का आरोप था कि पकड़े गए लोग असली आरोपी नहीं हैं.
पुलिस जानबूझकर दोषियों को बचा रही है.
इसी बात को लेकर 10 जून को प्रदर्शन हुआ, जिसमें उग्र भीड़ ने कलेक्टर, एसपी, पंचायत समेत कई सरकारी कार्यालयों और वाहनों में आग लगा दी थी.
इसके बाद ज़िले के कलेक्टर और एसपी का तबादला किया गया था.
बाद में दोनों अधिकारियों को निलंबित कर दिया गया था.
इस मामले में अब तक 150 से अधिक लोगों को गिरफ़्तार किया गया है.